HERO KI KAHANI: Chaar Bhaiyon ka Audyogik Chamatkaar (HINDI)

Publisher:
MANJUL
| Author:
SUNIL KANT MUNJAL
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
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MANJUL
Author:
SUNIL KANT MUNJAL
Language:
Hindi
Format:
Paperback

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1940 के दशक में उन्हें कमालिया की सँकरी गलियों और अविभाजित हिंदुस्तान के क्वेटा (अब पाकिस्तान में) के ऊबड़-खाबड़ भू-भाग से अमृतसर, आगरा, और दिल्ली आना पड़ा। ये शहर बँटवारे के दर्द से उजड़ चुके थे। और अंत में वे लुधियाना में बस गए। उस वक़्त शरीर पर पहने कपड़ों के अलावा उनके पास कुछ नहीं था। यहीं से, छह मुन्जाल बंधुओं में से चार ने तिनका-तिनका करके अपना कारोबार खड़ा किया। विश्व-स्तरीय उद्यम विकसित करने का कोई बड़ा सपना नहीं था। उनका मक़सद स़िर्फ अपना अस्तित्व बनाए रखना और परिवार के लिए जीवनयापन के साधन जुटाना था। हीरो ने साइकिल पार्ट्स का कारोबार शुरू किया और फिर साइकिल, मोपेड, ऑटोमोटिव पार्ट्स, मोटरसाइकिल और स्कूटर का उत्पादन किया और आज पुनर्गठित समूह सर्विस बिज़नेस और आधारभूत संरचना के क्षेत्रों से भी व्यापक रूप से जुड़ा है। अपनी स्थापना के तीस साल बाद 1986 में हीरो साइकिल्स दुनिया की सबसे बड़ी साइकिल निर्माता कंपनी बन गई। अगले पंद्रह वर्षों में मोटरसाइकिल उद्यम हीरो होंडा भी दुनिया में सबसे बड़ा बन गया, और इन दोनों ही स्थानों पर हीरो समूह आज भी मज़बूती से बना हुआ है। जटिल लालफ़ीताशाही, धीमे आर्थिक विकास और बाद में वैश्विक प्रतिस्पर्धा जैसे कई अवरोधों को पार करने के बारे में यह ‘मेक इन इंडिया’ की एक प्रामाणिक कहानी है। यह उन चार मुन्जाल भाइयों के जीवन और उनके वक़्त की कहानी भी है, जो एक साथ रहते थे और उन्होंने किसी औपचारिक शिक्षा या संसाधनों के बिना दो पहियों पर एक चमत्कारिक क्रांति का इतिहास लिख दिया। समानांतर रूप से यह किताब इस बात की कहानी भी है कि कैसे भारत जैसी कृषि अर्थव्यवस्था ने परिवहन के सीमित साधनों के साथ, इस दो-पहिया क्रांति पर सवार होकर उड़ान भरी। पारिवारिक मूल्यों और भारतीय लोकाचारों से प्रेरित होने के बावजूद हीरो समूह की कंपनियाँ अपनी सोच और सर्वोत्तम कार्यप्रणाली में आधुनिक और अग्रणी हैं। इसी आधार पर अपने व्यापार दर्शन के अनुरूप हीरो की कंपनियाँ प्र रूप से लाभप्रद व्यापारिक संबंध विकसित करने लिए विख्यात हैं। यह किताब उस ‘पारिवारिक भावना’ को गहराई से प्रस्तुत करती है, जिसने पिछले सात दशकों में लाखों लोगों के लिए सफलता, कल्याण और समृद्धि का सृजन करने के उद्देश्य से कर्मचारियों, ग्राहकों, चैनल पार्टनरों, आपूर्तिकर्ताओं और स्थानीय समुदायों को एकजुट किया है। यह एक दुर्लभ कहानी है, जिससे साबित होता है कि सिद्धांतों से प्रेरित कोई संगठन समाज के लिए असाधारण मूल्य का सृजन कैसे कर सकता है।.

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1940 के दशक में उन्हें कमालिया की सँकरी गलियों और अविभाजित हिंदुस्तान के क्वेटा (अब पाकिस्तान में) के ऊबड़-खाबड़ भू-भाग से अमृतसर, आगरा, और दिल्ली आना पड़ा। ये शहर बँटवारे के दर्द से उजड़ चुके थे। और अंत में वे लुधियाना में बस गए। उस वक़्त शरीर पर पहने कपड़ों के अलावा उनके पास कुछ नहीं था। यहीं से, छह मुन्जाल बंधुओं में से चार ने तिनका-तिनका करके अपना कारोबार खड़ा किया। विश्व-स्तरीय उद्यम विकसित करने का कोई बड़ा सपना नहीं था। उनका मक़सद स़िर्फ अपना अस्तित्व बनाए रखना और परिवार के लिए जीवनयापन के साधन जुटाना था। हीरो ने साइकिल पार्ट्स का कारोबार शुरू किया और फिर साइकिल, मोपेड, ऑटोमोटिव पार्ट्स, मोटरसाइकिल और स्कूटर का उत्पादन किया और आज पुनर्गठित समूह सर्विस बिज़नेस और आधारभूत संरचना के क्षेत्रों से भी व्यापक रूप से जुड़ा है। अपनी स्थापना के तीस साल बाद 1986 में हीरो साइकिल्स दुनिया की सबसे बड़ी साइकिल निर्माता कंपनी बन गई। अगले पंद्रह वर्षों में मोटरसाइकिल उद्यम हीरो होंडा भी दुनिया में सबसे बड़ा बन गया, और इन दोनों ही स्थानों पर हीरो समूह आज भी मज़बूती से बना हुआ है। जटिल लालफ़ीताशाही, धीमे आर्थिक विकास और बाद में वैश्विक प्रतिस्पर्धा जैसे कई अवरोधों को पार करने के बारे में यह ‘मेक इन इंडिया’ की एक प्रामाणिक कहानी है। यह उन चार मुन्जाल भाइयों के जीवन और उनके वक़्त की कहानी भी है, जो एक साथ रहते थे और उन्होंने किसी औपचारिक शिक्षा या संसाधनों के बिना दो पहियों पर एक चमत्कारिक क्रांति का इतिहास लिख दिया। समानांतर रूप से यह किताब इस बात की कहानी भी है कि कैसे भारत जैसी कृषि अर्थव्यवस्था ने परिवहन के सीमित साधनों के साथ, इस दो-पहिया क्रांति पर सवार होकर उड़ान भरी। पारिवारिक मूल्यों और भारतीय लोकाचारों से प्रेरित होने के बावजूद हीरो समूह की कंपनियाँ अपनी सोच और सर्वोत्तम कार्यप्रणाली में आधुनिक और अग्रणी हैं। इसी आधार पर अपने व्यापार दर्शन के अनुरूप हीरो की कंपनियाँ प्र रूप से लाभप्रद व्यापारिक संबंध विकसित करने लिए विख्यात हैं। यह किताब उस ‘पारिवारिक भावना’ को गहराई से प्रस्तुत करती है, जिसने पिछले सात दशकों में लाखों लोगों के लिए सफलता, कल्याण और समृद्धि का सृजन करने के उद्देश्य से कर्मचारियों, ग्राहकों, चैनल पार्टनरों, आपूर्तिकर्ताओं और स्थानीय समुदायों को एकजुट किया है। यह एक दुर्लभ कहानी है, जिससे साबित होता है कि सिद्धांतों से प्रेरित कोई संगठन समाज के लिए असाधारण मूल्य का सृजन कैसे कर सकता है।.

About Author

सुनील कान्त मुन्जाल हीरो समूह के संस्थापक बृजमोहन लाल मुन्जाल के सबसे छोटे बेटे हैं। वे नए उपक्रमों की स्थापना करने के साथ ही हीरो समूह को रणनीतिक विचार भी प्रदान करते हैं। पहले वे हीरो मोटोकॉर्प (पूर्व में हीरो होंडा) के संयुक्त प्रबंध निदेशक थे और वर्तमान में हीरो एंटरप्राइज़ के चेयरमैन हैं। हीरो एंटरप्राइज़ सर्विस और मैन्यु़फैक्चरिंग सहित अनेक विविध क्षेत्रों में कारोबार कर रहा है। उन्होंने न केवल भारत, बल्कि दुनियाभर में ई-कॉमर्स और हॉस्पिटैलिटी सहित अनेक क्षेत्रों में रणनीतिक निवेश किया है। उच्च शिक्षा, हेल्थकेयर और क्षमता-निर्माण से जुड़ी परियोजनाओं की निगरानी वे स्वयं सक्रिय रूप से करते हैं। इन परियोजनाओं का प्रबंधन मुन्जाल परिवार के विभिन्न ट्रस्ट करते हैं। उन्होंने सेरेंडिपिटी आर्ट्स फ़ाउंडेशन की स्थापना की है, जिसका लक्ष्य कलाओं के संरक्षण की प्रणाली को पुनर्जीवित करना है। यह फ़ाउंडेशन अब एक बहुविषयक कला उत्सव का आयोजन करता है, जिसे दुनिया के प्रमुख कला उत्सवों में गिना जाता है।.

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