Jaiprakash, Tum Laut Aao

Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Smt. Mamta Mehrotra
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Prabhat Prakashan
Author:
Smt. Mamta Mehrotra
Language:
Hindi
Format:
Hardback

300

Save: 25%

In stock

Ships within:
1-4 Days

In stock

Weight 372 g
Book Type

ISBN:
SKU 9789353222352 Categories , Tag
Categories: ,
Page Extent:
186

संविधान बनाने का काम हमने मुख्य रूप से देश के सर्वोच्च विधि-वेत्ताओं के सिर पर डाल दिया था। उनमें से बहुतेरों ने शायद ही कभी स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया था। शायद यह सोचा गया कि संविधान बनाने का काम कानून के निष्णातों का है। यूँ देखा जाए तो हर महान् क्रांति के बाद नया संविधान क्रांतिकारियों ने स्वयं बनाया है। कानून के निष्णात लोग तो मात्र उसे योग्य परिभाषा देने में मदद करते रहे हैं, लेकिन हमारे यहाँ तो संविधान बनाने में मुख्य हाथ इन कानून-निष्णातों का ही रहा है। परिणाम यह हुआ कि स्वाधीनता आंदोलन के दरम्यान हमने जिन भावनाओं और आदर्शों की कल्पना की थी, संविधान को उनकी हवा तक का स्पर्श नहीं हुआ।’’ —इसी पुस्तक से

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Jaiprakash, Tum Laut Aao”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Description

संविधान बनाने का काम हमने मुख्य रूप से देश के सर्वोच्च विधि-वेत्ताओं के सिर पर डाल दिया था। उनमें से बहुतेरों ने शायद ही कभी स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया था। शायद यह सोचा गया कि संविधान बनाने का काम कानून के निष्णातों का है। यूँ देखा जाए तो हर महान् क्रांति के बाद नया संविधान क्रांतिकारियों ने स्वयं बनाया है। कानून के निष्णात लोग तो मात्र उसे योग्य परिभाषा देने में मदद करते रहे हैं, लेकिन हमारे यहाँ तो संविधान बनाने में मुख्य हाथ इन कानून-निष्णातों का ही रहा है। परिणाम यह हुआ कि स्वाधीनता आंदोलन के दरम्यान हमने जिन भावनाओं और आदर्शों की कल्पना की थी, संविधान को उनकी हवा तक का स्पर्श नहीं हुआ।’’ —इसी पुस्तक से

About Author

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Jaiprakash, Tum Laut Aao”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

RELATED PRODUCTS

RECENTLY VIEWED