Ek Jindagi Kafi Nahi (HB)

Publisher:
Rajkamal
| Author:
Kuldeep Nayar
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Rajkamal
Author:
Kuldeep Nayar
Language:
Hindi
Format:
Hardback

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यह किताब उस दिन से शुरू होती है जब 1940 में ‘पाकिस्तान प्रस्ताव’ पास किया गया था। तब मैं स्कूल का एक छात्र मात्र था, लेकिन लाहौर के उस अधिवेशन में मौजूद था जहाँ यह ऐतिहासिक घटना घटी थी। यह किताब इस तरह की बहुत-सी घटनाओं की अन्दरूनी जानकारी दे सकती है, जो किसी और तरीक़े से सामने नहीं आ सकती—बँटवारे से लेकर मनमोहन सिंह की सरकार तक।
अगर मुझे अपनी ज़िन्दगी का कोई अहम मोड़ चुनना हो तो मैं इमरजेंसी के दौरान अपनी हिरासत को ऐसे ही एक मोड़ के रूप में देखना चाहूँगा, जब मेरी निर्दोषिता को हमले का शिकार होना पड़ा था। यही यह समय था जब मुझे व्यक्तिगत स्वतंत्रता और मानवाधिकारों के हनन का अहसास होना शुरू हुआ। साथ ही, व्यवस्था में मेरी आस्था को भी गहरा झटका लगा था।
पाकिस्तान और बांग्लादेश में बहुत-से लोगों के साथ मेरे व्यक्तिगत सम्बन्ध हैं और मुझे इन सम्बन्धों पर गर्व है। मेरा विश्वास है कि किसी दिन दक्षिण एशिया के सभी देश यूरोपीय संघ की तरह अपना एक साझा संघ बनाएँगे। इससे उनकी अलग-अलग पहचान पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
मैं पूरी ईमानदारी से कह सकता हूँ कि नाकामयाबियाँ मुझे उस रास्ते पर चलने से रोक नहीं पाई हैं जिसे मैं सही मानता रहा हूँ और लड़ने लायक़ मानता रहा हूँ।
ज़िन्दगी एक लगातार बहती अन्तहीन नदी की तरह है, बाधाओं का सामना करती हुई, उन्हें परे धकेलती हुई, और कभी-कभी ऐसा न कर पाते हुए भी।
यह बता पाना बस से बाहर है कि पिछले आठ दशकों से कौन सी चीज़ मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती रही है—नियति या संकल्प? या ये दोनों ही? आख़िर तमाशा जारी रहना चाहिए। मैं इस मामले में महान उर्दू शायर ग़ालिब से पूरी तरह सहमत हूँ—शमा हर रंग में जलती है सहर होने तक।
—भूमिका से

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Description

यह किताब उस दिन से शुरू होती है जब 1940 में ‘पाकिस्तान प्रस्ताव’ पास किया गया था। तब मैं स्कूल का एक छात्र मात्र था, लेकिन लाहौर के उस अधिवेशन में मौजूद था जहाँ यह ऐतिहासिक घटना घटी थी। यह किताब इस तरह की बहुत-सी घटनाओं की अन्दरूनी जानकारी दे सकती है, जो किसी और तरीक़े से सामने नहीं आ सकती—बँटवारे से लेकर मनमोहन सिंह की सरकार तक।
अगर मुझे अपनी ज़िन्दगी का कोई अहम मोड़ चुनना हो तो मैं इमरजेंसी के दौरान अपनी हिरासत को ऐसे ही एक मोड़ के रूप में देखना चाहूँगा, जब मेरी निर्दोषिता को हमले का शिकार होना पड़ा था। यही यह समय था जब मुझे व्यक्तिगत स्वतंत्रता और मानवाधिकारों के हनन का अहसास होना शुरू हुआ। साथ ही, व्यवस्था में मेरी आस्था को भी गहरा झटका लगा था।
पाकिस्तान और बांग्लादेश में बहुत-से लोगों के साथ मेरे व्यक्तिगत सम्बन्ध हैं और मुझे इन सम्बन्धों पर गर्व है। मेरा विश्वास है कि किसी दिन दक्षिण एशिया के सभी देश यूरोपीय संघ की तरह अपना एक साझा संघ बनाएँगे। इससे उनकी अलग-अलग पहचान पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
मैं पूरी ईमानदारी से कह सकता हूँ कि नाकामयाबियाँ मुझे उस रास्ते पर चलने से रोक नहीं पाई हैं जिसे मैं सही मानता रहा हूँ और लड़ने लायक़ मानता रहा हूँ।
ज़िन्दगी एक लगातार बहती अन्तहीन नदी की तरह है, बाधाओं का सामना करती हुई, उन्हें परे धकेलती हुई, और कभी-कभी ऐसा न कर पाते हुए भी।
यह बता पाना बस से बाहर है कि पिछले आठ दशकों से कौन सी चीज़ मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती रही है—नियति या संकल्प? या ये दोनों ही? आख़िर तमाशा जारी रहना चाहिए। मैं इस मामले में महान उर्दू शायर ग़ालिब से पूरी तरह सहमत हूँ—शमा हर रंग में जलती है सहर होने तक।
—भूमिका से

About Author

कुलदीप नैयर

जन्म : 14 अगस्त, 1924, सियालकोट, पाकिस्तान।

शिक्षा : बी.ए. (ऑनर्स); एल.एल.बी., एम.एस-सी. (जर्नलिज्म), यू.एस.ए.; पीएच.डी. (दर्शनशास्त्र)।

कार्य : उर्दू समाचार-पत्र ‘अंजान’ से पत्रकारिता की शुरुआत, लालबहादुर शास्त्री तथा गोविन्द बल्लभ पंत के कार्यकाल में अमेरिका में सूचना अधिकारी। अंग्रेज़ी समाचार-पत्र ‘द स्टेट्समैन’ के सम्पादक। अंग्रेज़ी समाचार न्यूज़ एजेंसी के प्रबन्ध सम्पादक। 25 वर्ष तक पत्रिका ‘टाइम्स’ के संवाददाता। अमेरिका में भारतीय उच्चायुक्त रहे। इमरजेंसी के दौरान प्रेस की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष, जेल भी गए। पाकिस्तान और भारत के रिश्ते मधुर बनाने में उल्लेखनीय योगदान। मानवाधिकार के लिए एक समर्पित कार्यकर्ता।

सदस्य : ‘इंडियन डेलीगेशन टू द यूनाइटेड नेशन्स’ (1989); सीनेट ऑफ़ गुरुनानक यूनिवर्सिटी, अमृतसर (1990); सीनेट एंड सिंडीकेट ऑफ़ पंजाबी यूनिवर्सिटी, पटियाला; जेमिनी न्यूज़ सर्विस, लन्दन; फ़ैकल्टी ऑफ़ सोशल साइंस, मुस्लिम यूनिवर्सिटी, अलीगढ़।

चेयरमैन, सिटीजन ऑफ़ डेमोक्रेसी; ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल (इंडिया)। पुणे की इमेरिट्स यूनिवर्सिटी के मास कम्यूनिकेशन विभाग में प्रोफ़ेसर।

प्रमुख प्रकाशन : ‘बिटवीन द लाइंस’; ‘इंडिया, द क्रिटिकल इयर्स’; ‘डिस्टेंट नेबर्स’ (ए टेल ऑफ़ सबकोन्टिनेंट); ‘सप्रेसन ऑफ़ जजेज़’; ‘इंडिया आफ़्टर नेहरू’; ‘द जजमेंट’ (जेल में बन्दी के दौरान); ‘रिपोर्ट ऑन अफ़ग़ानिस्तान’; ‘ट्रेजिडी ऑफ़ पंजाब’; ‘इंडिया हाउस’; ‘द मार्टअर : भगत सिंह एक्सपेरीमेंट्स इन रिवोल्यूशन’; ‘वॉल एट वाघा’ (इंडो-पाक रिलेशन्स)।

प्रमुख सम्मान : हल्दी घाटी अवार्ड, फ़्रीडम ऑफ़ इनफ़ॉरमेशन, भाई वीर सिंह, प्राइड ऑफ़ इंडिया, मेवाड़ फ़ाउंडेशन, ऑल इंडिया आर्टिस्ट्स एसोसिएशन, यू.के. सिक्ख फोरम, शिरोमणि गुरुद्वारा अमृतसर, फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडियन मुस्लिम अमेरिका/कनाडा, अब्दुल सलाम इंटरनेशनल इंडो-कनेडियन टाइम्स ट्रस्ट, नॉर्थ वेस्टर्न यूनिवर्सिटी एलूमनी एसोसिएशन, लाहौर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन, गुरुनानक देव यूनिवर्सिटी, शहीद नियोगी मेमोरियल लाइफ़ टाइम अचीवमेंट अवार्ड इन जर्नलिज़्म। अमेरिका में ‘उच्च आयुक्त कार्यकाल’ में किए गए उल्लेखनीय कार्यों के लिए भी सम्मानित।

निधन : 23 अगस्त, 2018

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