Ek Achambha Prem (HB)

Publisher:
Rajkamal
| Author:
Kusum Khemani
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Rajkamal
Author:
Kusum Khemani
Language:
Hindi
Format:
Hardback

175

Save: 30%

Out of stock

Ships within:
3-5 days

Out of stock

Weight 0.284 g
Book Type

Availiblity

ISBN:
SKU 9788126727766 Category
Category:
Page Extent:

कुसुम खेमानी की ये कहानियाँ एकबारगी हमें उस संसार में ले जाती हैं, जिससे अब तक हमारा सामना प्राय: नहीं हुआ था। यहाँ आदिम और चिर-परिचित प्रेम अपने अचम्भेपन के साथ मौजूद है। ये कहानियाँ निर्वासितों के निर्वासन का प्रश्न उठाती हैं और प्रतिशोध को भी हिंसक के बजाय ‘सुन्दर’ रूप में प्रस्तुत करती हैं। दरअसल, यह कथाकार का निज अन्तस है, जो करुणा, प्रेम और सौन्दर्य से आपूरित है, और ‘उड़ान पिंजरे के परिन्दे की‘ की ‘मिसेज बाजोरिया’ जैसे चरित्रों में जब-तब प्रकट होता रहता है। वे सहसा ‘घोंघा’ का प्रतीक उठाती हैं और दलितों-वंचितों के पक्ष में ‘घोंघा प्रसाद’ जैसी कहानियाँ लिखकर हमें चकित और हमारे चिर-परिचित कथा-आस्वाद में हस्तक्षेप कर देती हैं।
कुसुम खेमानी यथार्थ का तिरस्कार नहीं करतीं, पर उनकी कहानियाँ रचनात्मक अतिक्रम करती हुईं हमें आदर्श लोक में ले जाती हैं, जो शुरू में तो असम्भव लगता है, पर जल्द ही यह तथ्य दरवाज़े की तरह खुलने लगता है कि यह एक तरह की उस महाख्यान को जगाने की ज़िद है, जिसके बारे में कहा जाता है कि उसका अन्त हो चुका है, पर साहित्य का काम ही यह है कि वह उसे कल्पना में बचाए रखे, क्योंकि मानव जीवन के आदर्श और उच्चतर मूल्य यदि साहित्य में नहीं रचे-सहेजे जाएँगे, तो इनके लिए कौन सी जगह बची रहेगी। जो लोग साहित्य को विविध विधाओं में देखने के आदी हैं, उनके लिए कुसुम खेमानी की ये कहानियाँ एक बड़ी चुनौती की तरह हैं। इनकी प्रत्येक कहानी का अपना एक व्यक्तित्व है। यह एक बहुत ही महीन मिक्सर है, जो अनुभव, कल्पना, इतिहास, वर्तमान, श्रेष्ठता, नीचता आदि मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं को फेंटकर अनूठी चीज़ें पैदा कर देता है।
कुसुम जी का रचना क्षेत्र बहुआयामी है; और यही वजह है कि यहाँ वेद-पुराण के लिए भी जगह है और आधुनिक से आधुनिक विचार के लिए भी। यह एक नई आस्तिकता है, जो मनुष्य को ईश्वर से नहीं, मनुष्यता से जोड़ती है। भाषा संवाद का माध्यम है और संवाद जितना सीधा, सरल, पारदर्शी और आत्मीय हो उतना ही अच्छा है। यही कारण है कि कुसुम खेमानी की कहानियों में राजस्थानी, हरियाणवी, बांग्ला, अंग्रेज़ी, उर्दू, भोजपुरी और संस्कृत आदि भाषाओं के शब्द हिन्दी को बोलचाल की एक नई अर्थवत्ता और भंगिमा प्रदान करते हुए नदी की रवानगी की तरह बहते रहते हैं। इस भाषा में बतरस के बताशे-सी मिठास है, जो निस्सन्देह कथाकार की एक बड़ी उपलब्धि है।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Ek Achambha Prem (HB)”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Description

कुसुम खेमानी की ये कहानियाँ एकबारगी हमें उस संसार में ले जाती हैं, जिससे अब तक हमारा सामना प्राय: नहीं हुआ था। यहाँ आदिम और चिर-परिचित प्रेम अपने अचम्भेपन के साथ मौजूद है। ये कहानियाँ निर्वासितों के निर्वासन का प्रश्न उठाती हैं और प्रतिशोध को भी हिंसक के बजाय ‘सुन्दर’ रूप में प्रस्तुत करती हैं। दरअसल, यह कथाकार का निज अन्तस है, जो करुणा, प्रेम और सौन्दर्य से आपूरित है, और ‘उड़ान पिंजरे के परिन्दे की‘ की ‘मिसेज बाजोरिया’ जैसे चरित्रों में जब-तब प्रकट होता रहता है। वे सहसा ‘घोंघा’ का प्रतीक उठाती हैं और दलितों-वंचितों के पक्ष में ‘घोंघा प्रसाद’ जैसी कहानियाँ लिखकर हमें चकित और हमारे चिर-परिचित कथा-आस्वाद में हस्तक्षेप कर देती हैं।
कुसुम खेमानी यथार्थ का तिरस्कार नहीं करतीं, पर उनकी कहानियाँ रचनात्मक अतिक्रम करती हुईं हमें आदर्श लोक में ले जाती हैं, जो शुरू में तो असम्भव लगता है, पर जल्द ही यह तथ्य दरवाज़े की तरह खुलने लगता है कि यह एक तरह की उस महाख्यान को जगाने की ज़िद है, जिसके बारे में कहा जाता है कि उसका अन्त हो चुका है, पर साहित्य का काम ही यह है कि वह उसे कल्पना में बचाए रखे, क्योंकि मानव जीवन के आदर्श और उच्चतर मूल्य यदि साहित्य में नहीं रचे-सहेजे जाएँगे, तो इनके लिए कौन सी जगह बची रहेगी। जो लोग साहित्य को विविध विधाओं में देखने के आदी हैं, उनके लिए कुसुम खेमानी की ये कहानियाँ एक बड़ी चुनौती की तरह हैं। इनकी प्रत्येक कहानी का अपना एक व्यक्तित्व है। यह एक बहुत ही महीन मिक्सर है, जो अनुभव, कल्पना, इतिहास, वर्तमान, श्रेष्ठता, नीचता आदि मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं को फेंटकर अनूठी चीज़ें पैदा कर देता है।
कुसुम जी का रचना क्षेत्र बहुआयामी है; और यही वजह है कि यहाँ वेद-पुराण के लिए भी जगह है और आधुनिक से आधुनिक विचार के लिए भी। यह एक नई आस्तिकता है, जो मनुष्य को ईश्वर से नहीं, मनुष्यता से जोड़ती है। भाषा संवाद का माध्यम है और संवाद जितना सीधा, सरल, पारदर्शी और आत्मीय हो उतना ही अच्छा है। यही कारण है कि कुसुम खेमानी की कहानियों में राजस्थानी, हरियाणवी, बांग्ला, अंग्रेज़ी, उर्दू, भोजपुरी और संस्कृत आदि भाषाओं के शब्द हिन्दी को बोलचाल की एक नई अर्थवत्ता और भंगिमा प्रदान करते हुए नदी की रवानगी की तरह बहते रहते हैं। इस भाषा में बतरस के बताशे-सी मिठास है, जो निस्सन्देह कथाकार की एक बड़ी उपलब्धि है।

About Author

डॉ. कुसुम खेमानी

जन्म : 19 सितम्बर, 1944

शिक्षा : एम.ए. (प्रथम श्रेणी), पीएच.डी., कलकत्ता विश्वविद्यालय।

प्रकाशन : ‘सचित्र हिन्दी बालकोश’, ‘हिन्दी-अॅंग्रेज़ी बालकोश’ (कोश); ‘हिन्दी नाटक के पाँच दशक’ (आलोचना); ‘सच कहती कहानियाँ’, ‘एक अचम्भा प्रेम’, ‘अनुगूँज ज़िन्दगी की’ (कहानी-संग्रह); ‘एक शख़्स कहानी-सा’ (जीवनी); ‘कहानियाँ सुनाती यात्राएँ’ (यात्रा-वृत्तान्त); ‘कुछ रेत...कुछ सीपियाँ...विचारों की’ (ललित निबन्ध); ‘लावण्यदेवी’, ‘जड़िया बाई’ (उपन्यास)।

अनुवाद एवं सम्पादन : ‘जन-अरण्य’ (उपन्यास, शंकर), ‘चश्मा बदल जाता है’ (उपन्यास, आशापूर्णा देवी), ज्योतिर्मयी देवी के कहानी-संग्रह का अनुवाद एवं सम्पादन, ‘वागर्थ’ का सम्पादन। ‘लावण्यदेवी’ उपन्यास का अॅंग्रेज़ी, बांग्ला, नेपाली एवं मलयालम में अनुवाद। ‘कहानियाँ सुनाती यात्राएँ’ बांग्ला, राजस्थानी एवं मलयालम में प्रकाशित। ‘लावण्यदेवी’ उपन्यास का तमिल में डॉ. एन. जयश्री द्वारा एवं तेलुगू में लावण्य नारला द्वारा शोध एवं अनुवाद।

‘सच कहती कहानियाँ’ की कथाभाषा पर डॉ. सुहासिनी (तमिल), करमजीत कौर (पंजाबी), विनीता सिंह (हिन्दी) एवं अंजना कुकरैती (कन्नड़) द्वारा शोध। ‘रश्मिरथी माँ’ कहानी पर बांग्ला में टेलीफ़िल्म का निर्माण। ‘साहित्य में उच्च मूल्यों की स्थापना’ (सन्दर्भ : ‘लावण्यदेवी’ उपन्यास) विषय पर औरंगाबाद यूनिवर्सिटी द्वारा सेमिनार आयोजित।

सम्मान : ‘कुसुमांजलि साहित्य सम्मान’, ‘साहित्य भूषण सम्मान’, ‘हरियाणा गौरव सम्मान’, ‘भारत निर्माण सम्मान’, ‘रत्नादेवी गोयनका वाग्देवी पुरस्कार’, ‘पश्चिम बंग प्रान्तीय मारवाड़ी सम्मेलन पुरस्कार’, ‘कौमी एकता पुरस्कार’, ‘भारत गौरव सम्मान’, ‘समाज बन्धु पुरस्कार’ आदि।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Ek Achambha Prem (HB)”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

RELATED PRODUCTS

RECENTLY VIEWED