Hari Katha Anantaa “हरि कथा अनंता” Book in Hindi

Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Rajendra Arun
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
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Prabhat Prakashan
Author:
Rajendra Arun
Language:
Hindi
Format:
Paperback

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राम का भक्‍त-वत्सल एवं जन-उद्धारक चरित सदैव भक्‍तों को लुभाता रहा है; लेकिन उनका उदात्त जीवन जीने का संकल्प मानवता के लिए सनातन पाथेय बना हुआ है। मानवीय सम्बन्धों को जिस गरिमा के साथ राम अपने आचरण में साकार करते हैं, वह हर सुसंस्कृत मनुष्य का ललकपूर्ण प्राप्य है। इसीलिए राम कभी पुराने नहीं पड़ते। उनका स्मरण सदैव हमारे मन-प्राण को ताजगीपूर्ण सुवास से भर देता है।

आखिर राम जन-मन को इतने प्रिय क्यों हैं? राम इतने विशिष्‍ट क्यों हैं? राम समस्त अवतारों में सर्वाधिक दु:ख उठानेवाले हैं, इसीलिए सर्वाधिक सुख देनेवाले भी हैं। भक्‍त-वत्सल प्रभु भक्‍त के दु:ख की पीड़ा के दंश को स्वयं जानते हैं। अत: वे अपने भक्‍तों को कभी भी दु:ख की आग में नहीं पड़ने देते।

मूल्यों एवं आदर्शों से हीन जीवन हिन्दू मन को कभी रास नहीं आता है, इसीलिए समस्त अवतारों में उसने श्रीराम को सर्वाधिक आस्था व दृढ़ता से अपनाये रखा है।

प्रस्तुत पुस्तक ‘हरि कथा अनन्ता’ में राम और रामायण के मर्म की व्यावहारिक व्याख्या की गई है। प्रभु राम की कीर्ति-गाथा को इसमें बड़ी श्रद्धा के साथ वर्णित किया गया है। आशा है, इसे पढ़कर सुधी पाठकों को अधिक आनन्द और रस आयेगा।

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Description

राम का भक्‍त-वत्सल एवं जन-उद्धारक चरित सदैव भक्‍तों को लुभाता रहा है; लेकिन उनका उदात्त जीवन जीने का संकल्प मानवता के लिए सनातन पाथेय बना हुआ है। मानवीय सम्बन्धों को जिस गरिमा के साथ राम अपने आचरण में साकार करते हैं, वह हर सुसंस्कृत मनुष्य का ललकपूर्ण प्राप्य है। इसीलिए राम कभी पुराने नहीं पड़ते। उनका स्मरण सदैव हमारे मन-प्राण को ताजगीपूर्ण सुवास से भर देता है।

आखिर राम जन-मन को इतने प्रिय क्यों हैं? राम इतने विशिष्‍ट क्यों हैं? राम समस्त अवतारों में सर्वाधिक दु:ख उठानेवाले हैं, इसीलिए सर्वाधिक सुख देनेवाले भी हैं। भक्‍त-वत्सल प्रभु भक्‍त के दु:ख की पीड़ा के दंश को स्वयं जानते हैं। अत: वे अपने भक्‍तों को कभी भी दु:ख की आग में नहीं पड़ने देते।

मूल्यों एवं आदर्शों से हीन जीवन हिन्दू मन को कभी रास नहीं आता है, इसीलिए समस्त अवतारों में उसने श्रीराम को सर्वाधिक आस्था व दृढ़ता से अपनाये रखा है।

प्रस्तुत पुस्तक ‘हरि कथा अनन्ता’ में राम और रामायण के मर्म की व्यावहारिक व्याख्या की गई है। प्रभु राम की कीर्ति-गाथा को इसमें बड़ी श्रद्धा के साथ वर्णित किया गया है। आशा है, इसे पढ़कर सुधी पाठकों को अधिक आनन्द और रस आयेगा।

About Author

मॉरीशस में पं. राजेन्द्र अरुण ‘रामायण गुरु’ के नाम से जाने जाते हैं। उनके अथक प्रयत्न से सन् 2001 में मॉरीशस की संसद् ने सर्वसम्मति से एक अधिनियम (ऐक्ट) पारित करके रामायण सेण्टर की स्थापना की। यह सेण्टर विश्‍व की प्रथम संस्था है, जिसे रामायण के आदर्शों के प्रचार के लिए किसी देश की संसद् ने स्थापित किया है। पं. राजेन्द्र अरुण इसके अध्यक्ष हैं। 29 जुलाई, 1945 को भारत के फैजाबाद जिले के गाँव नरवापितम्बरपुर में जनमे पं. राजेन्द्र्र अरुण ने प्रयाग विश्‍‍वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्‍त करने के बाद पत्रकारिता को व्यवसाय के रूप में चुना। सन् 1973 में वह मॉरीशस गये और मॉरीशस के तत्कालीन प्रधानमन्त्री डॉ. सर शिवसागर रामगुलाम के हिन्दी पत्र ‘जनता’ के सम्पादक बने। उन्होंने वहाँ रहते हुए ‘समाचार’ यू.एन.आई. और ‘हिन्दुस्तान समाचार’ जैसी न्यूज एजेंसियों के संवाददाता के रूप में भी काम किया। सन् 1983 से पं. अरुण रामायण के कार्य में जुट गये। उन्होंने नूतन-ललित शैली में रामायण के व्यावहारिक आदर्शों को जन-जन तक पहुँचाने का संकल्प लिया है। रेडियो, टेलीविजन, प्रवचन और लेखन से वे अपने शुभ संकल्प को साकार कर रहे हैं।

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