Ei Ilahabbad Hai Bhaiya

Publisher:
Hind Yugm
| Author:
Vimal Chandra Pandey
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
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Hind Yugm
Author:
Vimal Chandra Pandey
Language:
Hindi
Format:
Paperback

199

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SKU 9789387464650 Category
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189

पूरब का ऑक्सफ़ोर्ड’ और ‘साहित्य की राजधानी’ जैसे और भी कई विशेषणों से मशहूर शहर इलाहाबाद को एक पत्रकार और उभरते कहानीकार ने जैसा देखा, जिया और भुगता, हूबहू वैसा उतार दिया है। इस अलहदा शहर की मस्ती, इसकी बेबाकी और इसमें मिली मोहब्बत का कोलाज है यह किताब जिसमें व्यक्तिगत ज़िन्दगी की कड़वाहटें भी हैं, पत्रकारिता की मजबूरियाँ भी, सिनेमा-साहित्य के सपने भी हैं और उगती दोस्तियों के उर्वर बीज भी, कुछ काँटे भी हैं और ढेर सारे फूल भी। बकौल लेखक, यह किताब इलाहाबाद की ख़ूबसूरत यादों का क़र्ज़ उतारने की कोशिश है।

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Description

पूरब का ऑक्सफ़ोर्ड’ और ‘साहित्य की राजधानी’ जैसे और भी कई विशेषणों से मशहूर शहर इलाहाबाद को एक पत्रकार और उभरते कहानीकार ने जैसा देखा, जिया और भुगता, हूबहू वैसा उतार दिया है। इस अलहदा शहर की मस्ती, इसकी बेबाकी और इसमें मिली मोहब्बत का कोलाज है यह किताब जिसमें व्यक्तिगत ज़िन्दगी की कड़वाहटें भी हैं, पत्रकारिता की मजबूरियाँ भी, सिनेमा-साहित्य के सपने भी हैं और उगती दोस्तियों के उर्वर बीज भी, कुछ काँटे भी हैं और ढेर सारे फूल भी। बकौल लेखक, यह किताब इलाहाबाद की ख़ूबसूरत यादों का क़र्ज़ उतारने की कोशिश है।

About Author

अस्सी के दशक में जन्म लेने और नब्बे के दशक में किशोरावस्था पार कर युवावस्था छूने वाली उस पीढ़ी से ताल्लुक़ जिसने सचिन को खेलते देखा, घर से दूर जाने पर पीसीओ से रात आठ बजे के बाद फ़ोन किए और पन्नों पर प्रेम-पत्र लिखे। सिनेमा-प्रेमी पिता के बेटे को टीवी-सिनेमा से दूर रखने की ज़िद ने बेटे को कहानियों और फ़िल्मों का दीवाना छोटी उम्र से बना दिया। क़िस्से बनाने और उनमें सच-झूठ की मिलावट करने की आदत बचपन से लगी जिसके पहले शिकार भाई-बहन और दोस्त हुए। ग्यारहवीं क्लास से भागकर सिनेमा देखने की जो आदत लगी वो अब आराम से देखने में तब्दील हो गई है। कहानियाँ लिखते-लिखते तीन किताबें भर गई हैं और कुछ इंतज़ार कर रही हैं। डर (भारतीय ज्ञानपीठ), मस्तूलों के इर्दगिर्द (आधार प्रकाशन) और उत्तर प्रदेश की खिड़की (साहित्य भंडार) की कहानियाँ और 'भले दिनों की बात थी' (आधार प्रकाशन) नाम के उपन्यास के बाद से गति और विधा में थोड़ा बदलाव आया है। हिंदी फिल्म 'द होली फिश' का लेखन, निर्देशन और निर्माण किया है जो राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय समारोहों तक का सफ़र तय कर चुकी है। ज़िन्दगी चल रही है और हर रोज़ हैरानियाँ दिखा रही है। हैरान होना पसंद है। 9820813904 पर फोन और vimalchandrapandey1981@gmail.com पर मेल किया जा सकता है।.

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