SaleHardback
Dakshin-Poorva Asia
Ka Praveshdwar Thailand
₹300 ₹225
Save: 25%
Baharon Ko Awaz
Deta Nahin Hoon
₹250 ₹188
Save: 25%
Himgiri Ki Gaurav Gathayen
Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Dr. Ambika Prasad Gaur
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Prabhat Prakashan
Author:
Dr. Ambika Prasad Gaur
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹300 ₹225
Save: 25%
In stock
Ships within:
1-4 Days
In stock
Book Type |
---|
ISBN:
Categories: General Fiction, Hindi
Page Extent:
16
प्रस्तुत सभी कहानियाँ लेखक की जन्मभूमि उत्तराखंड के जन-जीवन से संबंधित हैं। अधिकांश कहानियाँ लेखक द्वारा गढ़ी गई हैं किंतु कुछ कहानियाँ लोक में यत्र-तत्र बिखरी पड़ी, बहुधा लोकस्मृति में बसी हुई भी हैं, जिन्हें बड़ी श्रद्धा के साथ लेखक ने शब्दों में पिरोया है। इस संग्रह में सम्मिलित कहानियाँ अनेकानेक भावभूमियों पर आधारित हैं। सचमुच इन 32 कहानियों का वर्गीकरण करना हो तो कदाचित् एक दर्जन वर्ग निर्धारित करने पड़ेंगे। इनमें लोककथाएँ हैं, कहावतों पर आधारित कहानियाँ हैं, सैकड़ों वर्षों से लोकजीवन में दंतकथा के रूप में जीवित कहानियाँ हैं। इस संग्रह में पर्वतीय वीरों की कथाएँ हैं तो शृंगार और वात्सल्य की कहानियाँ भी हैं। इतना ही नहीं, इनसे पर्वतीय जीवनशैली, पर्वतीय देवी-देवताओं, मान्यताओं, विश्वासों तथा रीति-रिवाजों के संबंध में अनायास ही नई-नई जानकारियाँ पाठकों को प्राप्त होती हैं। लैंदी, खबोड़ और गलदार जैसे पहाड़ी बोली के सैकड़ों शब्दों का परिचय भी सहज ही हो जाता है। हिमगिरि के गौरव का जयघोष करनेवाली एक पठनीय कृति।.
Be the first to review “Himgiri Ki Gaurav
Gathayen” Cancel reply
Description
प्रस्तुत सभी कहानियाँ लेखक की जन्मभूमि उत्तराखंड के जन-जीवन से संबंधित हैं। अधिकांश कहानियाँ लेखक द्वारा गढ़ी गई हैं किंतु कुछ कहानियाँ लोक में यत्र-तत्र बिखरी पड़ी, बहुधा लोकस्मृति में बसी हुई भी हैं, जिन्हें बड़ी श्रद्धा के साथ लेखक ने शब्दों में पिरोया है। इस संग्रह में सम्मिलित कहानियाँ अनेकानेक भावभूमियों पर आधारित हैं। सचमुच इन 32 कहानियों का वर्गीकरण करना हो तो कदाचित् एक दर्जन वर्ग निर्धारित करने पड़ेंगे। इनमें लोककथाएँ हैं, कहावतों पर आधारित कहानियाँ हैं, सैकड़ों वर्षों से लोकजीवन में दंतकथा के रूप में जीवित कहानियाँ हैं। इस संग्रह में पर्वतीय वीरों की कथाएँ हैं तो शृंगार और वात्सल्य की कहानियाँ भी हैं। इतना ही नहीं, इनसे पर्वतीय जीवनशैली, पर्वतीय देवी-देवताओं, मान्यताओं, विश्वासों तथा रीति-रिवाजों के संबंध में अनायास ही नई-नई जानकारियाँ पाठकों को प्राप्त होती हैं। लैंदी, खबोड़ और गलदार जैसे पहाड़ी बोली के सैकड़ों शब्दों का परिचय भी सहज ही हो जाता है। हिमगिरि के गौरव का जयघोष करनेवाली एक पठनीय कृति।.
About Author
डॉ. अम्बिका प्रसाद गौड़ जन्म: 23 अगस्त, 1968 को बैरकपुर छावनी, कलकत्ता में। मूल स्थान: पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड। शिक्षा: बी.एस-सी., एम.ए. (अंग्रेजी), बी.एड., एम.बी.ए., एम.एम.एम., पी-एच.डी.। कार्यक्षेत्र: विद्यालय प्रबंधन एवं प्रबंध शास्त्र का अध्यापन; अंग्रेजी एवं हिंदी भाषाओं में लेखन; अभिप्रेरक, सामाजिक सरोकारों के वक्ता; आकाशवाणी एवं दूरदर्शन, वाराणसी में वार्त्ता प्रस्तुति। रचना-संसार: (हिंदी) भवानी सिंह, तापर भी कुछ और, एकदा उत्तरांचले (उपन्यास), हिमाद्रि के इस पार (कहानी-संग्रह)। (अंग्रेजी) ॥ Help Book in English Class IX, Export of Carpets from Eastern U.P., Business Studies for Class-11 and Class-12, Think Big एवं एक दर्जन से अधिक रिसर्च पेपर प्रकाशित। पुरस्कार-सम्मान: अवंतिका (प्रियदर्शनी) सम्मान, काशी नवरत्न सम्मान, काशी गौरव अलंकरण, अवंतिका (ए.पी.जे. अब्दुल कलाम) सम्मान। संप्रति: प्रधानाचार्य (अंग्रेजी माध्यम विद्यालय), वाराणसी।
Reviews
There are no reviews yet.
Be the first to review “Himgiri Ki Gaurav
Gathayen” Cancel reply
[wt-related-products product_id="test001"]
Reviews
There are no reviews yet.