Dr. Shyama Prasad Mukharji ( Jeevan Katha)

Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
संजय दुबे
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Jnanpith Vani Prakashan LLP
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संजय दुबे
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Hindi
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Hardback

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डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी –
डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी प्रसिद्ध शिक्षाविद् के साथ एक कुशल राजनेता थे। जिन्होंने भारतीय राजनीति में एक सकारात्मक विपक्ष की भूमिका का निर्वाह किया। उनके मानवीय गुणों के ऐसे अनेक उदाहरण हमारे सामने परिलक्षित होते हैं जिनसे उनकी मानवीय संवेदना प्रकट होती है। वह बिना किसी भेदभाव के सभी के साथ एक मानव होने का दायित्व निर्वाह करते थे। चाहे वह देश में अकाल हो या साम्प्रदायिक हिंसा सभी आपदाओं में वह अपनी परवाह किये बिना हर कमज़ोर को मदद करने के लिए तत्पर रहते थे। देश भक्ति तो उनके जीवन का एक हिस्सा थी जिसके लिए वह हर समय तैयार रहते थे।
श्यामा प्रसाद जी ने देश की एकता और अखंडता के लिए निरन्तर कार्य किया। आज़ादी के पूर्व और आज़ादी के बाद भारतीय राजनीति में भी उन्होंने ऐसे तत्त्वों का विरोध किया जिन्होंने देश की एकता को कमज़ोर करने की कोशिश की। उनका जीवन युवा पीढ़ी के लिए एक आदर्श है।

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Description

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी –
डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी प्रसिद्ध शिक्षाविद् के साथ एक कुशल राजनेता थे। जिन्होंने भारतीय राजनीति में एक सकारात्मक विपक्ष की भूमिका का निर्वाह किया। उनके मानवीय गुणों के ऐसे अनेक उदाहरण हमारे सामने परिलक्षित होते हैं जिनसे उनकी मानवीय संवेदना प्रकट होती है। वह बिना किसी भेदभाव के सभी के साथ एक मानव होने का दायित्व निर्वाह करते थे। चाहे वह देश में अकाल हो या साम्प्रदायिक हिंसा सभी आपदाओं में वह अपनी परवाह किये बिना हर कमज़ोर को मदद करने के लिए तत्पर रहते थे। देश भक्ति तो उनके जीवन का एक हिस्सा थी जिसके लिए वह हर समय तैयार रहते थे।
श्यामा प्रसाद जी ने देश की एकता और अखंडता के लिए निरन्तर कार्य किया। आज़ादी के पूर्व और आज़ादी के बाद भारतीय राजनीति में भी उन्होंने ऐसे तत्त्वों का विरोध किया जिन्होंने देश की एकता को कमज़ोर करने की कोशिश की। उनका जीवन युवा पीढ़ी के लिए एक आदर्श है।

About Author

संजय दुबे - जन्म: 1 सितम्बर, 1980 को मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ में हुआ। एम.ए., पीएच.डी. डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर से। केन्द्र सरकार के पांडुलिपि मिशन के सागर केन्द्र के अन्तर्गत पाँच वर्ष कार्य किया। जिसमें कई लिपियों का ज्ञान प्राप्त करने के पश्चात् पांडुलिपियों का सम्पादन कार्य किया। बच्चों के लिए 'जैन बाल कथाएँ' भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित, देश की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में कई शोध लेख प्रकाशित हो चुके हैं और आधुनिक संस्कृत साहित्य की कई पुस्तकों की हिन्दी एवं संस्कृत में समीक्षाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं।

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