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Itihas Aur Vichardhara
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Itihas Aur Vichardhara
Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
इरफान हबीब, सम्पादन एवं अनुवाद रमेश रावत
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Vani Prakashan
Author:
इरफान हबीब, सम्पादन एवं अनुवाद रमेश रावत
Language:
Hindi
Format:
Hardback
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ISBN:
SKU
9789355185891
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
232
वस्तुतः साहित्यकार की भाँति इतिहासकार की लेखन प्रक्रिया भी जितनी सामाजिक और सांस्कृतिक होती है, उतनी ही वैयक्तिक भी। इतिहासकार की व्यक्तिगत प्रतिभा, विवेक, आकांक्षा, उद्देश्य, साधना और संघर्ष उसके लेखन को बहुत गहरे स्तर पर प्रभावित करते हैं। इसीलिए प्रायः यह देखा गया है कि एक ही विचारधारा को मानने वाले इतिहासकार भी विभिन्न मुद्दों पर भिन्न-भिन्न राय रखते हैं। इन लेखों में इरफ़ान हबीब ने मार्क्सवादी इतिहास-दृष्टि को अधिकाधिक परिमार्जित और वस्तुनिष्ठ बनाने पर बल दिया है। उन्होंने मार्क्सवाद विरोधी विभिन्न विचारधाराओं की सूक्ष्म ढंग से शिनाख़त करते हुए उनके जनविरोधी चरित्र को उजागर किया है और इतिहास लेखन को हर प्रकार के संकीर्णतावाद की गुंजलक से निकालकर उसे वैज्ञानिक और मानवतावादी आधार प्रदान करने की कोशिश की है। प्रस्तुत संग्रह में उनके ग्यारह लेख संकलित हैं। सरसरी तौर पर देखने से यह स्पष्ट हो जाता है कि इन लेखों में विषयगत एकता और एकरूपता चाहे न हो, किन्तु अपनी मार्क्सवादी इतिहास-दृष्टि के कारण उनमें एकसूत्रता अवश्य दिखाई पड़ेगी। उनके ये लेख लम्बे अन्तराल के बीच लिखे गये हैं। इनमें मार्क्सवादी इतिहास-लेखन की परम्परा की गहरी छानबीन से लेकर भारतीय राष्ट्र के निर्माण की प्रक्रिया, उपनिवेशवाद, राष्ट्रीय आन्दोलन और राष्ट्रीय आन्दोलन में वामन्थ की भूमिका आदि का विस्तृत मूल्यांकन किया गया है। उन्होंने अन्धराष्ट्रवाद और अविवेकवाद की भी जमकर आलोचना की है।
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Description
वस्तुतः साहित्यकार की भाँति इतिहासकार की लेखन प्रक्रिया भी जितनी सामाजिक और सांस्कृतिक होती है, उतनी ही वैयक्तिक भी। इतिहासकार की व्यक्तिगत प्रतिभा, विवेक, आकांक्षा, उद्देश्य, साधना और संघर्ष उसके लेखन को बहुत गहरे स्तर पर प्रभावित करते हैं। इसीलिए प्रायः यह देखा गया है कि एक ही विचारधारा को मानने वाले इतिहासकार भी विभिन्न मुद्दों पर भिन्न-भिन्न राय रखते हैं। इन लेखों में इरफ़ान हबीब ने मार्क्सवादी इतिहास-दृष्टि को अधिकाधिक परिमार्जित और वस्तुनिष्ठ बनाने पर बल दिया है। उन्होंने मार्क्सवाद विरोधी विभिन्न विचारधाराओं की सूक्ष्म ढंग से शिनाख़त करते हुए उनके जनविरोधी चरित्र को उजागर किया है और इतिहास लेखन को हर प्रकार के संकीर्णतावाद की गुंजलक से निकालकर उसे वैज्ञानिक और मानवतावादी आधार प्रदान करने की कोशिश की है। प्रस्तुत संग्रह में उनके ग्यारह लेख संकलित हैं। सरसरी तौर पर देखने से यह स्पष्ट हो जाता है कि इन लेखों में विषयगत एकता और एकरूपता चाहे न हो, किन्तु अपनी मार्क्सवादी इतिहास-दृष्टि के कारण उनमें एकसूत्रता अवश्य दिखाई पड़ेगी। उनके ये लेख लम्बे अन्तराल के बीच लिखे गये हैं। इनमें मार्क्सवादी इतिहास-लेखन की परम्परा की गहरी छानबीन से लेकर भारतीय राष्ट्र के निर्माण की प्रक्रिया, उपनिवेशवाद, राष्ट्रीय आन्दोलन और राष्ट्रीय आन्दोलन में वामन्थ की भूमिका आदि का विस्तृत मूल्यांकन किया गया है। उन्होंने अन्धराष्ट्रवाद और अविवेकवाद की भी जमकर आलोचना की है।
About Author
इरफ़ान हबीब (1931) भारत के अन्तरराष्ट्रीय स्तर के इतिहासकार हैं। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से इतिहास में एम.ए. करने के बाद ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय (इंग्लैंड) से उन्होंने डी. लिट् की उपाधि ली है। ऐग्रेरियन सिस्टम ऑफ़ मुग़ल इंडिया जैसी विश्वविख्यात पुस्तक लिखने के अलावा एन अटलस ऑफ़ मुग़ल एम्पायर (1982) भी तैयार किया है। सौ से ऊपर शोध-पत्र लिखे हैं और कुछ महत्त्वपूर्ण पुस्तकों का सम्पादन किया है। वे पीपुल्स हिस्ट्री ऑफ़ इंडिया श्रृंखला के प्रधान सम्पादक हैं। इतिहास में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए रवीन्द्र भारती कलकत्ता विश्वविद्यालय, कलकत्ता ने उनको डी.लिट् की मानद उपाधि से और अमेरिकन हिस्टोरिकल एसोसिएशन ने बाटमुल पुरस्कार से सम्मानित किया है। सम्प्रति वे अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग में प्रोफ़ेसर एमेरिटस हैं।
रमेश रावत (अनुवादक) (1957), प्रारम्भिक शिक्षा ग्रामीण परिवेश में, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़ से प्रथम श्रेणी में एम.ए. तथा राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर से पीएच.डी.।
प्रकाशित रचनाएँ : मुक्तिबोध की आलोचना प्रक्रिया, भाषा विज्ञान, 1857 की राजनीति : धर्म और जाति के सन्दर्भ में-एक पुस्तिका, देशज आधुनिकता और कबीर (पुस्तिका), इतिहास और विचारधारा, भारतीय इतिहास में मध्यकाल, भारतीय इतिहास के महत्त्वपूर्ण पड़ाव : पुनर्व्याख्या तथा भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन और राष्ट्रवाद-इरफ़ान हबीब के निबन्धों का सम्पादन एवं अनुवाद, विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में हिन्दी और अंग्रेज़ी में लेखन ।
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