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Jaag Uthi Nari Shakti

Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Kiran Bedi
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Prabhat Prakashan
Author:
Kiran Bedi
Language:
Hindi
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Hardback

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184

‘नारी’ और ‘शक्‍ति’ शब्दों को एक-दूसरे का पर्याय कहा जाए तो कोई अतिशयोक्‍ति नहीं होगी, क्योंकि यह नारी की ही शक्‍ति है कि वह अपने जैसे नर-नारियों को जन्म देती है। जब नारी के साथ ‘शक्‍ति’ शब्द जुड़ जाता है तो वह दुर्गा का साक्षात् अवतार ही बन जाती है और उसमें घर, समाज व दुनिया में व्याप्‍त बुराइयों के विरुद्ध लड़ने की एक अदम्य शक्‍ति उत्पन्न हो जाती है। कहते हैं, अत्याचार की अति एक क्रांति को, एक नव-परिवर्तन को जन्म देती है। प्रस्तुत पुस्तक की प्रत्येक अनुभूत कहानी में किरण बेदी ऐसी क्रांति, ऐसे नव-परिवर्तन को प्रत्यक्ष घटते हुए पाती हैं। प्रस्तुत पुस्तक में सामाजिक व आर्थिक बुराइयों की अंदरूनी सच्चाई के साथ-साथ समाज की घरेलू समस्याओं, महिलाओं से जुड़े मामलों, पुलिस प्रताड़ना, नशा, कैशोर्य समस्याओं और अपराध आदि का व‌िश्‍लेषण है। ये कहानियाँ समाज में व्याप्‍त उन असामाजिक लोगों को भी सावधान करती हैं, जो नारी शोषण करते और उसे प्रश्रय देते हैं। आज आधी आबादी की आवाज का दम नहीं घोंटा जा सकता। आज हर नारी शांति की ‘किरण’ है, जो बुराइयों के अँधेरे को अपनी अदम्य नारीत्व शक्‍ति से दूर करने के लिए कटिबद्ध है। नारी का सम्मान पुनर्स्थापित करने का एक विनम्र प्रयास है यह क्रांतिकारी पुस्तक।

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Description

‘नारी’ और ‘शक्‍ति’ शब्दों को एक-दूसरे का पर्याय कहा जाए तो कोई अतिशयोक्‍ति नहीं होगी, क्योंकि यह नारी की ही शक्‍ति है कि वह अपने जैसे नर-नारियों को जन्म देती है। जब नारी के साथ ‘शक्‍ति’ शब्द जुड़ जाता है तो वह दुर्गा का साक्षात् अवतार ही बन जाती है और उसमें घर, समाज व दुनिया में व्याप्‍त बुराइयों के विरुद्ध लड़ने की एक अदम्य शक्‍ति उत्पन्न हो जाती है। कहते हैं, अत्याचार की अति एक क्रांति को, एक नव-परिवर्तन को जन्म देती है। प्रस्तुत पुस्तक की प्रत्येक अनुभूत कहानी में किरण बेदी ऐसी क्रांति, ऐसे नव-परिवर्तन को प्रत्यक्ष घटते हुए पाती हैं। प्रस्तुत पुस्तक में सामाजिक व आर्थिक बुराइयों की अंदरूनी सच्चाई के साथ-साथ समाज की घरेलू समस्याओं, महिलाओं से जुड़े मामलों, पुलिस प्रताड़ना, नशा, कैशोर्य समस्याओं और अपराध आदि का व‌िश्‍लेषण है। ये कहानियाँ समाज में व्याप्‍त उन असामाजिक लोगों को भी सावधान करती हैं, जो नारी शोषण करते और उसे प्रश्रय देते हैं। आज आधी आबादी की आवाज का दम नहीं घोंटा जा सकता। आज हर नारी शांति की ‘किरण’ है, जो बुराइयों के अँधेरे को अपनी अदम्य नारीत्व शक्‍ति से दूर करने के लिए कटिबद्ध है। नारी का सम्मान पुनर्स्थापित करने का एक विनम्र प्रयास है यह क्रांतिकारी पुस्तक।

About Author

भारत की पहली महिला आई.पी.एस. किरण बेदी सन् 1972 में भारतीय पुलिस सेवा में शामिल हुईं। पुलिस सेवा में सबसे ऊँचे पद पर पहुँचनेवाली वे देश की पहली महिला पुलिस अधिकारी हैं। पुलिस और जेल विभाग में रचनात्मक सुधार करने की उन्हें पैंतीस साल से अधिक की विशेषज्ञता हासिल है। उन्होंने कानून, स्नातकोत्तर और डॉक्टरेट की उपाधियाँ हासिल की हैं। उन्हें एशिया का नोबेल पुरस्कार कहा जानेवाला प्रतिष्‍ठित ‘रेमन मैग्सेसे पुरस्कार’ भी मिल चुका है। इसके साथ ही उन्हें कई राष्‍ट्रीय व अंतरराष्‍ट्रीय सम्मान भी मिले हैं। उनके लेख भी प्रमुख समाचार-पत्रों व पत्रिकाओं में नियमित रूप से छपते रहते हैं। वे दो स्वैच्छिक संगठनों—‘नवज्योति’ और ‘इंडिया विजन फाउंडेशन’ की संस्थापक हैं। इंडिया अगेंस्ट करप्शन आंदोलन, पुलिस और जेल-सुधार के विभिन्न उपक्रमों में वे अग्रणी भूमिका निभा चुकी हैं। उन्होंने कई पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें ‘इट्स ऑलवेज पॉसिबल’, ‘वॉट वेंट रॉन्ग’, ‘एज आई सी’, ‘ब्रूम एंड ग्रूम’ और ‘अपराइजिंग 2011’ प्रमुख हैं।

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