SaleHardback
Hindi Vyakaran Ke Naveen Kshitij
₹450 ₹315
Save: 30%
Jahan Bhi Ho Zara Si Sambhavna
₹130 ₹129
Save: 1%
Ihamrig
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
नीरजा माधव
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
नीरजा माधव
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹180 ₹179
Save: 1%
In stock
Ships within:
10-12 Days
In stock
ISBN:
SKU
9788126340118
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
180
ईहामृग –
‘ईहामृग’ नीरजा माधव का एक विशिष्ट उपन्यास है। उपन्यास के केन्द्र में है तथागत गौतम बुद्ध की दिव्य ऊर्जा से आप्लावित सारनाथ। यहाँ की पुण्यभूमि से बुद्ध ने ज्ञान की एक ऐसी अजस्र धारा प्रवाहित की जो आज विश्व के कोने-कोने में पहुँच चुकी है। यह है सारनाथ का अतीत सारनाथ समय के अनवरत हस्तक्षेप से आज एक दूसरा रूप भी ले चुका है। वर्तमान में सारनाथ वैश्विक विसंगतियों का एक छोटा-सा प्रतीक बन चुका है।
यहाँ धर्म है, धर्म-द्वन्द्व भी है, शोषण और ग़रीबी की मार झेलता निम्न वर्ग है तो सेवा और समर्पण का बोर्ड टाँगे स्वयंसेवी संस्थाएँ भी हैं। जिसकी आड़ में धार्मिक कट्टरता और लुक-छिप धर्मान्तरण का खेल भी चलता रहता है। स्त्री-अस्मिता और मुक्ति के सवाल भी ज्ञान के इस क्षेत्र में व्यंग्य से मुस्कराते मिल जाते हैं। फिर भी शान्ति की खोज में अनेक देशों से लोग यहाँ आते हैं, आते रहेंगे। शान्ति का प्रश्न, अहिंसा की बातें, शोषण और ग़रीबी के ख़िलाफ़ नारे लगते रहते हैं, प्रेम और करुणा के प्रसार की इस भूमि पर हर शाम गूंजती है धम्म—देशना बौद्ध मन्दिरों से। आन्दोलित होती है यहाँ की हवा धर्मघंटे की गूँज से लेकिन सम्पूर्ण विश्व की भाँति शान्ति ईहामृग की तरह अलभ्य होती जा रही है यहाँ भी।
एक कथायुक्ति निकालकर भिक्खु एम. अलभ्यानन्द के माध्यम से नीरजा माधव ने वर्तमान के सामाजिक-सांस्कृतिक परिवेश का रोचक वृत्तान्त प्रस्तुत किया है। गौरी, मधुसूदन, फुलझड़ी आदि अनेक चरित्र इस कृति को गतिशील करते हैं। भावानुगामिनी भाषा और सहज शैली ‘ईहामृग’ को उल्लेखनीय उपन्यास के रूप में रेखांकित करती है।
Be the first to review “Ihamrig” Cancel reply
Description
ईहामृग –
‘ईहामृग’ नीरजा माधव का एक विशिष्ट उपन्यास है। उपन्यास के केन्द्र में है तथागत गौतम बुद्ध की दिव्य ऊर्जा से आप्लावित सारनाथ। यहाँ की पुण्यभूमि से बुद्ध ने ज्ञान की एक ऐसी अजस्र धारा प्रवाहित की जो आज विश्व के कोने-कोने में पहुँच चुकी है। यह है सारनाथ का अतीत सारनाथ समय के अनवरत हस्तक्षेप से आज एक दूसरा रूप भी ले चुका है। वर्तमान में सारनाथ वैश्विक विसंगतियों का एक छोटा-सा प्रतीक बन चुका है।
यहाँ धर्म है, धर्म-द्वन्द्व भी है, शोषण और ग़रीबी की मार झेलता निम्न वर्ग है तो सेवा और समर्पण का बोर्ड टाँगे स्वयंसेवी संस्थाएँ भी हैं। जिसकी आड़ में धार्मिक कट्टरता और लुक-छिप धर्मान्तरण का खेल भी चलता रहता है। स्त्री-अस्मिता और मुक्ति के सवाल भी ज्ञान के इस क्षेत्र में व्यंग्य से मुस्कराते मिल जाते हैं। फिर भी शान्ति की खोज में अनेक देशों से लोग यहाँ आते हैं, आते रहेंगे। शान्ति का प्रश्न, अहिंसा की बातें, शोषण और ग़रीबी के ख़िलाफ़ नारे लगते रहते हैं, प्रेम और करुणा के प्रसार की इस भूमि पर हर शाम गूंजती है धम्म—देशना बौद्ध मन्दिरों से। आन्दोलित होती है यहाँ की हवा धर्मघंटे की गूँज से लेकिन सम्पूर्ण विश्व की भाँति शान्ति ईहामृग की तरह अलभ्य होती जा रही है यहाँ भी।
एक कथायुक्ति निकालकर भिक्खु एम. अलभ्यानन्द के माध्यम से नीरजा माधव ने वर्तमान के सामाजिक-सांस्कृतिक परिवेश का रोचक वृत्तान्त प्रस्तुत किया है। गौरी, मधुसूदन, फुलझड़ी आदि अनेक चरित्र इस कृति को गतिशील करते हैं। भावानुगामिनी भाषा और सहज शैली ‘ईहामृग’ को उल्लेखनीय उपन्यास के रूप में रेखांकित करती है।
About Author
नीरजा माधव -
जन्म: 15 मार्च, 1962, जौनपुर (उ.प्र.)।
शिक्षा: एम.ए., पीएच.डी.।
प्रमुख कृतियाँ: 'चिटके आकाश का सूरज', 'अभी ठहरो अन्धी सदी', 'पथदंश', 'आदिमगन्ध तथा अन्य कहानियाँ', 'चुप चन्तारा रोना नहीं' (कहानी संग्रह); 'यमदीप', ‘गेशे जम्पा', 'अनुपमेय शंकर', 'अवर्ण महिला कांस्टेबल की डायरी' (उपन्यास); 'प्रस्थानत्रयी' (कविता संग्रह); 'चैत चित्त मन चीति', 'महुआ', 'साँझी फूलन', 'यह राम कौन है?' (ललित निबन्ध-संग्रह)।
पुरस्कार/सम्मान: 'यशपाल पुरस्कार' उ.प्र. हिन्दी संस्थान, लखनऊ, 'म.प्र. साहित्य अकादमी पुरस्कार', 'शंकराचार्य पुरस्कार', 'शैलेश मटियानी कथा पुरस्कार', 'भारतेन्दु प्रभा सम्मान' भारतेन्दु अकादमी, वाराणसी; 'युवा प्रतिभा सम्मान' अखिल भारतीय विद्वत् परिषद् वाराणसी।
Reviews
There are no reviews yet.
Be the first to review “Ihamrig” Cancel reply
[wt-related-products product_id="test001"]
Related products
RELATED PRODUCTS
Ganeshshankar Vidyarthi – Volume 1 & 2
Save: 30%
Horaratnam of Srimanmishra Balabhadra (Vol. 2): Hindi Vyakhya
Save: 20%
Horaratnam of Srimanmishra Balbhadra (Vol. 1): Hindi Vyakhya
Save: 10%
Purn Safalta ka Lupt Gyan Bhag-1 | Dr.Virindavan Chandra Das
Save: 20%
Sacred Books of the East (50 Vols.)
Save: 10%
Reviews
There are no reviews yet.