jadoo : Ek Hansi, Ek Heroine (PB)

Publisher:
Lokbharti
| Author:
RAVINDRA AROHI
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Lokbharti
Author:
RAVINDRA AROHI
Language:
Hindi
Format:
Hardback

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जीवन की उदासियों के रंग इतने गाढ़े और प्रबल हैं कि वे असहनीय हैं। अकसर फ़िक्शन जीवन से अधिक दुर्दान्त रूप में उपस्थित होता है। उपस्थित होकर वह क्या करता है? ‘यह क्या’ रवीन्द्र आरोही की कहानियों का मूल सत्त्व है। इन कहानियों में उदासी, पीड़ा, छल और प्रेम यानी जीवन का सब कुछ है। पर वह इन रूपों में है कि सहनीय है और सहने का साहस भी देता है।
रवीन्द्र की कहानियाँ उदासियों से जीवन का सौन्दर्य शिल्प रचती हैं। इनमें एक नदी है जो लोक चेतना की ठसक के साथ क़स्बों, गाँवों और नगरों के बीच डोलती है और पिछले वक़्तों से किन्हीं अनाम बिन्दु तक की कथा यात्रा करती है। जिस प्रकार आँसू वेदना के अणुसूत्र हैं वैसे ही इन कहानियों में स्मृति के अणुसूत्र हैं। स्मृतिविहीन निचाट संसार के समानान्तर स्मृतिलोक रचती इन कहानियों में वैसा कोई पात्र नहीं है जिसके प्रेम में आप न पड़ जाएँ।
—उपासना

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Description

जीवन की उदासियों के रंग इतने गाढ़े और प्रबल हैं कि वे असहनीय हैं। अकसर फ़िक्शन जीवन से अधिक दुर्दान्त रूप में उपस्थित होता है। उपस्थित होकर वह क्या करता है? ‘यह क्या’ रवीन्द्र आरोही की कहानियों का मूल सत्त्व है। इन कहानियों में उदासी, पीड़ा, छल और प्रेम यानी जीवन का सब कुछ है। पर वह इन रूपों में है कि सहनीय है और सहने का साहस भी देता है।
रवीन्द्र की कहानियाँ उदासियों से जीवन का सौन्दर्य शिल्प रचती हैं। इनमें एक नदी है जो लोक चेतना की ठसक के साथ क़स्बों, गाँवों और नगरों के बीच डोलती है और पिछले वक़्तों से किन्हीं अनाम बिन्दु तक की कथा यात्रा करती है। जिस प्रकार आँसू वेदना के अणुसूत्र हैं वैसे ही इन कहानियों में स्मृति के अणुसूत्र हैं। स्मृतिविहीन निचाट संसार के समानान्तर स्मृतिलोक रचती इन कहानियों में वैसा कोई पात्र नहीं है जिसके प्रेम में आप न पड़ जाएँ।
—उपासना

About Author

रवीन्द्र आरोही

रवीन्द्र आरोही का जन्म 1 अक्टूबर, 1984 को बिहार के गोपालगंज में हुआ। शुरुआती शिक्षा गाँव में हुई। छुटपन में ही एक ग़लत रेलगाड़ी पर सवार होकर कलकत्ता आ गए। बाक़ी का बचपन इसी शहर ने दिया। पढ़ना-लिखना इसी शहर ने सिखाया। फिर क्या था मोहब्बत सी हो गई इस शहर से, फिर 'और' कहीं के नहीं हो पाए। 'निकम्मा' तो नहीं पर इस शहर ने लेखक बनाकर ज़रूर छोड़ दिया। पढ़ाई-लिखाई इसी शहर में हुई, नौकरी भी कलकत्ता में ही करते हैं। पहली कहानी 2007 में छपी। हिन्दी की प्रमुख पत्रिकाओं में कहानियाँ प्रकाशित।

ई-मेल : arohi.nirmal@gmail.com

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