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Gaon-Gaon Ki Kahaniyan
Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Dr. Pramod Kumar Agrawal
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Prabhat Prakashan
Author:
Dr. Pramod Kumar Agrawal
Language:
Hindi
Format:
Hardback
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Weight | 331 g |
---|---|
Book Type |
ISBN:
Page Extent:
152
‘गाँव-गाँव की कहानियाँ’ डॉ. प्रमोद कुमार अग्रवाल का द्वितीय कहानी-संग्रह है। प्रस्तुत कहानी संग्रह में सोलह कहानियाँ संकलित हैं, जिसमें कुछ लंबी, कुछ मध्यम तथा कुछ छोटी कहानियाँ हैं। सभी कहानियों का विषय पृथक्-पृथक् है। इन कहानियों में लेखक ने हिंदी साहित्य के कुछ अनछुए विषयों को चुना है। ‘ग्राम प्रधान की प्रेमिका’, ‘पट्टादार ननुआ’, ‘बटाईदार काने खाँ’, ‘विडंबना’, ‘वृद्धा’, ‘सूरज ’ कहानियाँ ग्रामीण भारत को सजीव उपस्थित करती हैं, जबकि ‘नगेन सब्जीवाला’ तथा ‘इस्माइल मिस्त्री’ कहानियाँ महानगरीय परिवेश पर आधारित हैं। ‘राजू-ऑपरेटर ’ तथा ‘चाय की दुकान’ कहानियों में कस्बे की पृष्ठभूमि का स्पंदन है। ‘सत्तर वर्षीय मुकदमा’ तथा ‘न्याय की खोज में अन्याय’ कहानियाँ भारतीय न्याय-व्यवस्था पर कटाक्ष हैं। ‘अरावली और ऐरावत’ और ‘रणनीति’ क्रमशः हाथियों तथा बंदरों के जीवन पर आधारित हैं। सभी कहानियों में लेखक का वैविध्यपूर्ण अनुभव, विज्ञान का स्पर्श तथा जीवन के प्रति उनका सकारात्मक दर्शन प्रतिबिंबित होता है। वे अपनी कहानियों के माध्यम से हिंदी साहित्य में लोक संग्रहात्मक कहानियों का नया दौर आरंभ कर रहे हैं, जो कुछ समय से विलुप्त सा हो रहा था।.
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Kahaniyan” Cancel reply
Description
‘गाँव-गाँव की कहानियाँ’ डॉ. प्रमोद कुमार अग्रवाल का द्वितीय कहानी-संग्रह है। प्रस्तुत कहानी संग्रह में सोलह कहानियाँ संकलित हैं, जिसमें कुछ लंबी, कुछ मध्यम तथा कुछ छोटी कहानियाँ हैं। सभी कहानियों का विषय पृथक्-पृथक् है। इन कहानियों में लेखक ने हिंदी साहित्य के कुछ अनछुए विषयों को चुना है। ‘ग्राम प्रधान की प्रेमिका’, ‘पट्टादार ननुआ’, ‘बटाईदार काने खाँ’, ‘विडंबना’, ‘वृद्धा’, ‘सूरज ’ कहानियाँ ग्रामीण भारत को सजीव उपस्थित करती हैं, जबकि ‘नगेन सब्जीवाला’ तथा ‘इस्माइल मिस्त्री’ कहानियाँ महानगरीय परिवेश पर आधारित हैं। ‘राजू-ऑपरेटर ’ तथा ‘चाय की दुकान’ कहानियों में कस्बे की पृष्ठभूमि का स्पंदन है। ‘सत्तर वर्षीय मुकदमा’ तथा ‘न्याय की खोज में अन्याय’ कहानियाँ भारतीय न्याय-व्यवस्था पर कटाक्ष हैं। ‘अरावली और ऐरावत’ और ‘रणनीति’ क्रमशः हाथियों तथा बंदरों के जीवन पर आधारित हैं। सभी कहानियों में लेखक का वैविध्यपूर्ण अनुभव, विज्ञान का स्पर्श तथा जीवन के प्रति उनका सकारात्मक दर्शन प्रतिबिंबित होता है। वे अपनी कहानियों के माध्यम से हिंदी साहित्य में लोक संग्रहात्मक कहानियों का नया दौर आरंभ कर रहे हैं, जो कुछ समय से विलुप्त सा हो रहा था।.
About Author
डॉ. प्रमोद कुमार अग्रवाल ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से सन् 1973 में एलएल.बी. में प्रथम स्थान प्राप्त किया तथा डी.फिल (विधि) की उपाधि अर्जित की। डॉ. अग्रवाल ने कोलकाता विश्वविद्यालय से एलएल.एम. किया। कुछ समय विधि में अध्यापन कार्य करने के पश्चात् डॉ. अग्रवाल 34 वर्षों तक भारतीय प्रशासनिक सेवा में कार्यरत रहे। डॉ. अग्रवाल भारत सरकार के न्याय विभाग में 1987 से 1992 तक संयुक्त सचिव रहे, जहाँ वे न्यायिक सुधारों से संबंधित रहे। आई.ए.एस. से अवकाश ग्रहण करने के पश्चात् डॉ. अग्रवाल चार वर्ष भारत की अग्रगण्य विधि संस्था खेतान एंड कंपनी में साझीदार तथा रियल इस्टेट अनुभाग के अध्यक्ष रहे। वर्तमान में डॉ. प्रमोद कुमार अग्रवाल नई दिल्ली स्थित विधि संस्था ‘वैश ग्लोबल’ के प्रबंध साझीदार हैं तथा स्वतंत्र लेखन में संलग्न हैं। हाल ही में हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग द्वारा ‘साहित्य महोपाध्याय’ उपाधि से सम्मानित डॉ. अग्रवाल हिंदी के प्रतिष्ठित साहित्यकार हैं। डॉ. अग्रवाल की हिंदी व अंग्रेजी में लगभग साठ पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें अंग्रेजी भाषा में डॉ. के.एन. चतुर्वेदी के साथ ‘कमेंटरी ऑन दि कॉन्स्टीट्यूशन ऑफ इंडिया’ भी सम्मिलित है।
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