Itane Pas Apane (HB)

Publisher:
Rajkamal
| Author:
Shamsher Bahadur Singh
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Rajkamal
Author:
Shamsher Bahadur Singh
Language:
Hindi
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Hardback

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अति सूक्ष्म ऐन्द्रिक अनुभूतियों की कविताओं का मजमूआ है ‘इतने पास अपने’। यह संग्रह इस बात का परिचायक है कि शमशेर बहादुर सिंह की कविताएँ रूप और सौन्दर्य की अनुभूतियों में खोती नहीं, बल्कि श्रम से जुड़कर जीवन का यथार्थ बताते हुए कविता के शिखर पर पहुँचती हैं।
दूसरा सप्तक से चर्चित हुए कवि शमशेर बहादुर सिंह को कभी अज्ञेय ने ‘कवियों का कवि’ कहा था और हिन्दी कविता जगत में उनकी पहचान शमशेरियत से हुई थी। इस शमशेरियत की बानगी देखिए—‘बात बोलेगी, हम नहीं, भेद खोलेगी बात ही।’ यह पंक्ति समकालीन कविता का मुहावरा बन चुकी है। इसमें सन्देह नहीं कि शमशेर हमारे समय के ऐसे कवि हैं जिन्होंने अपनी लम्बी काव्य-यात्रा में हिन्दी कविता को समृद्ध किया है। उनकी कविताएँ कवि की प्रतिबद्धता और जिजीविषा का प्रमाण प्रस्तुत करती-सी प्रतीत होती हैं।
प्रकृति-प्रेम और मानवीय रूप-सौन्दर्य शमशेर बहादुर सिंह की कविताओं के केन्द्र बिन्दु हैं।

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Description

अति सूक्ष्म ऐन्द्रिक अनुभूतियों की कविताओं का मजमूआ है ‘इतने पास अपने’। यह संग्रह इस बात का परिचायक है कि शमशेर बहादुर सिंह की कविताएँ रूप और सौन्दर्य की अनुभूतियों में खोती नहीं, बल्कि श्रम से जुड़कर जीवन का यथार्थ बताते हुए कविता के शिखर पर पहुँचती हैं।
दूसरा सप्तक से चर्चित हुए कवि शमशेर बहादुर सिंह को कभी अज्ञेय ने ‘कवियों का कवि’ कहा था और हिन्दी कविता जगत में उनकी पहचान शमशेरियत से हुई थी। इस शमशेरियत की बानगी देखिए—‘बात बोलेगी, हम नहीं, भेद खोलेगी बात ही।’ यह पंक्ति समकालीन कविता का मुहावरा बन चुकी है। इसमें सन्देह नहीं कि शमशेर हमारे समय के ऐसे कवि हैं जिन्होंने अपनी लम्बी काव्य-यात्रा में हिन्दी कविता को समृद्ध किया है। उनकी कविताएँ कवि की प्रतिबद्धता और जिजीविषा का प्रमाण प्रस्तुत करती-सी प्रतीत होती हैं।
प्रकृति-प्रेम और मानवीय रूप-सौन्दर्य शमशेर बहादुर सिंह की कविताओं के केन्द्र बिन्दु हैं।

About Author

शमशेर बहादुर सिंह

जन्म : 13 जनवरी, 1911; देहरादून (उ.प्र.)।

शिक्षा : प्रारम्भिक शिक्षा देहरादून में। बाद की शिक्षा गोंडा और इलाहाबाद विश्वविद्यालय में। 1935-36 में उकील बन्धुओं से कला-प्रशिक्षण लिया।

साहित्यिक कार्यक्षेत्र : ‘रूपाभ’, इलाहाबाद में कार्यालय सहायक (1939); ‘कहानी’ में त्रिलोचन के साथ (1940); ‘नया साहित्य’, बम्बई में कम्यून में रहते हुए (1946); ‘माया’ में सहायक सम्पादक (1948-54); ‘नया पथ’ और ‘मनोहर कहानियाँ’ में सम्पादन-सहयोग। दिल्ली विश्वविद्यालय में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की एक महत्त्वपूर्ण परियोजना ‘उर्दू-हिन्दी कोश’ का सम्पादन (1965-77)। ‘प्रेमचन्द सृजनपीठ’, विक्रम विश्वविद्यालय (मध्य प्रदेश) के अध्यक्ष (1981-85)।

सन् 1978 में सोवियत संघ की यात्रा। विभिन्न भाषाओं में कविताओं के अनुवाद।

प्रकाशित प्रमुख कृतियाँ : ‘कुछ कविताएँ’ व ‘कुछ और कविताएँ’, ‘चुका भी हूँ नहीं मैं’, ‘इतने पास अपने’, ‘उदिता : अभिव्यक्ति का संघर्ष’, ‘बात बोलेगी’, ‘काल तुझसे होड़ है मेरी’, ‘टूटी हुई बिखरी हुई’, ‘कहीं बहुत दूर से सुन रहा हूँ’ (कविता-संग्रह); ‘कुछ और गद्य रचनाएँ’ (निबन्ध)।

सम्मान : मध्य प्रदेश साहित्य परिषद् का ‘तुलसी पुरस्कार’ (1977); ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’ (1977); ‘मैथिलीशरण गुप्त पुरस्कार’; ‘कबीर सम्मान’ (1989)।

निधन : 12 मई, 1993

 

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