Dwiteeya Vishwa Yuddha

Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Capt. Rajpal Singh
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Prabhat Prakashan
Author:
Capt. Rajpal Singh
Language:
Hindi
Format:
Hardback

375

Save: 25%

In stock

Ships within:
1-4 Days

In stock

Book Type

ISBN:
SKU 9789381063446 Categories , Tag
Categories: ,
Page Extent:
248

“द्वितीय विश्‍वयुद्ध सन् 1939 से 1945 तक चलने वाला विश्‍व-स्तरीय युद्ध था। लगभग 70 देशों की थल, जल, वायु सेनाएँ इस युद्ध में सम्मलित थीं और विश्‍व दो भागों में बँटा हुआ था—मित्र राष्‍ट्र और धरी राष्‍ट्र। इस युद्ध में विभिन्न राष्‍ट्रों के लगभग 10 करोड़ सैनिकों ने हिस्सा लिया। यह मानव इतिहास का सबसे घातक युद्ध साबित हुआ। इस महायुद्ध में 5 से 7 करोड़ लोग मारे गए। द्वितीय विश्‍व युद्ध की शुरुआत 1 सितंबर, 1939 को हुई मानी जाती है, जब जर्मनी ने पोलैंड पर हमला बोला और उसके बाद जब फ्रांस ने जर्मनी के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी तथा इंग्लैंड और अन्य राष्‍ट्रमंडल देशों ने भी इसका अनुमोदन किया।

सन् 1944 और 1945 के दौरान अमेरिका ने कई जगहों पर जापानी नौसेना को शिकस्त दी और पश्‍च‌िमी प्रशांत के कई द्वीपों में अपना कब्जा बना लिया। अमेरिका ने जापान में दो परमाणु बम गिराए—हिरोशिमा और नागासाकी की मर्मांतक घटना को विश्‍व शायद ही कभी भूल पाए। इसके साथ ही 15 अगस्त, 1945 को एशिया में भी द्वितीय विश्‍वयुद्ध समाप्‍त हो गया।

युद्धों से कभी किसी का भला नहीं हुआ। ये तो विनाश-सर्वनाश के कारण हैं। किसी भी सभ्य समाज में युद्धों का कोई स्थान नहीं है; और इन्हें किसी भी कीमत पर रोका जाना चाहिए। इस पुस्तक का उद‍्देश्‍य भी यही है कि विश्‍वयुद्धों की विभीषिका से सीख लेकर हम युद्धों से तौबा कर लें और ऐसी परिस्थितियाँ पैदा न होने दें, जो युद्धों का जन्म दें।

मानवीय संवेदना और मानवता को बचाए रखने का विनम्र प्रयास है यह पुस्तक।”

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Dwiteeya Vishwa Yuddha”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Description

“द्वितीय विश्‍वयुद्ध सन् 1939 से 1945 तक चलने वाला विश्‍व-स्तरीय युद्ध था। लगभग 70 देशों की थल, जल, वायु सेनाएँ इस युद्ध में सम्मलित थीं और विश्‍व दो भागों में बँटा हुआ था—मित्र राष्‍ट्र और धरी राष्‍ट्र। इस युद्ध में विभिन्न राष्‍ट्रों के लगभग 10 करोड़ सैनिकों ने हिस्सा लिया। यह मानव इतिहास का सबसे घातक युद्ध साबित हुआ। इस महायुद्ध में 5 से 7 करोड़ लोग मारे गए। द्वितीय विश्‍व युद्ध की शुरुआत 1 सितंबर, 1939 को हुई मानी जाती है, जब जर्मनी ने पोलैंड पर हमला बोला और उसके बाद जब फ्रांस ने जर्मनी के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी तथा इंग्लैंड और अन्य राष्‍ट्रमंडल देशों ने भी इसका अनुमोदन किया।

सन् 1944 और 1945 के दौरान अमेरिका ने कई जगहों पर जापानी नौसेना को शिकस्त दी और पश्‍च‌िमी प्रशांत के कई द्वीपों में अपना कब्जा बना लिया। अमेरिका ने जापान में दो परमाणु बम गिराए—हिरोशिमा और नागासाकी की मर्मांतक घटना को विश्‍व शायद ही कभी भूल पाए। इसके साथ ही 15 अगस्त, 1945 को एशिया में भी द्वितीय विश्‍वयुद्ध समाप्‍त हो गया।

युद्धों से कभी किसी का भला नहीं हुआ। ये तो विनाश-सर्वनाश के कारण हैं। किसी भी सभ्य समाज में युद्धों का कोई स्थान नहीं है; और इन्हें किसी भी कीमत पर रोका जाना चाहिए। इस पुस्तक का उद‍्देश्‍य भी यही है कि विश्‍वयुद्धों की विभीषिका से सीख लेकर हम युद्धों से तौबा कर लें और ऐसी परिस्थितियाँ पैदा न होने दें, जो युद्धों का जन्म दें।

मानवीय संवेदना और मानवता को बचाए रखने का विनम्र प्रयास है यह पुस्तक।”

About Author

कैप्टेन राजपाल सिंह ने दिल्ली के प्रतिष्‍ठ‌ित श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स तथा दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से शिक्षा प्राप्‍त की, एल-एल.बी. के बाद एम.बी.ए. किया। गत सोलह वर्षों से FICCI में कार्यरत हैं। भारत सरकार के अनेक मंत्रालयों के 9-11 पंचवर्षीय योजनाओं से संबद्ध रहे। अंतरराष्ट्रीय मुद‍दों व सैन्य इतिहास के अलावा खेलों व नई टेक्नोलॉजी में उनकी विशेष अभिरुचि है। सन् 2004 में प्रादेशिक सेना (टेरीटोरियल आर्मी) में सम्मिलित हुए। युवाओं को आकर्षित करने के लिए वे प्रादेशिक सेना की विभिन्न प्रसार सामग्री के पोस्टर बॉय रहे हैं। वर्तमान में वे सिख रेजीमेंट की 124 इन्फैंट्री बटालियन (TA) से संबद्ध हैं। कैप्टेन राजपाल ने टेलीकॉम, सूचना प्रौद्योगिकी व खेलों के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाई है। उन्होंने खेलों के प्रचार-प्रसार के लिए भारत सरकार द्वारा गठित अनेक कमेटियों में FICCI का प्रतिनिधित्व किया है। साथ ही भारतीय ओलंपिक संघ, स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया, कॉमनवैल्थ गेम्स आयोजन समिति तथा नैशनल स्पोर्ट्स फाउंडेशन में व्यक्‍त‌िगत तथा संस्थागत स्तर पर सक्रिय भूमिका निभाई है। राष्‍ट्रीय स्तर के जूडो खिलाड़ी रहे ब्लैक बैल्ट कैप्टेन राजपाल ने जूडो में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। वे श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स के खेल सचिव रहे तथा दिल्ली जूडो काउंसिल एवं जूडो फेडरेशन ऑफ इंडिया में भी सक्रिय भूमिका निभाई।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Dwiteeya Vishwa Yuddha”

Your email address will not be published. Required fields are marked *