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Is Jangal Mein
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
दामोदर खड्से
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
दामोदर खड्से
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹120 ₹119
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In stock
ISBN:
SKU
9788126315543
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
144
इस जंगल में –
‘इस जंगल में’ दामोदर खड़से का नवीनतम कहानी-संग्रह है। इस कहानी संग्रह में व्यक्ति और समाज की गहरी संवेदनाओं के प्रतिबिम्ब हैं। सामाजिक विसंगतियों से उपजी मनुष्य की विडम्बनाओं और त्रासदियों का सार्थक चित्रण इन कहानियों में है। घर-परिवार और देश-समाज के बीच जीते हुए व्यक्ति की भीतरी अनुभूतियों को बहुत सहज और स्वाभाविक रूप में प्रस्तुत कर कथाकार ने पात्रों की आन्तरिक प्रतिध्वनियों को शब्दबद्ध किया है। पात्र अत्यन्त सजीव हैं और परिवेश आसपास का है।
कथ्य की दृष्टि से ये कहानियाँ अपनी समयगत सच्चाइयों को बयान करती हैं तथा भाषा और शैली अभिव्यक्ति को गतिमान बना जाती है। कई पात्र भावुक होकर भी अपने समय के यथार्थ को पहचानते हैं और अपने भीतर की गहरी संवेदनाओं को मूर्त रूप देने के लिए संघर्षरत रहते हैं। देश-काल की राजनीति से उभरे मुखौटे अपनी असलियत छुपा नहीं पाते।
इन कहानियों में मानवीय सम्बन्धों को सूक्ष्मता से देखा जा सकता है। तमाम सामाजिक विसंगतियों और विरोधाभासों के बावजूद अस्मिता और पहचान के लिए छटपटाते पात्र अपने भीतर ईमानदार समर्पण सँजोयें रहते हैं। दामोदर खड़से की कहानियाँ समय की प्रतिध्वनियों के साथ संवाद करती रोचकता और पठनीयता इन कहानियों की सहज विशेषता है।
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Description
इस जंगल में –
‘इस जंगल में’ दामोदर खड़से का नवीनतम कहानी-संग्रह है। इस कहानी संग्रह में व्यक्ति और समाज की गहरी संवेदनाओं के प्रतिबिम्ब हैं। सामाजिक विसंगतियों से उपजी मनुष्य की विडम्बनाओं और त्रासदियों का सार्थक चित्रण इन कहानियों में है। घर-परिवार और देश-समाज के बीच जीते हुए व्यक्ति की भीतरी अनुभूतियों को बहुत सहज और स्वाभाविक रूप में प्रस्तुत कर कथाकार ने पात्रों की आन्तरिक प्रतिध्वनियों को शब्दबद्ध किया है। पात्र अत्यन्त सजीव हैं और परिवेश आसपास का है।
कथ्य की दृष्टि से ये कहानियाँ अपनी समयगत सच्चाइयों को बयान करती हैं तथा भाषा और शैली अभिव्यक्ति को गतिमान बना जाती है। कई पात्र भावुक होकर भी अपने समय के यथार्थ को पहचानते हैं और अपने भीतर की गहरी संवेदनाओं को मूर्त रूप देने के लिए संघर्षरत रहते हैं। देश-काल की राजनीति से उभरे मुखौटे अपनी असलियत छुपा नहीं पाते।
इन कहानियों में मानवीय सम्बन्धों को सूक्ष्मता से देखा जा सकता है। तमाम सामाजिक विसंगतियों और विरोधाभासों के बावजूद अस्मिता और पहचान के लिए छटपटाते पात्र अपने भीतर ईमानदार समर्पण सँजोयें रहते हैं। दामोदर खड़से की कहानियाँ समय की प्रतिध्वनियों के साथ संवाद करती रोचकता और पठनीयता इन कहानियों की सहज विशेषता है।
About Author
दामोदर खड़से -
जन्म: 11 नवम्बर, 1948, ग्राम पटना, ज़िला : सरगुजा (छत्तीसगढ़)।
शिक्षा: एम.ए., एम.एड., पीएच.डी. (हिन्दी)।
कृतियाँ: पिछले तीन दशकों से हिन्दी कहानी, उपन्यास और कविता में सुपरिचित नाम। अब तक पाँच कहानी-संग्रह, दो उपन्यास, तीन कविता-संग्रह, एक यात्रा-रिपोर्ताज़ और ग्यारह पुस्तकों का मराठी अनुवाद प्रकाशित। कहानी-लेख आदि का पाठ्यक्रमों में समावेश अनेक राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों, कवि-सम्मेलनों में सहभाग। कोलम्बिया विश्वविद्यालय (न्यूयार्क) में व्याख्यान और वाशिंग्टन तथा न्यूयार्क में कवि-सम्मेलनों में सहभागिता। विभिन्न चैनलों पर कविता-पाठ। 'इस जंगल में' कहानी दूरदर्शन के लिए चयनित और कविताओं का एक कैसेट—'मैं लौट आया हूँ'।
सदस्य: पुणे, मुम्बई विश्वविद्यालयों के बोर्ड ऑफ़ स्टडीज़, भारत सरकार की हिन्दी सलाहकार समितियों, महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी आदि में सदस्य के रूप में कार्य।
प्रमुख सम्मान: महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी द्वारा हिन्दी साहित्य में योगदान के लिए 'मुक्तिबोध सम्मान', उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का 'सौहार्द सम्मान', केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय का 'राष्ट्रीय साहित्य पुरस्कार'।
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