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Giraftari
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गिरफ़्तारी –
फ्रांत्स काफ़्का 20वीं सदी के महान लेखकों में माने जाते हैं। पेशे से वो क़ानूनी दाँवपेंच जाननेवाली एक बीमा कम्पनी में काम करते रहे। फ्रांत्स इतने ज़्यादा अन्तर्मुखी थे कि उन्होंने अपने जीवन काल में अपनी कोई भी पुस्तक छपने नहीं दिया। काफ़्का अपने पिता के दबंग व्यक्तित्व से बहुत प्रभावित रहे। इतना डरते थे कि अपने पिता से कभी खुल के कुछ न कह सके। अन्दर जो मन में भरता चला जाता था, काफ़्का उसकी काग़ज़ पर उतारते चले जाते ‘पिता के नाम पत्र’ उनकी ऐसी किताब है जो युवा मन की पीड़ा को अजर-अमर कर गयी।
‘द ट्रायल’ 20वीं शताब्दी के यूरोपीय साहित्य का सबसे प्रभावी उपन्यास माना जाता है। जर्मन भाषा में लिखे गये इस उपन्यास के लेखक फ्रांत्स काफ़्का को 20वीं ही नहीं 21वीं सदी का भी एक ऐसा सशक्त लेखक माना जाता है जिसकी कृतियों ने अर्न्तराष्ट्रीय स्तर पर एक नयी साहित्यिक हलचल पैदा कर डाली। आधुनिक विश्व की तथाकथित आधुनिक व्यवस्थाओं के बीच बिखरते समाज में आदमी कितना अकेला और असहाय पड़ गया है काफ़्का की कृतियाँ उसका दस्तावेज़ हैं।
‘ट्रायल’ ने उपन्यास लेखन के क्षेत्र में अद्भुत अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त की है। ‘ट्रायल’ यानी गिरफ़्तारी का हिन्दी छायानुवाद एक नया प्रयोग है। नाटक के क्षेत्र में ये ‘ट्रायल’ पहला नाट्य रूपान्तरण है जो हिन्दुस्तान की वर्तमान सामाजिक, प्रशासनिक, क़ानूनी व्यवस्थाओं में सटीक बैठता है। बेहद पठनीय पुस्तक।
गिरफ़्तारी –
फ्रांत्स काफ़्का 20वीं सदी के महान लेखकों में माने जाते हैं। पेशे से वो क़ानूनी दाँवपेंच जाननेवाली एक बीमा कम्पनी में काम करते रहे। फ्रांत्स इतने ज़्यादा अन्तर्मुखी थे कि उन्होंने अपने जीवन काल में अपनी कोई भी पुस्तक छपने नहीं दिया। काफ़्का अपने पिता के दबंग व्यक्तित्व से बहुत प्रभावित रहे। इतना डरते थे कि अपने पिता से कभी खुल के कुछ न कह सके। अन्दर जो मन में भरता चला जाता था, काफ़्का उसकी काग़ज़ पर उतारते चले जाते ‘पिता के नाम पत्र’ उनकी ऐसी किताब है जो युवा मन की पीड़ा को अजर-अमर कर गयी।
‘द ट्रायल’ 20वीं शताब्दी के यूरोपीय साहित्य का सबसे प्रभावी उपन्यास माना जाता है। जर्मन भाषा में लिखे गये इस उपन्यास के लेखक फ्रांत्स काफ़्का को 20वीं ही नहीं 21वीं सदी का भी एक ऐसा सशक्त लेखक माना जाता है जिसकी कृतियों ने अर्न्तराष्ट्रीय स्तर पर एक नयी साहित्यिक हलचल पैदा कर डाली। आधुनिक विश्व की तथाकथित आधुनिक व्यवस्थाओं के बीच बिखरते समाज में आदमी कितना अकेला और असहाय पड़ गया है काफ़्का की कृतियाँ उसका दस्तावेज़ हैं।
‘ट्रायल’ ने उपन्यास लेखन के क्षेत्र में अद्भुत अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त की है। ‘ट्रायल’ यानी गिरफ़्तारी का हिन्दी छायानुवाद एक नया प्रयोग है। नाटक के क्षेत्र में ये ‘ट्रायल’ पहला नाट्य रूपान्तरण है जो हिन्दुस्तान की वर्तमान सामाजिक, प्रशासनिक, क़ानूनी व्यवस्थाओं में सटीक बैठता है। बेहद पठनीय पुस्तक।
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