Dweetiyonasti

Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Hemant Sharma
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Prabhat Prakashan
Author:
Hemant Sharma
Language:
Hindi
Format:
Hardback

563

Save: 25%

In stock

Ships within:
1-4 Days

In stock

Book Type

ISBN:
SKU 9789350483138 Categories , Tag
Categories: ,
Page Extent:
124

‘‘अमल धवल गिरि के शिखरों पर, बादल को घिरते देखा है। छोटे-छोटे मोती जैसे उसके शीतल तुहीन कणों को, मानसरोवर के उन स्वर्ण‌िम कमलाऐं पर गिरते देखा है, बादलों को घिरते देखा है। तुंग हिमालय के कंधों पर छोटी-बड़ी कई झीलें हैं, उनके श्यामल नील सलिल में समतल देशों से आ-आकर पावस की उमस से आकुल तिक्‍त-मधुर विषतंतु खोजते हंसों को तिरते देखा’’ —नागार्जुन स्फटिक-निर्मल और दर्पन-स्वच्छ, हे हिम-खंड, शीतल औ समुज्जवल, तुम चमकते इस तरह हो, चाँदनी जैसे जमी है या गला चाँदी तुम्हारे रूप में ढाली गई है। —हरिवंशराय बच्चन.

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Dweetiyonasti”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Description

‘‘अमल धवल गिरि के शिखरों पर, बादल को घिरते देखा है। छोटे-छोटे मोती जैसे उसके शीतल तुहीन कणों को, मानसरोवर के उन स्वर्ण‌िम कमलाऐं पर गिरते देखा है, बादलों को घिरते देखा है। तुंग हिमालय के कंधों पर छोटी-बड़ी कई झीलें हैं, उनके श्यामल नील सलिल में समतल देशों से आ-आकर पावस की उमस से आकुल तिक्‍त-मधुर विषतंतु खोजते हंसों को तिरते देखा’’ —नागार्जुन स्फटिक-निर्मल और दर्पन-स्वच्छ, हे हिम-खंड, शीतल औ समुज्जवल, तुम चमकते इस तरह हो, चाँदनी जैसे जमी है या गला चाँदी तुम्हारे रूप में ढाली गई है। —हरिवंशराय बच्चन.

About Author

हेमंत शर्मा जन्म और संस्कार पाया काशी में। समाज, प्रकृति, उत्सव, संस्कृति का ज्ञान यहीं हुआ। शब्द, तात्पर्य और धारणाओं की समझ भी वहीं बनी। नौकरी के लिए लखनऊ में रहे। वहीं राजनीति के बहुलवादी चरित्र, समाज परिवर्तन, सांप्रदायिकता, दलितञउभार, चुनाव संबंधी अध्ययन हुआ। पंद्रह साल तक ‘जनसत्ता’ के राज्य संवाददाता रहने के बाद दो साल ‘हिंदुस्तान’ लखनऊ में संपादकी की। अब दिल्लीवास। इंडिया टी.वी. में नींव के निर्माण तक। संप्रति डायरेक्‍टर न्यूज, इंडिया टी.वी.। व्यवस्थित पढ़ाई के नाम पर बी.एच.यू. से हिंदी में डॉक्टरेट। लिखाई में समकालीन अखबारी दुनिया में कलम घिसी। कितना लिखा? गिनना मु‌श्‍क‌िल है। गिनने की रुचि भी कभी नहीं रही। ‘भारतेंदु समग्र’ का संपादन जरूर याद है। राजनीति, समाज, परंपरा को समझने और पढ़ने का क्रम अब भी अनवरत जारी। पहले लेखन को गुजर-बसर का सहारा माना, अब जीवन जीने का। संपर्क: आसावरी, जी-172, सेक्‍टर-41, नोएडा।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Dweetiyonasti”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

RELATED PRODUCTS

RECENTLY VIEWED