Hindi Bhasha : Vikas Aur Swaroop

Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Kailash Chandra Bhatia
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Prabhat Prakashan
Author:
Kailash Chandra Bhatia
Language:
Hindi
Format:
Hardback

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24

हिंदी के ऐतिहासिक संदर्भ में जहाँ अपभ्रंश, अवहट्ट और पुरानी हिंदी का महत्त्व है, वहीं उसके स्वरूप-निर्धारण में उसकी उपभाषाओं-बोलियों का, विशेष रूप से ब्रजभाषा और अवधी का, अप्रतिम महत्त्व है। हिंदी की प्रमुख बोलियों और उनके प्र संबंध पर भी विवेचन प्रस्तुत किया गया है। हिंदी भाषा के मानकीकरण की समस्या भी है। प्रयोग क्षेत्र में हिंदी की कोई समानता नहीं है, जिसको हिंदी क्रियाओं के विविध प्रयोगों को लेकर प्रस्तुत किया गया है। इससे दो प्रयोगों में सूक्ष्म अंतर स्पष्ट हो सकेगा। शुद्ध हिंदी लिखने के लिए हिंदी व्याकरण के प्रमुख नियमों का ज्ञान भी आवश्यक है। अपनी अभिव्यक्ति का रंग-रूप निखारने के लिए व्याकरणसम्मत भाषा का प्रयोग अच्छा रहता है। पुस्तक की विषय-वस्तु बहुत सरल तथा सहज भाषा में प्रस्तुत की गई है, जिससे हिंदी भाषा के जिज्ञासु उससे अधिकाधिक लाभान्वित हो सकें।.

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Description

हिंदी के ऐतिहासिक संदर्भ में जहाँ अपभ्रंश, अवहट्ट और पुरानी हिंदी का महत्त्व है, वहीं उसके स्वरूप-निर्धारण में उसकी उपभाषाओं-बोलियों का, विशेष रूप से ब्रजभाषा और अवधी का, अप्रतिम महत्त्व है। हिंदी की प्रमुख बोलियों और उनके प्र संबंध पर भी विवेचन प्रस्तुत किया गया है। हिंदी भाषा के मानकीकरण की समस्या भी है। प्रयोग क्षेत्र में हिंदी की कोई समानता नहीं है, जिसको हिंदी क्रियाओं के विविध प्रयोगों को लेकर प्रस्तुत किया गया है। इससे दो प्रयोगों में सूक्ष्म अंतर स्पष्ट हो सकेगा। शुद्ध हिंदी लिखने के लिए हिंदी व्याकरण के प्रमुख नियमों का ज्ञान भी आवश्यक है। अपनी अभिव्यक्ति का रंग-रूप निखारने के लिए व्याकरणसम्मत भाषा का प्रयोग अच्छा रहता है। पुस्तक की विषय-वस्तु बहुत सरल तथा सहज भाषा में प्रस्तुत की गई है, जिससे हिंदी भाषा के जिज्ञासु उससे अधिकाधिक लाभान्वित हो सकें।.

About Author

कैलाशचंद्र भाटिया भाषा विज्ञान तथा हिंदी भाषा के विविध पक्षों पर अनुसंधान के साथ-साथ साहित्य की नवीन विधाओं की ओर प्रवृत्त। ‘मदन मोहन मालवीय पुरस्कार’, ‘अयोध्याप्रसाद खत्री पुरस्कार’, ‘नातालि पुरस्कार’, ‘सुब्रह्मण्यम भारती पुरस्कार’ आदि से सम्मानित। भूतपूर्व प्रोफेसर तथा अध्यक्ष, हिंदी तथा प्रादेशिक भाषाएँ, लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी, मसूरी। पूर्व निदेशक, वृंदावन शोध संस्थान, वृंदावन। भारत सरकार के अनेक मंत्रालयों की राजभाषा सलाहकार समितियों के सदस्य। रॉयल एशियाटिक सोसाइटी ऑफ इंग्लैंड के फेलो। ‘अंग्रेजी-हिंदी अभिव्यक्ति कोश’, ‘अंग्रेजी-हिंदी शब्दों का ठीक प्रयोग’, ‘हिंदी भाषाः विकास और स्वरूप’, ‘राजभाषा हिंदी’, ‘हिंदी की मानक वर्तनी’ तथा ‘हिंदी शब्द सामर्थ्य’ आदि अनेक प्रसिद्ध पुस्तकों के यशस्वी लेखक। स्मृति-शेष: 21 नवंबर, 2013। मोतीलाल चतुर्वेदी शिक्षा: एम.ए. (हिंदी एवं अंग्रेजी), पी-एच.डी.। अग्रवाल कॉलेज एवं किशोरी रमण कॉलेज, मथुरा में अध्यापन; व्याख्याता तथा सहायक निदेशक, हिंदी शिक्षण योजना, गृह मंत्रालय, भारत सरकार; अनुसंधान अधिकारी, राजभाषा विभाग; उपनिदेशक, राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय, भारत सरकार के पद से सेवामुक्त। प्रमुख रचनाएँ: ‘आपकी हिंदी’, ‘हिंदी: यादों की दूरबीन से’, ‘रेलवे प्रशासन में प्रयुक्त प्रशासनिक शब्दावली का व्याकरणिक एवं शब्दकोशीय अध्ययन’। संप्रति: वैदिक और उपनिषदीय अध्ययन एवं लेखन में संलग्न।.

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