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Hindu Pratirodh Gatha (Hindi)
Publisher:
Sarvatra
| Author:
Suresh Patwa
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Sarvatra
Author:
Suresh Patwa
Language:
Hindi
Format:
Paperback
₹599 ₹569
Save: 5%
In stock
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3-5 Days
In stock
Book Type |
---|
ISBN:
SKU
9789355433060
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
398
दुनिया में राज्य व्यवस्था आरम्भ होने के बाद से ही मनुष्यों को गुलाम बनाने की क़वायद भी शुरू हो गई थी। एक राज्य दूसरे राज्य को अधीन करने के निरंतर प्रयास करते रहते थे। विजित राज्य अधीनस्थ देश की जनता को आंशिक या पूरी आज़ादी देते थे। उनकी समवेत जीवन शैली उस समेकित राज्य की संस्कृति हो जाती थी। फिर साम्राज्यवाद का समय आया । जिसकी शुरुआत रोमन साम्राज्य से हुई मानी जाती है क्योंकि उनका लिखित इतिहास मिलता है। राज्यों को मिटाकर जब साम्राज्य स्थापित होने लगे तब साम्राज्यों ने विजित देशों को गुलामी के शिकंजे में कसना आरम्भ किया। पृथ्वी पर इस गुलामी को लादने वाली तीन शक्तियाँ मुख्य रही हैं- मसीही साम्राज्यवादी, इस्लामिक साम्राज्यवादी और कम्युनिस्ट साम्राज्यवादी । मसीही साम्राज्यवाद ने अमेरिकन महाद्वीपों, ऑस्ट्रेलिया-न्यूज़ीलैंड, अफ़्रीका और पश्चिमी एशिया को गुलामी में बांध उनकी संस्कृति को लुप्तप्रायः कर दिया। कम्युनिस्ट साम्राज्यवादी दर्शन ने रूस और चीन के अलावा कई देशों में पैर पसारे लेकिन अमेरिका के नेतृत्व में पूँजीवादी दर्शन ने उसे सफल नहीं होने दिया । इस्लामिक साम्राज्यवाद के गुलाम वंश ने पश्चिमी एशियाई देशों के साथ भारतीय उपमहाद्वीप को इस्लामिक गुलामी में जकड़ना आरम्भ किया लेकिन उसका विजय रथ हिंदुस्तान में आकर रुक गया। तभी से हिंदू-इस्लामिक सभ्यताओं के बीच संघर्ष चल रहा है। आज के आधुनिक लोकतांत्रिक भारत में भी यह संघर्ष राजनीतिक मोहरा बना हुआ है। यह पुस्तक आपको 712 से 1947 तक 1235 वर्षों में हिंदू चेतना की प्रतिरोध यात्रा को प्रमाण सहित बताएगी। आशा है इसे पाठकों का प्रतिसाद मिलेगा।
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Description
दुनिया में राज्य व्यवस्था आरम्भ होने के बाद से ही मनुष्यों को गुलाम बनाने की क़वायद भी शुरू हो गई थी। एक राज्य दूसरे राज्य को अधीन करने के निरंतर प्रयास करते रहते थे। विजित राज्य अधीनस्थ देश की जनता को आंशिक या पूरी आज़ादी देते थे। उनकी समवेत जीवन शैली उस समेकित राज्य की संस्कृति हो जाती थी। फिर साम्राज्यवाद का समय आया । जिसकी शुरुआत रोमन साम्राज्य से हुई मानी जाती है क्योंकि उनका लिखित इतिहास मिलता है। राज्यों को मिटाकर जब साम्राज्य स्थापित होने लगे तब साम्राज्यों ने विजित देशों को गुलामी के शिकंजे में कसना आरम्भ किया। पृथ्वी पर इस गुलामी को लादने वाली तीन शक्तियाँ मुख्य रही हैं- मसीही साम्राज्यवादी, इस्लामिक साम्राज्यवादी और कम्युनिस्ट साम्राज्यवादी । मसीही साम्राज्यवाद ने अमेरिकन महाद्वीपों, ऑस्ट्रेलिया-न्यूज़ीलैंड, अफ़्रीका और पश्चिमी एशिया को गुलामी में बांध उनकी संस्कृति को लुप्तप्रायः कर दिया। कम्युनिस्ट साम्राज्यवादी दर्शन ने रूस और चीन के अलावा कई देशों में पैर पसारे लेकिन अमेरिका के नेतृत्व में पूँजीवादी दर्शन ने उसे सफल नहीं होने दिया । इस्लामिक साम्राज्यवाद के गुलाम वंश ने पश्चिमी एशियाई देशों के साथ भारतीय उपमहाद्वीप को इस्लामिक गुलामी में जकड़ना आरम्भ किया लेकिन उसका विजय रथ हिंदुस्तान में आकर रुक गया। तभी से हिंदू-इस्लामिक सभ्यताओं के बीच संघर्ष चल रहा है। आज के आधुनिक लोकतांत्रिक भारत में भी यह संघर्ष राजनीतिक मोहरा बना हुआ है। यह पुस्तक आपको 712 से 1947 तक 1235 वर्षों में हिंदू चेतना की प्रतिरोध यात्रा को प्रमाण सहित बताएगी। आशा है इसे पाठकों का प्रतिसाद मिलेगा।
About Author
सुरेश चंद्र पटवा का जन्म 1952 में म.प्र. के होशंगाबाद जिले के सोहागपुर में हुआ । आपकी लेखन विधाएं कहानी, उपन्यास, इतिहास, लघुकथा, कविता, ग़ज़ल, वांग्मय, आध्यात्मिक साहित्य और यात्रा वृतांत हैं परंतु केंद्रीय विधा इतिहास व वांग्मय है, जिसके लिए आप जाने जाते हैं। आपकी कुल 12 कृतियाँ प्रकाशित हैं जिन्हें विभिन्न संस्थाओं ने सम्मानित किया है।
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