Mazaak 212

Save: 10%

Back to products
Junglegatha 257

Save: 10%

Jaati Ka Chakravyuh Aur Arakshan

Publisher:
Rajpal and Sons
| Author:
Singh, Satyendra Pratap
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Rajpal and Sons
Author:
Singh, Satyendra Pratap
Language:
Hindi
Format:
Paperback

383

Save: 15%

In stock

Ships within:
1-4 Days

In stock

Book Type

Availiblity

ISBN:
SKU 9789393267429 Category
Category:
Page Extent:
240

आज़ादी की लड़ाई के दौरान ही यह मुद्दा बार-बार उठा कि आज़ाद भारत में अछूत कही जाने वाली जातियों की स्थिति क्या होगी? फुले-पेरियार-अंबेडकर के आंदोलनों ने जाति प्रश्न को प्रमुखता से उभारा तो गांधी का छुआछूत विरोधी आंदोलन इसका ही एक और आयाम था।

आज़ादी के बाद संविधान बना तो दलितों-आदिवासियों के समुचित प्रतिनिधित्व के लिए नौकरियों और संसद में आरक्षण की जो व्यवस्था की गई वह शुरू से ही वर्चस्वशाली जातियों के प्रतिनिधियों की आँखों की किरकिरी बनी रही। फिर नब्बे के दशक में पिछड़ी जातियों के आरक्षण के लिए मंडल आयोग की अनुशंसाओं के ख़िलाफ़ तो हिंसक आंदोलन भी हुए। अभी हाल में 2022 जब म्ॅै आरक्षण लागू हुआ तो इसे आरक्षण की मूल भावना के ख़िलाफ़ बताया गया।

सत्येंद्र प्रताप सिंह की यह किताब भारतीय समाज में जाति प्रश्न और आरक्षण से जुड़े सवालों को अकादमिक तरीके से ही नहीं बल्कि एक कार्यकर्ता के तेवर से भी उठाती है और सामाजिक-आर्थिक यथार्थ के बरअक्स समझने का प्रयास करती है। आम पाठकों और शोधार्थियों के लिए समान रूप से उपयोगी यह किताब हिन्दी क्षेत्र में आरक्षण के सवाल को बेहतर तरीके से समझने के लिए बेहद कारगर है। 13 मई, 1975 को गोरखपुर में जन्मे सत्येंद्र पी. एस. ने सेंट एंड्यूज कॉलेज गोरखपुर से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर किया तथा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की उपाधि ली। 22 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय सत्येंद्र पिछले 14 वर्षों से बिजनेस स्टैंडर्ड अखबार में कार्यरत हैं। उनकी किताब मंडल कमीशनः राष्ट्र निर्माण की सबसे बड़ी पहल काफी चर्चित रही है।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Jaati Ka Chakravyuh Aur Arakshan”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Description

आज़ादी की लड़ाई के दौरान ही यह मुद्दा बार-बार उठा कि आज़ाद भारत में अछूत कही जाने वाली जातियों की स्थिति क्या होगी? फुले-पेरियार-अंबेडकर के आंदोलनों ने जाति प्रश्न को प्रमुखता से उभारा तो गांधी का छुआछूत विरोधी आंदोलन इसका ही एक और आयाम था।

आज़ादी के बाद संविधान बना तो दलितों-आदिवासियों के समुचित प्रतिनिधित्व के लिए नौकरियों और संसद में आरक्षण की जो व्यवस्था की गई वह शुरू से ही वर्चस्वशाली जातियों के प्रतिनिधियों की आँखों की किरकिरी बनी रही। फिर नब्बे के दशक में पिछड़ी जातियों के आरक्षण के लिए मंडल आयोग की अनुशंसाओं के ख़िलाफ़ तो हिंसक आंदोलन भी हुए। अभी हाल में 2022 जब म्ॅै आरक्षण लागू हुआ तो इसे आरक्षण की मूल भावना के ख़िलाफ़ बताया गया।

सत्येंद्र प्रताप सिंह की यह किताब भारतीय समाज में जाति प्रश्न और आरक्षण से जुड़े सवालों को अकादमिक तरीके से ही नहीं बल्कि एक कार्यकर्ता के तेवर से भी उठाती है और सामाजिक-आर्थिक यथार्थ के बरअक्स समझने का प्रयास करती है। आम पाठकों और शोधार्थियों के लिए समान रूप से उपयोगी यह किताब हिन्दी क्षेत्र में आरक्षण के सवाल को बेहतर तरीके से समझने के लिए बेहद कारगर है। 13 मई, 1975 को गोरखपुर में जन्मे सत्येंद्र पी. एस. ने सेंट एंड्यूज कॉलेज गोरखपुर से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर किया तथा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की उपाधि ली। 22 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय सत्येंद्र पिछले 14 वर्षों से बिजनेस स्टैंडर्ड अखबार में कार्यरत हैं। उनकी किताब मंडल कमीशनः राष्ट्र निर्माण की सबसे बड़ी पहल काफी चर्चित रही है।

About Author

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Jaati Ka Chakravyuh Aur Arakshan”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

RELATED PRODUCTS

RECENTLY VIEWED