Ekatma Manavvad Bhajapa Ka Sankalp

Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Basant Kumar
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Prabhat Prakashan
Author:
Basant Kumar
Language:
Hindi
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बीसवीं शताब्दी में, जहाँ दुनिया में अधिकांश देशों में लोकतांत्रिक व्यवस्था स्थापित हुई, परंतु किस प्रकार की आर्थिक व्यवस्था हो, इस विषय में संशय की स्थिति बनी रही। भारत भी इस संशय की स्थिति से अपने आपको अलग न रख सका और साम्यवाद व पूँजीवाद को मिलाकर मिक्स्ड इकोनॉमी की व्यवस्था को अपनाया, जिससे देश में महात्मा गांधी की अवधारणा को पूर्ण रूप से भुला दिया गया। ऐसे में पं. दीनदयाल उपाध्याय ने ‘एकात्म मानवतावाद’ नामक परिकल्पना दी, जिसका केंद्रबिंदु मानवकल्याण है। विषय का स्वरूप, उसकी व्याप्ति और उसकी गहराई को ध्यान में रख इसे ‘वाद’ के बजाय ‘दर्शन’ कहा गया। इस कृति का निर्माण ‘सर्वजन सुखाय, सर्वजन हिताय’ एवं सर्वत्र राष्ट्रीयता का भाव जगाने हेतु किया जा रहा है। इस पुस्तक में एकात्म मानवदर्शन का निरालापन, इसकी प्रासंगिकता तथा भारतीय जन संघ एवं बाद में भाजपा का संकल्प कैसे है, यह बताया गया है। एकात्म मानवतावाद के प्रणेता पं. दीनदयाल उपाध्याय के प्रेरणाप्रद जीवन तथा उनके व्यक्तित्व, कृतित्व व विचारों को लोगों तक पहुँचाने में सक्षम अत्यंत पठनीय कृति।.

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Description

बीसवीं शताब्दी में, जहाँ दुनिया में अधिकांश देशों में लोकतांत्रिक व्यवस्था स्थापित हुई, परंतु किस प्रकार की आर्थिक व्यवस्था हो, इस विषय में संशय की स्थिति बनी रही। भारत भी इस संशय की स्थिति से अपने आपको अलग न रख सका और साम्यवाद व पूँजीवाद को मिलाकर मिक्स्ड इकोनॉमी की व्यवस्था को अपनाया, जिससे देश में महात्मा गांधी की अवधारणा को पूर्ण रूप से भुला दिया गया। ऐसे में पं. दीनदयाल उपाध्याय ने ‘एकात्म मानवतावाद’ नामक परिकल्पना दी, जिसका केंद्रबिंदु मानवकल्याण है। विषय का स्वरूप, उसकी व्याप्ति और उसकी गहराई को ध्यान में रख इसे ‘वाद’ के बजाय ‘दर्शन’ कहा गया। इस कृति का निर्माण ‘सर्वजन सुखाय, सर्वजन हिताय’ एवं सर्वत्र राष्ट्रीयता का भाव जगाने हेतु किया जा रहा है। इस पुस्तक में एकात्म मानवदर्शन का निरालापन, इसकी प्रासंगिकता तथा भारतीय जन संघ एवं बाद में भाजपा का संकल्प कैसे है, यह बताया गया है। एकात्म मानवतावाद के प्रणेता पं. दीनदयाल उपाध्याय के प्रेरणाप्रद जीवन तथा उनके व्यक्तित्व, कृतित्व व विचारों को लोगों तक पहुँचाने में सक्षम अत्यंत पठनीय कृति।.

About Author

लेखक बसंत कुमार का जन्म उ.प्र. के जौनपुर जनपद के पिपरा गाँव में हुआ। औपचारिक शिक्षाप्राप्ति के पश्चात् रेलवे भरती परीक्षा में सफल हुए और रेलवे की सेवा की। तदुपरांत संघ लोक सेवा आयोग से ‘सिविल सर्विस एलायड परीक्षा’ पास की और विभिन्न मंत्रालयों में अनेक पदों पर काम किया; उपसचिव के पद से स्वेच्छा से सेवानिवृत्त हुए। राष्ट्रवाद व हिंदू संस्कृति से अपनी गहरी आस्था के कारण भाजपा के वरिष्ठ नेता, राष्ट्रवादी चिंतक व विचारक पं. कलराज मिश्र के सान्निध्य में भाजपा से जुड़ गए। एक लेखक व स्तंभकार के रूप में उन्होंने अनन्य योगदान किया है। पूर्व में पं. अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा संपादित दैनिक ‘वीर अर्जुन’ में इनके नियमित कॉलम प्रकाशित होते रहते हैं, जिनमें ये बड़ी बेबाकी से विभिन्न विषयों पर अपने विचार रखते हैं। इनके द्वारा संपादित पुस्तकें हैं—‘राष्ट्रवादी कर्मयागी: कलराज मिश्र’ (संपादन), ‘हिंदुत्व: एक जीवन शैली’ (संकलन), ‘युवाओं के प्रेरणास्रोत: स्वामी विवेकानंद’, ‘

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