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Gitashastram
Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
C. Radhakrishan
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Prabhat Prakashan
Author:
C. Radhakrishan
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹900 ₹630
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In stock
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1-4 Days
In stock
Book Type |
---|
ISBN:
SKU
9789387980051
Categories Dharma/Religion, Hindi
Categories: Dharma/Religion, Hindi
Page Extent:
54
हिंदू वाङ्मय की समृद्ध परंपरा में सबसे प्रमुख श्रीमद्भगवद्गीता की बहुत सारी व्याख्याएँ मिल सकती हैं। पर मनुष्य के विकास के साथ उसके प्रति दृष्टिकोण और उसकी व्याख्या में परिवर्तन होते ही रहते हैं। नहीं तो एकमात्र व्याख्या पर्याप्त थी। व्याख्याओं की परंपरा में इस एक नई व्याख्या का आधार यह है कि इसमें गीता के प्रति एक वैज्ञानिक का दृष्टिकोण हमें प्राप्त होता है। गीता को ‘गीताशास्त्रम्’ कहा जाता है, पर यह शास्त्र अध्यात्म शास्त्र है। लेकिन उस अध्यात्म शास्त्र के पीछे भी कुछ विज्ञान छिपा हुआ है तो वह क्या हो सकता है, इसी की खोज सी. राधाकृष्णन ने की है। गीता में अध्यात्म, काव्य, योग, भक्ति आदि बहुत सारे शास्त्र हैं, उनके साथ-साथ भौतिक विज्ञान की दृष्टि से अवलोकन और व्याख्या अत्यंत रोचक और आकर्षक बन पड़ी है।.
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Description
हिंदू वाङ्मय की समृद्ध परंपरा में सबसे प्रमुख श्रीमद्भगवद्गीता की बहुत सारी व्याख्याएँ मिल सकती हैं। पर मनुष्य के विकास के साथ उसके प्रति दृष्टिकोण और उसकी व्याख्या में परिवर्तन होते ही रहते हैं। नहीं तो एकमात्र व्याख्या पर्याप्त थी। व्याख्याओं की परंपरा में इस एक नई व्याख्या का आधार यह है कि इसमें गीता के प्रति एक वैज्ञानिक का दृष्टिकोण हमें प्राप्त होता है। गीता को ‘गीताशास्त्रम्’ कहा जाता है, पर यह शास्त्र अध्यात्म शास्त्र है। लेकिन उस अध्यात्म शास्त्र के पीछे भी कुछ विज्ञान छिपा हुआ है तो वह क्या हो सकता है, इसी की खोज सी. राधाकृष्णन ने की है। गीता में अध्यात्म, काव्य, योग, भक्ति आदि बहुत सारे शास्त्र हैं, उनके साथ-साथ भौतिक विज्ञान की दृष्टि से अवलोकन और व्याख्या अत्यंत रोचक और आकर्षक बन पड़ी है।.
About Author
सी. राधाकृष्णन का जन्म 15 फरवरी, 1939 को केरल के मलप्पुरम जिले के चम्रवट्टम गाँव में हुआ। वे मलयालम के बहुचर्चित साहित्यकार एवं फिल्मकार हैं। उपन्यास, कहानी, नाटक, कविता, बालसाहित्य, निबंध जैसी कई साहित्यिक विधाओं में अब तक उनकी 78 कृतियाँ प्रकाशित हैं। साहित्य अकादेमी पुरस्कार, मूर्तिदेवी पुरस्कार, एषुत्तच्छन् पुरस्कार (केरल सरकार) आदि अनेक पुरस्कारों से अलंकृत। भौतिक शास्त्र में उनके अनुसंधानों का प्रकाशन ‘अव्यक्त—द फैब्रिक ऑफ स्पेस’ शीर्षक से हुआ है। ‘गीताविज्ञान’ गीता की वैज्ञानिक व्याख्या है, जो सभी सांसारिक दुःखों व समस्याओं से विदा लेकर सुखी जीवन बिताने के लिए ‘गीता’ किस प्रकार सहायक हो सकती है, इसकी खोज करती है। डॉ. के.सी. अजय कुमार का जन्म 1964 में केरल के पत्तनमतिट्टा जिले के कटप्रा गाँव में हुआ। हिंदी में ‘सूर्यगायत्री’, ‘कालिदास’ उपन्यासों सहित चार रचनाएँ प्रकाशित। मलयालम में चार उपन्यासों के अतिरिक्त डॉ. नरेंद्र कोहली के 11 उपन्यास, रवींद्रनाथ ठाकुर की संपूर्ण कहानियाँ, ‘गोरा’ उपन्यास, संदीप वसलेकर की ‘नए भारत का निर्माण’, अनिल माधव दवे की ‘छत्रपति शिवाजी: सुशासन का नमूना’ आदि का मलयालम में अनुवाद किया है। केंद्रीय सरकार हिंदीतर भाषी हिंदी लेखक पुरस्कार तथा साहित्य अकादेमी अनुवाद पुरस्कार से सम्मानित।.
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