SaleSold outPaperback
Shadi Ka Album (HB)
₹395 ₹316
Save: 20%
Sampurna Kahaniyan : Mridula Garg (PB)
₹699 ₹489
Save: 30%
Had Behad (PB)
Publisher:
Rajkamal
| Author:
KESHAV
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Rajkamal
Author:
KESHAV
Language:
Hindi
Format:
Paperback
₹299 ₹209
Save: 30%
Out of stock
Receive in-stock notifications for this.
Ships within:
3-5 days
Out of stock
ISBN:
SKU
9789392757310
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
‘हद-बेहद’ बहुत ख़ूबसूरत प्रौढ़ प्रेम-उपन्यास है बल्कि इसे प्रेम का दर्शन भी कह सकते हैं। संस्कार और इन्दिरा की यह कहानी प्रेम में कुछ पाने या खोने की कथा नहीं है। यहाँ प्रेम में न देह का नकार है न उसका विकृत अट्टहास। प्रेम यहाँ धीरे-धीरे आकार लेता है और मन को मन से मिलाकर एक सामाजिक दायित्व बन जाता है।
संस्कार दलित समाज से आता है और इन्दिरा सवर्ण समाज से लेकिन दोनों का अनुराग ऐसा है कि जाति आड़े नहीं आती। दोनों साथ पढ़ते हैं। स्कूल में एक लड़का संस्कार को उसकी जाति के बहाने अपमानित करता है पर इन्दिरा संस्कार के साथ खड़ी रहती है। अपने संस्कारों के कारण संस्कार प्रेम में देह को महत्त्व नहीं देता लेकिन इन्दिरा की ऐसी कोई वर्जना नहीं है, उसके लिए निष्ठा और समर्पण ज़्यादा महत्त्वपूर्ण हैं। संस्कार शर्मीला है। इन्दिरा दबंग। वह उसके लिए पहेली की तरह है। ऐसा नहीं कि इससे पहले संस्कार के जीवन में लड़कियाँ नहीं आईं। दो लड़कियों ने उसके सहारे अपने बन्धनों को तोड़ने का प्रयास किया और संस्कार को भी प्रेरित किया लेकिन पिता के ट्रांसफर के बाद संस्कार के रिश्ते टूट गए। तीसरा रिश्ता एक ज़मींदार की बेटी का था जो प्रेम को सिर्फ़ देह की भूख समझती थी। संस्कार ने उससे अपमान पाया। यह गाँठ उसे इन्दिरा के साथ भी सहज नहीं होने देती। एक रात कमरे में साथ पढ़ते हुए इन्दिरा संस्कार की देह से जुड़ने का प्रयास करती है। संस्कार असहज हो जाता है। उसके पिता इस क्षण को देख लेते हैं क्या होता है उसके बाद? लेखक ने बहुत रोचक ढंग से यह सरस कथा बुनी है। इसे पढ़ना एक सुखद और नवीन अनुभूति है।
दरअसल, पूरा उपन्यास प्रेम में स्त्री-पुरुष मुक्ति का दर्शन है।
—शशिभूषण द्विवेदी
Be the first to review “Had Behad (PB)” Cancel reply
Description
‘हद-बेहद’ बहुत ख़ूबसूरत प्रौढ़ प्रेम-उपन्यास है बल्कि इसे प्रेम का दर्शन भी कह सकते हैं। संस्कार और इन्दिरा की यह कहानी प्रेम में कुछ पाने या खोने की कथा नहीं है। यहाँ प्रेम में न देह का नकार है न उसका विकृत अट्टहास। प्रेम यहाँ धीरे-धीरे आकार लेता है और मन को मन से मिलाकर एक सामाजिक दायित्व बन जाता है।
संस्कार दलित समाज से आता है और इन्दिरा सवर्ण समाज से लेकिन दोनों का अनुराग ऐसा है कि जाति आड़े नहीं आती। दोनों साथ पढ़ते हैं। स्कूल में एक लड़का संस्कार को उसकी जाति के बहाने अपमानित करता है पर इन्दिरा संस्कार के साथ खड़ी रहती है। अपने संस्कारों के कारण संस्कार प्रेम में देह को महत्त्व नहीं देता लेकिन इन्दिरा की ऐसी कोई वर्जना नहीं है, उसके लिए निष्ठा और समर्पण ज़्यादा महत्त्वपूर्ण हैं। संस्कार शर्मीला है। इन्दिरा दबंग। वह उसके लिए पहेली की तरह है। ऐसा नहीं कि इससे पहले संस्कार के जीवन में लड़कियाँ नहीं आईं। दो लड़कियों ने उसके सहारे अपने बन्धनों को तोड़ने का प्रयास किया और संस्कार को भी प्रेरित किया लेकिन पिता के ट्रांसफर के बाद संस्कार के रिश्ते टूट गए। तीसरा रिश्ता एक ज़मींदार की बेटी का था जो प्रेम को सिर्फ़ देह की भूख समझती थी। संस्कार ने उससे अपमान पाया। यह गाँठ उसे इन्दिरा के साथ भी सहज नहीं होने देती। एक रात कमरे में साथ पढ़ते हुए इन्दिरा संस्कार की देह से जुड़ने का प्रयास करती है। संस्कार असहज हो जाता है। उसके पिता इस क्षण को देख लेते हैं क्या होता है उसके बाद? लेखक ने बहुत रोचक ढंग से यह सरस कथा बुनी है। इसे पढ़ना एक सुखद और नवीन अनुभूति है।
दरअसल, पूरा उपन्यास प्रेम में स्त्री-पुरुष मुक्ति का दर्शन है।
—शशिभूषण द्विवेदी
About Author
केशव
केशव का जन्म हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में अप्रैल, 1949 में हुआ। चंडीगढ़ में अंग्रेज़ी से एम.ए. किया। वहीं इन्द्रनाथ मदान से आगे बढ़ने की प्रेरणा पाई।
केशव को शिवालिक के जीवन और परिवेश की मोहक और दाहक छवियाँ एक साथ प्राप्त हुईं, जो उनके गद्य और पद्य में जगह-जगह दिखती हैं।
अंद्रेटा में प्रसिद्ध आयरिश अभिनेत्री नोरा रिचर्ड से केशव की अंतरंग मुलाक़ातों ने उनके एलीट व्यक्तित्व में लोक संस्कार रोपे तो सरदार शोभा सिंह की कलात्मक गूँजों-अनुगूँजों ने उनकी सर्जनात्मकता को धार और धूप दी, जिससे अन्ततः वे हिन्दी के सिद्ध सर्जक के रूप में उभर आए।
हवाघर, आखेट, डेमन ट्रैप (उपन्यास); रक्तबीज, फासला, अलाव (कहानी-संग्रह); अलगाव, एक सूनी यात्रा, ओ पवित्र नदी, धरती होने का सुख, धूप के जल में (कविता-संग्रह) उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं।
हिमाचल प्रदेश का पहला ‘गुलेरी सम्मान’ पाने वाले केशव को ‘हिमाचल अकादमी पुरस्कार’ के अलावा बिहार से ‘नई धारा सम्मान’ मिला। पिछले दिनों उन्हें ‘शान-ए-हिमाचल’ अवार्ड से अलंकृत किया गया।
Reviews
There are no reviews yet.
Be the first to review “Had Behad (PB)” Cancel reply
[wt-related-products product_id="test001"]
Related products
Arthashastra: Vyasthi Arthshashtra Ke Sidhant – Semester I
Save: 10%
Antarrashtriya Sambandhon ke Siddhanta: Ek Parichay (Hindi)
Save: 10%
RELATED PRODUCTS
Antarrashtriya Sambandhon ke Siddhanta: Ek Parichay (Hindi)
Save: 10%
Arthashastra: Vyasthi Arthshashtra Ke Sidhant – Semester I
Save: 10%
Ganeshshankar Vidyarthi – Volume 1 & 2
Save: 30%
Horaratnam of Srimanmishra Balbhadra (Vol. 1): Hindi Vyakhya
Save: 45%
Purn Safalta ka Lupt Gyan Bhag-1 | Dr.Virindavan Chandra Das
Save: 20%
Sacred Books of the East (50 Vols.)
Save: 45%
UGC NET/SET/JRF Paper2-Hindi Bhasha Sahitya [Hindi Edition]
Save: 10%
Reviews
There are no reviews yet.