Gandhi Maidan । गाँधी मैदान : Bluff of Social Justice

Publisher:
Hind Yugm
| Author:
Anuranjan Jha
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
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Hind Yugm
Author:
Anuranjan Jha
Language:
Hindi
Format:
Paperback

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220

5 जून 1974 को पटना के गाँधी मैदान से, ‘सिंहासन खाली करो कि जनता आती है’ के शंखनाद के साथ जेपी ने जिस आंदोलन की नींव रखी, और सत्ता की जड़ें हिला दीं, उसी आंदोलन से निकले उनके दो ‘सिपाही’ बिहार को कहाँ लेकर गए यह ‘राजनीति शास्त्र’ की किताबों में कहीं दर्ज नहीं है। कैसे एक ने अपने कार्यकाल में अपहरण, फिरौती, रंगदारी और सुपारी किलिंग की इंडस्ट्री जमा दी, प्रतिभा का पलायन करवा दिया और जाति की राजनीति के सहारे जम गए, तो दूसरे ने ‘सुशासन बाबू’ बनने की आड़ में ‘शराब के ठेकों’ के सहारे कुर्सी हथिया ली। पिछले तीस साल में बिहार के इन दो कर्णधारों ने बिहार का बंटाधार ही किया। जेपी के दोनों चेलों की यह कहानी बिहार की पृष्ठभूमि पर रची गई ‘हाउस ऑफ कार्ड्स’ सी है, पर फिक्शन नहीं, फैक्ट है।

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Description

5 जून 1974 को पटना के गाँधी मैदान से, ‘सिंहासन खाली करो कि जनता आती है’ के शंखनाद के साथ जेपी ने जिस आंदोलन की नींव रखी, और सत्ता की जड़ें हिला दीं, उसी आंदोलन से निकले उनके दो ‘सिपाही’ बिहार को कहाँ लेकर गए यह ‘राजनीति शास्त्र’ की किताबों में कहीं दर्ज नहीं है। कैसे एक ने अपने कार्यकाल में अपहरण, फिरौती, रंगदारी और सुपारी किलिंग की इंडस्ट्री जमा दी, प्रतिभा का पलायन करवा दिया और जाति की राजनीति के सहारे जम गए, तो दूसरे ने ‘सुशासन बाबू’ बनने की आड़ में ‘शराब के ठेकों’ के सहारे कुर्सी हथिया ली। पिछले तीस साल में बिहार के इन दो कर्णधारों ने बिहार का बंटाधार ही किया। जेपी के दोनों चेलों की यह कहानी बिहार की पृष्ठभूमि पर रची गई ‘हाउस ऑफ कार्ड्स’ सी है, पर फिक्शन नहीं, फैक्ट है।

About Author

चंपारण, बिहार के एक छोटे से गाँव फुलवरिया में जन्मे अनुरंजन झा मीडिया जगत का एक जाना-पहचाना नाम हैं। पिछले 22 साल से पत्रकारिता में अपनी बेबाकी और प्रयोगधर्मिता के लिए जहाँ अनुरंजन झा सराहे जाते रहे, वहीं सामाजिक भ्रष्टाचार को बेनकाब करने की वजह से विवादों में भी रहे। 30 से कम की उम्र में ही ‘इंडिया न्यूज’ के न्यूज डायरेक्टर बने और फिर बाद में सीएनईबी के प्रधान संपादक और सीओओ भी। दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास स्नातक की शिक्षा के दौरान ही देश के तमाम अखबारों-पत्रिकाओं के लिए लिखना शुरू किया। बाद में आईआईएमसी से पत्रकारिता की डिग्री ली। करियर की शुरुआत ‘जनसत्ता’ से हुई। फिर ज़ी न्यूज, आजतक, बीएजी फिल्म्स होते हुए ना सिर्फ इंडिया टीवी की लांचिंग टीम का हिस्सा बने बल्कि रजत शर्मा द्वारा दी गई इंडिया टीवी के पहले न्यूज बुलेटिन को प्रोड्यूस किया। देश का पहला मैट्रोमोनियल चैनल ‘शगुन टीवी’ को शुरू करने का श्रेय भी अनुरंजन झा को ही जाता है। वर्तमान में ‘द वेब रेडियो’ के संस्थापक संपादक हैं और अपनी मीडिया कंपनी के जरिए देश-दुनिया के लिए टीवी और रेडियो के प्रोग्राम बनाते हैं। पहली किताब ‘रामलीला-मैदान’ के जरिए अन्ना आंदोनल की असलियत बाहर लेकर आ चुके हैं। अबकी बार ‘गाँधी-मैदान’ से बिहार की राजनीति और ‘कुर्सी के खेल’ को खोजने की कोशिश की है।.

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