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Doob Dhaan
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
अनामिका
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
अनामिका
Language:
Hindi
Format:
Paperback
₹180 ₹179
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8126313102
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
184
दूब-धान –
स्त्री मन के विविध पक्षों को सम्यक दृष्टि से देखती यह कविताएँ अपनी अनुभूति में अस्तित्व बोध के प्रश्नों को उठाती हैं। यह प्रश्न धीरे-धीरे कविता-दर-कविता एक इकाई से परिवर्तित होकर विराट सम्भावनाओं के रूप में सामने आ जाती हैं।
अनामिका अपनी कविताओं में परम्परागत और आधुनिक रूढ़ियों में स्त्री के जीवन को सूक्ष्मता से टटोलने का प्रयास करती हैं। इस खोज में वे स्त्री जीवन की अन्तरंग और स्नेहिल व्याख्यायें भी करती हैं। इतना ही नहीं, वे अपनी कविताओं के माध्यम से स्त्री विमर्श के नये आयामों के लिए भी एक राह निर्मित करती हैं।
भारतीय समाज के सन्दर्भ में दूब-धान की कविताएँ अस्मिताबोध का एक सुन्दर उदाहरण होने के साथ विशिष्ट भी हैं।
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Description
दूब-धान –
स्त्री मन के विविध पक्षों को सम्यक दृष्टि से देखती यह कविताएँ अपनी अनुभूति में अस्तित्व बोध के प्रश्नों को उठाती हैं। यह प्रश्न धीरे-धीरे कविता-दर-कविता एक इकाई से परिवर्तित होकर विराट सम्भावनाओं के रूप में सामने आ जाती हैं।
अनामिका अपनी कविताओं में परम्परागत और आधुनिक रूढ़ियों में स्त्री के जीवन को सूक्ष्मता से टटोलने का प्रयास करती हैं। इस खोज में वे स्त्री जीवन की अन्तरंग और स्नेहिल व्याख्यायें भी करती हैं। इतना ही नहीं, वे अपनी कविताओं के माध्यम से स्त्री विमर्श के नये आयामों के लिए भी एक राह निर्मित करती हैं।
भारतीय समाज के सन्दर्भ में दूब-धान की कविताएँ अस्मिताबोध का एक सुन्दर उदाहरण होने के साथ विशिष्ट भी हैं।
About Author
अनामिका -
अनामिका निबन्ध लिखती हैं, अख़बारों और पत्रिकाओं में स्तम्भ लिखती हैं, कहानियाँ और उपन्यास रचती हैं, कविताओं और उपन्यासों का अनुवाद-सम्पादन करती हैं, और अंग्रेज़ी साहित्य का अध्यापन करती हैं। एक पब्लिक इंटेलेक्चुअल के रूप में व्याख्यान देने से लेकर स्त्रीवादी पब्लिक स्फ़ियर में सक्रिय रहने तक वे और भी बहुत कुछ करती हैं। पर, सबसे पहले और सबसे बाद में, वे एक कवि हैं।
1961 के उत्तरार्द्ध में मुज़फ़्फ़रपुर, बिहार में जन्मी और अंग्रेज़ी साहित्य से पीएच.डी.। अनामिका राजभाषा परिषद् पुरस्कार (1987), गिरिजाकुमार माथुर सम्मान (1993), भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार (1995), साहित्यकार सम्मान (1997), परम्परा सम्मान (2001) और साहित्य सेतु सम्मान (2004), केदार सम्मान (2008), शमशेर सम्मान (2014), मुक्तिबोध सम्मान (2015), वाणी फ़ाउंडेशन डिस्टिंग्विश्ड ट्रांसलेटर अवार्ड (2017)। वैली ऑफ़ वर्ड्ज़ अवार्ड (2020), साहित्य अकादेमी पुरस्कार (2021), कन्हैयालाल सेठिया अवार्ड (2021) से विभूषित हो चुकी हैं।
प्रकाशित कृतियाँ
आलोचना: पोस्ट एलिएट पोएट्री : अ वॉएज फ्रॉम कॉफ्लिक्ट टु आइसोलेशन, डन क्रिटिसिज़्म डाउन द एजेज़, फ़ेमिनिस्ट पोएटिक्स : वेयर किंगफ़िशर्ज़ कैच फायर, प्रोटो-फ़ेमिनिस्ट हिन्दी-उर्दू वर्ल्ड, ट्रीटमेंट ऑफ़ लव ऐंड डेथ इन पोस्ट वार अमेरिकन विमेन पोएट्स, ट्रांसलेटिंग रेशियल मेमरी।
विमर्श: स्त्रीत्व का मानचित्र, मन माँजने की ज़रूरत, पानी जो पत्थर पीता है, स्त्री-विमर्श का लोकपक्ष, त्रियाचरित्रं : उत्तरकाण्ड, स्वाधीनता का स्त्री-पक्ष। कविता : ग़लत पते की चिट्ठी, बीजाक्षर, समय के शहर में, अनुष्टुप, कविता में औरत, खुरदरी हथेलियाँ, दूब-धान, थेरी गाथा : टोकरी में दिगन्त, पानी को सब याद था।
कहानी: प्रतिनायक।
संस्मरण: एक ठो शहर था, एक थे शेक्सपियर, एक थे चार्ल्स डिकेंस।
उपन्यास: अवान्तर कथा, दस द्वारे का पींजरा, तिनका तिनके पास, आईका साज़।
अनुवाद: नागमंडल (गिरीश कर्नाड), रिल्के की कविताएँ, एफ़्रो-इंग्लिश पोएम्स, अटलांत के आर-पार (समकालीन अंग्रेज़ी कविता), कहती हैं औरतें (विश्व साहित्य की स्त्रीवादी कविताऐं), भाषिक पुनर्वास।
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