SaleHardback
Hindi Aalochana Mein Canon Nirman Ki Prakriya (HB)
Publisher:
Rajkamal
| Author:
Mrityunjay
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Rajkamal
Author:
Mrityunjay
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹500 ₹350
Save: 30%
In stock
Ships within:
3-5 days
In stock
ISBN:
SKU
9788126727131
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
हिन्दी में ‘कैनन’ शब्द के लिए मान, मूल्य, प्रतिमान, मानक आदि शब्द प्रयुक्त किए जाते रहे हैं, लेकिन बतौर अवधारणा ‘कैनन’ के आशय का वहन इनमें से कोई भी शब्द नहीं करता। हाँ, हिन्दी आलोचना में सैद्धान्तिक बहसों से इस अवधारणा के कुछ सूत्र अवश्य निकाले जा सकते हैं।
बकौल लेखक, “मैंने पाया कि हिन्दी आलोचना में कैनन-निर्माण की प्रक्रिया इतिहास की बहसों से गहरे रची-बसी है। लगभग हर आलोचक ने अपने समय-समाज पर टिप्पणी की है। ये टिप्पणियाँ कभी सीधी राजनीतिक हैं तो कभी वे आलोचना के बीच से झाँकती हैं। अपने समय-समाज में चल रहे नवजागरण और हिन्दी आलोचना के उद्भव का सम्बन्ध बहुत घना है। हमारे राष्ट्र-निर्माण की प्रक्रिया से कैनन-निर्माण की प्रक्रिया का बहुत दूर तक सम्बन्ध है। जैसे-जैसे देश बन रहा था, वैसे-वैसे आलोचना के कैनन और उनके आधार भी बदल रहे थे।
…बाद इसके आलोचना के कैनन-निर्माण की प्रक्रिया मार्क्सवाद के समर्थन और विरोध की धुरी पर गतिशील रही। …अभी हिन्दी आलोचना में कैनन-निर्माण के लिहाज़ से अस्मिता-विमर्श, स्त्री और दलित-विमर्श महत्त्वपूर्ण हैं। इनसे जुड़े आलोचक पुराने कैननों और उनके निर्माण की प्रक्रियाओं पर प्रश्नचिह्न लगा रहे हैं।” इस पुस्तक में कैनन की व्युत्पत्ति, इतिहास, पश्चिमी आलोचना में कैनन पर हुए विमर्श, और तदुपरान्त हिन्दी आलोचना में मिश्र-बन्धु, रामचन्द्र शुक्ल, हजारीप्रसाद द्विवेदी, रामविलास शर्मा, मुक्तिबोध, नामवर सिंह और निर्मल वर्मा से होते हुए दलित तथा स्त्री-अस्मिता के विमर्शों तक की कैनन-निर्माण प्रक्रिया को समझने की कोशिश की गई है।
Be the first to review “Hindi Aalochana Mein Canon Nirman Ki Prakriya (HB)” Cancel reply
Description
हिन्दी में ‘कैनन’ शब्द के लिए मान, मूल्य, प्रतिमान, मानक आदि शब्द प्रयुक्त किए जाते रहे हैं, लेकिन बतौर अवधारणा ‘कैनन’ के आशय का वहन इनमें से कोई भी शब्द नहीं करता। हाँ, हिन्दी आलोचना में सैद्धान्तिक बहसों से इस अवधारणा के कुछ सूत्र अवश्य निकाले जा सकते हैं।
बकौल लेखक, “मैंने पाया कि हिन्दी आलोचना में कैनन-निर्माण की प्रक्रिया इतिहास की बहसों से गहरे रची-बसी है। लगभग हर आलोचक ने अपने समय-समाज पर टिप्पणी की है। ये टिप्पणियाँ कभी सीधी राजनीतिक हैं तो कभी वे आलोचना के बीच से झाँकती हैं। अपने समय-समाज में चल रहे नवजागरण और हिन्दी आलोचना के उद्भव का सम्बन्ध बहुत घना है। हमारे राष्ट्र-निर्माण की प्रक्रिया से कैनन-निर्माण की प्रक्रिया का बहुत दूर तक सम्बन्ध है। जैसे-जैसे देश बन रहा था, वैसे-वैसे आलोचना के कैनन और उनके आधार भी बदल रहे थे।
…बाद इसके आलोचना के कैनन-निर्माण की प्रक्रिया मार्क्सवाद के समर्थन और विरोध की धुरी पर गतिशील रही। …अभी हिन्दी आलोचना में कैनन-निर्माण के लिहाज़ से अस्मिता-विमर्श, स्त्री और दलित-विमर्श महत्त्वपूर्ण हैं। इनसे जुड़े आलोचक पुराने कैननों और उनके निर्माण की प्रक्रियाओं पर प्रश्नचिह्न लगा रहे हैं।” इस पुस्तक में कैनन की व्युत्पत्ति, इतिहास, पश्चिमी आलोचना में कैनन पर हुए विमर्श, और तदुपरान्त हिन्दी आलोचना में मिश्र-बन्धु, रामचन्द्र शुक्ल, हजारीप्रसाद द्विवेदी, रामविलास शर्मा, मुक्तिबोध, नामवर सिंह और निर्मल वर्मा से होते हुए दलित तथा स्त्री-अस्मिता के विमर्शों तक की कैनन-निर्माण प्रक्रिया को समझने की कोशिश की गई है।
About Author
मृत्युंजय
इलाहाबाद में पढ़ाई-लिखाई, ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन के साथ छात्र राजनीति में, फिलहाल जन-संस्कृति मंच में सक्रिय। 'समकालीन जनमत' के सम्पादक-मंडल में। कवि, अनुवादक, आलोचक। दो किताबें 'रसयात्रा' (पंडित मल्लिकार्जुन मंसूर की आत्मकथा) और 'स्याह हाशिये' (कविता-संग्रह) प्रकाशित।
सम्पर्क :mrityubodh@gmail.com
Reviews
There are no reviews yet.
Be the first to review “Hindi Aalochana Mein Canon Nirman Ki Prakriya (HB)” Cancel reply
[wt-related-products product_id="test001"]
Related products
RELATED PRODUCTS
Ganeshshankar Vidyarthi – Volume 1 & 2
Save: 30%
Horaratnam of Srimanmishra Balbhadra (Vol. 1): Hindi Vyakhya
Save: 10%
Horaratnam of Srimanmishra Balbhadra (Vol. 1): Hindi Vyakhya
Save: 10%
Purn Safalta ka Lupt Gyan Bhag-1 | Dr.Virindavan Chandra Das
Save: 20%
Sacred Books of the East (50 Vols.)
Save: 10%
Reviews
There are no reviews yet.