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Ganeshshankar Vidyarthi – Volume 1 & 2
Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Sri Tilak
| Language:
Hindi
| Format:
Omnibus/Box Set (Hardback)
Publisher:
Prabhat Prakashan
Author:
Sri Tilak
Language:
Hindi
Format:
Omnibus/Box Set (Hardback)
₹2,000 ₹1,399
Save: 30%
In stock
Ships within:
1-4 Days
In stock
Book Type |
---|
ISBN:
SKU
9789355622013
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
1080
दुबले-पतले शरीर में कैद एक बहुत बड़ी हस्ती, पद की लालसा से मुक्त, पैसे के प्रलोभन से परे और प्रतिष्ठा की प्यास से कहीं ऊपर; लेखक, पत्रकार, राजनीतिज्ञ, शिक्षक, वक्ता, संगठनकर्ता, एक छटपटाती आत्मा, न्याय के लिए संघर्ष में सुख अनुभव करनेवाले; एक समर्पित जीवन, जो आदर्श के लिए जिया और आदर्श की वेदी पर कुरबान हो गया।
गणेशशंकर विद्यार्थी एक बहुमुखी व्यक्तित्व, जिसका काम था देशवासियों को जगाना, शिक्षित करना, लामबंद करना, आजादी की लड़ाई में उन्हें आगे बढ़ाना, प्रोत्साहित करना और ललकारना। संघर्ष उसका पेशा था और जन-साधारण उसका हथियार।
अपने आदर्श की प्राप्ति में उन्होंने कभी कठमुल्लापन नहीं बरता। उनका दरवाजा अहिंसावादियों और क्रांतिकारियों दोनों के लिए समान रूप से अंत तक खुला रहा। गुलामी, अन्याय, असमानता, शोषण, छुआछूत, सामंती अत्याचार आदि के खिलाफ संघर्ष में ईमानदारी के साथ जूझनेवाला हर सिपाही उनका अपना था, भले ही उसके द्वारा अपनाये गए संघर्ष के तौर-तरीके उनसे मेल न खाते हों।
बहुमुखी प्रतिभा से संपन्न विद्यार्थीजी के व्यक्तत्वि के बहुत से रूप थे और हर रूप हर छवि दूसरी से बढ़कर थ आकर्षक और लुभावनी। अपने जीवन में अपनी ही कलम से अपने अलग-अलग रूपों को समय-समय पर उन्होंने पाठकोंके सामने जिस शक्ल में प्रस्तुत किया था, उनको बटोरकर उस चयन से जो कुछ बन पाया, वह पुस्तक प्रस्तुत है।
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Description
दुबले-पतले शरीर में कैद एक बहुत बड़ी हस्ती, पद की लालसा से मुक्त, पैसे के प्रलोभन से परे और प्रतिष्ठा की प्यास से कहीं ऊपर; लेखक, पत्रकार, राजनीतिज्ञ, शिक्षक, वक्ता, संगठनकर्ता, एक छटपटाती आत्मा, न्याय के लिए संघर्ष में सुख अनुभव करनेवाले; एक समर्पित जीवन, जो आदर्श के लिए जिया और आदर्श की वेदी पर कुरबान हो गया।
गणेशशंकर विद्यार्थी एक बहुमुखी व्यक्तित्व, जिसका काम था देशवासियों को जगाना, शिक्षित करना, लामबंद करना, आजादी की लड़ाई में उन्हें आगे बढ़ाना, प्रोत्साहित करना और ललकारना। संघर्ष उसका पेशा था और जन-साधारण उसका हथियार।
अपने आदर्श की प्राप्ति में उन्होंने कभी कठमुल्लापन नहीं बरता। उनका दरवाजा अहिंसावादियों और क्रांतिकारियों दोनों के लिए समान रूप से अंत तक खुला रहा। गुलामी, अन्याय, असमानता, शोषण, छुआछूत, सामंती अत्याचार आदि के खिलाफ संघर्ष में ईमानदारी के साथ जूझनेवाला हर सिपाही उनका अपना था, भले ही उसके द्वारा अपनाये गए संघर्ष के तौर-तरीके उनसे मेल न खाते हों।
बहुमुखी प्रतिभा से संपन्न विद्यार्थीजी के व्यक्तत्वि के बहुत से रूप थे और हर रूप हर छवि दूसरी से बढ़कर थ आकर्षक और लुभावनी। अपने जीवन में अपनी ही कलम से अपने अलग-अलग रूपों को समय-समय पर उन्होंने पाठकोंके सामने जिस शक्ल में प्रस्तुत किया था, उनको बटोरकर उस चयन से जो कुछ बन पाया, वह पुस्तक प्रस्तुत है।
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