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HINDI KAVITA KE SAROKAR
Publisher:
Setu Prakashan
| Author:
DEVSHANKAR NAVIN
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Setu Prakashan
Author:
DEVSHANKAR NAVIN
Language:
Hindi
Format:
Paperback
₹599 ₹479
Save: 20%
In stock
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3-5 Days
In stock
ISBN:
SKU
9788119899272
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
अपने सामाजिक सरोकार और इतिहास-बोध के सहकार से ही कोई रचनाकार अपनी रचना-दृष्टि निर्धारित करता है। इतिहास-बोध और सामाजिक सरोकार से निरपेक्ष रचनाकारों की रचनाएँ हर हाल में चूका हुआ उद्यम होगा। ऐसी रचनाएँ शाश्वत तो क्या, तात्कालिक भी नहीं बन सकतीं। समकालीन यथार्थ का भाव-बोध वहन किये बिना किसी रचना के शाश्वत होने की कल्पना निरर्थक है।
‘हिन्दी कविता के सरोकार’ शीर्षक इस पुस्तक में यह चेष्टा सदैव जागृत रही है कि भावकों को हिन्दी कविता के समुज्ज्वल अतीत में झाँकने की दृष्टि मिले। तथ्यतः बीते इतिहास, बदलते भूगोल, प्रगतिकामी जनचेतना, अप्रत्याशित राजनीतिक वातावरण और लैंगिक संवेदनाओं की विवेकशील दृष्टि अपनाये बिना भारतीय साहित्य को समझना असम्भव है। इसलिए इन सभी बिन्दुओं पर सावधान आलोचना-दृष्टि रखते हुए, इस पुस्तक में कविता के सामाजिक सरोकार पर गम्भीरता से विचार किया गया है।
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Description
अपने सामाजिक सरोकार और इतिहास-बोध के सहकार से ही कोई रचनाकार अपनी रचना-दृष्टि निर्धारित करता है। इतिहास-बोध और सामाजिक सरोकार से निरपेक्ष रचनाकारों की रचनाएँ हर हाल में चूका हुआ उद्यम होगा। ऐसी रचनाएँ शाश्वत तो क्या, तात्कालिक भी नहीं बन सकतीं। समकालीन यथार्थ का भाव-बोध वहन किये बिना किसी रचना के शाश्वत होने की कल्पना निरर्थक है।
‘हिन्दी कविता के सरोकार’ शीर्षक इस पुस्तक में यह चेष्टा सदैव जागृत रही है कि भावकों को हिन्दी कविता के समुज्ज्वल अतीत में झाँकने की दृष्टि मिले। तथ्यतः बीते इतिहास, बदलते भूगोल, प्रगतिकामी जनचेतना, अप्रत्याशित राजनीतिक वातावरण और लैंगिक संवेदनाओं की विवेकशील दृष्टि अपनाये बिना भारतीय साहित्य को समझना असम्भव है। इसलिए इन सभी बिन्दुओं पर सावधान आलोचना-दृष्टि रखते हुए, इस पुस्तक में कविता के सामाजिक सरोकार पर गम्भीरता से विचार किया गया है।
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