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ITIHAS, KAAL, AUR ADIKALIN BHARAT

Publisher:
OXFORD INDIA
| Author:
Romila Thapar
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
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OXFORD INDIA
Author:
Romila Thapar
Language:
Hindi
Format:
Paperback

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SKU 9780199485215 Category
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88

इतिहासकार रोमिला थापर की यह पुस्तक भारतीय संदर्भ में इतिहास और काल संबंधी अवधारणाओं की विस्तृत पड़ताल करती है। यह किताब उन मान्यताओं को नकारती है जिनके अनुसार आदिकालीन भारत में सिर्फ चक्रीय काल की अवधारणा ही प्रचलित थी और आदिकालीन भारतीय समाज में इतिहास दृष्टि का अभाव था। इन मान्यताओं के उलट यह किताब दर्शाती है कि आदिकालीन भारत में काल की चक्रीय अवधारणा के साथ-साथ रेखीय अवधारणा भी प्रचलित थी। कालसंबंधी रेखीय धारणा के प्रमाण वंशावलियों, चरितों, इतिवृत्तों में स्पष्ट देखने को मिलते हैं, जहाँ कालगणना पीढ़ियों, शासन-काल के वर्षों और संवतों के आधार पर की गई है। रोमिला थापर के अनुसार आदिकालीन भारत में काल की चक्रीय धारणा का इस्तेमाल जहाँ सृष्टिकालीन संदर्भ में होता था, वहीं रेखीय धारणा का इस्तेमाल ऐतिहासिक संदर्भ में किया जाता था। इस किताब का निष्कर्ष है कि आदिकालीन भारत में ऐतिहासिक चेतना विद्यमान थी।

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Description

इतिहासकार रोमिला थापर की यह पुस्तक भारतीय संदर्भ में इतिहास और काल संबंधी अवधारणाओं की विस्तृत पड़ताल करती है। यह किताब उन मान्यताओं को नकारती है जिनके अनुसार आदिकालीन भारत में सिर्फ चक्रीय काल की अवधारणा ही प्रचलित थी और आदिकालीन भारतीय समाज में इतिहास दृष्टि का अभाव था। इन मान्यताओं के उलट यह किताब दर्शाती है कि आदिकालीन भारत में काल की चक्रीय अवधारणा के साथ-साथ रेखीय अवधारणा भी प्रचलित थी। कालसंबंधी रेखीय धारणा के प्रमाण वंशावलियों, चरितों, इतिवृत्तों में स्पष्ट देखने को मिलते हैं, जहाँ कालगणना पीढ़ियों, शासन-काल के वर्षों और संवतों के आधार पर की गई है। रोमिला थापर के अनुसार आदिकालीन भारत में काल की चक्रीय धारणा का इस्तेमाल जहाँ सृष्टिकालीन संदर्भ में होता था, वहीं रेखीय धारणा का इस्तेमाल ऐतिहासिक संदर्भ में किया जाता था। इस किताब का निष्कर्ष है कि आदिकालीन भारत में ऐतिहासिक चेतना विद्यमान थी।

About Author

रोमिला थापर जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली में प्रोफेसर एमेरिटस हैं।

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