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Door Ke Trol Suhane

Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Ashutosh Ujjwal
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Prabhat Prakashan
Author:
Ashutosh Ujjwal
Language:
Hindi
Format:
Hardback

263

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1-4 Days

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Weight 363 g
Book Type

ISBN:
SKU 9789387980167 Categories , Tag
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Page Extent:
178

पिछले कई साल से देश वाकई बदल रहा है, आगे बढ़ रहा है। बहुत सारी अजीबो-गरीब चीजें हुई हैं। नोटबंदी हुई, बीफ बैन हुआ, जस्टिन बीबर आया, जी.एस.टी. आया, स्मॉग आया, प्लास्टिक के चावल आए, फेक न्यूज आई, सर्जिकल स्ट्राइक आई, बिप्लब देब आए और बहुत कुछ आया। उसी सिलसिले में हादसे की तरह यह किताब भी आ गई। इसको आने में देर इसलिए हुई, क्योंकि ऊपर की बाकी सारी चीजों को अपने पन्नों के कंधों पर उठाने की जिम्मेदारी इसी की थी। तो हर खासो आम को ताकीद की जाती है कि वे भावनाओं और भाव-भंगिमाओं के साथ पुस्तक का पाठ करें। इस किताब को लिखने में खुद को छोड़कर किसी भी इनसान, जानवर, पक्षी, कीट-पतंगे को नुकसान नहीं पहुँचाया गया है। भाषा का इतना ज्यादा ध्यान रखा गया है कि इसे आप परिवार के साथ बैठकर पढ़ सकते हैं। रिश्तेदार को गिफ्ट कर सकते हैं। इसके कोई साइड इफेक्ट्स नहीं हैं। हाँ, अभी तक यूनेस्को ने इसे वर्ल्ड की बेस्ट किताब घोषित नहीं किया है और हम चाहेंगे भी नहीं कि यूनेस्को ऐसी फेक न्यूज को अपनी लिखा-पढ़ी में स्थान दे। किताब में इस बात का पूरा ध्यान रखा गया है कि फैक्ट्स पूरे सही हों और गप्प पूरी तरह से गप्प, अगर इनमें से कुछ भी मिसिंग लगे या कुछ कहने-सुनने का मन हो तो लेखक को सोशल मीडिया पर खोजकर सिर्फ तारीफ करें। क्योंकि सोशल मीडिया पर गंदगी फैलाने से हमारे प्रधानमंत्री ने मना किया है।

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Description

पिछले कई साल से देश वाकई बदल रहा है, आगे बढ़ रहा है। बहुत सारी अजीबो-गरीब चीजें हुई हैं। नोटबंदी हुई, बीफ बैन हुआ, जस्टिन बीबर आया, जी.एस.टी. आया, स्मॉग आया, प्लास्टिक के चावल आए, फेक न्यूज आई, सर्जिकल स्ट्राइक आई, बिप्लब देब आए और बहुत कुछ आया। उसी सिलसिले में हादसे की तरह यह किताब भी आ गई। इसको आने में देर इसलिए हुई, क्योंकि ऊपर की बाकी सारी चीजों को अपने पन्नों के कंधों पर उठाने की जिम्मेदारी इसी की थी। तो हर खासो आम को ताकीद की जाती है कि वे भावनाओं और भाव-भंगिमाओं के साथ पुस्तक का पाठ करें। इस किताब को लिखने में खुद को छोड़कर किसी भी इनसान, जानवर, पक्षी, कीट-पतंगे को नुकसान नहीं पहुँचाया गया है। भाषा का इतना ज्यादा ध्यान रखा गया है कि इसे आप परिवार के साथ बैठकर पढ़ सकते हैं। रिश्तेदार को गिफ्ट कर सकते हैं। इसके कोई साइड इफेक्ट्स नहीं हैं। हाँ, अभी तक यूनेस्को ने इसे वर्ल्ड की बेस्ट किताब घोषित नहीं किया है और हम चाहेंगे भी नहीं कि यूनेस्को ऐसी फेक न्यूज को अपनी लिखा-पढ़ी में स्थान दे। किताब में इस बात का पूरा ध्यान रखा गया है कि फैक्ट्स पूरे सही हों और गप्प पूरी तरह से गप्प, अगर इनमें से कुछ भी मिसिंग लगे या कुछ कहने-सुनने का मन हो तो लेखक को सोशल मीडिया पर खोजकर सिर्फ तारीफ करें। क्योंकि सोशल मीडिया पर गंदगी फैलाने से हमारे प्रधानमंत्री ने मना किया है।

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