Sanskrti Ek : Naam Roop Ane 300

Save: 25%

Back to products
Talespin 338

Save: 25%

Democracy Ka Chautha Khamba

Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Sanjeev Jaiswal Sanjay
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Prabhat Prakashan
Author:
Sanjeev Jaiswal Sanjay
Language:
Hindi
Format:
Hardback

300

Save: 25%

In stock

Ships within:
1-4 Days

In stock

Book Type

ISBN:
SKU 9789381063279 Categories , Tag
Categories: ,
Page Extent:
168

पता नहीं किस भले आदमी ने बता दिया कि डेमोक्रेसी के तीन खंभे होते हैं—न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका! तीन खंभों पर कभी कोई इमारत टिकी है जो डेमोक्रेसी टिकेगी? गनीमत समझो कि अपने देश में डेमोक्रेसी का एक चौथा खंभा ‘धर्मपालिका’ का भी है। अगर यह न होता तो डेमोक्रेसी का कब का सत्यानाश हो जाता। यह खंभा है तो अदृश्य, मगर बीच-बीच में धूम-धड़ाके से दिखता रहता है। डेमोक्रेसी के सारे फालोअर और ऑब्जर्वर मजबूती से इसे थामे रहते हैं। कुछ इसके साथ ‘यूज एंड थ्रो’ का संबंध रखते हैं तो कुछ ‘कैच एंड यूज’ का। मल्टीपरपज यूटीलिटी है इस खंभे की। जब जैसा दाँव लगा, वैसा इस्तेमाल कर लिया। यह खंभा जन-जन (सच्ची बोले तो वोटर) की हृदय-स्थली में मजबूती से गड़ा है, तभी गाहे-बगाहे बाकी तीनों खंभों की चूलें हिलाता रहता है। देश का शायद ही कोई ऐसा खंभा हो, जो इस खंभे के आगे नतमस्तक न हुआ हो। चाहे खुशी से या मजबूरी में, मगर दंडवत् सभी ने की है।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Democracy Ka Chautha Khamba”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Description

पता नहीं किस भले आदमी ने बता दिया कि डेमोक्रेसी के तीन खंभे होते हैं—न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका! तीन खंभों पर कभी कोई इमारत टिकी है जो डेमोक्रेसी टिकेगी? गनीमत समझो कि अपने देश में डेमोक्रेसी का एक चौथा खंभा ‘धर्मपालिका’ का भी है। अगर यह न होता तो डेमोक्रेसी का कब का सत्यानाश हो जाता। यह खंभा है तो अदृश्य, मगर बीच-बीच में धूम-धड़ाके से दिखता रहता है। डेमोक्रेसी के सारे फालोअर और ऑब्जर्वर मजबूती से इसे थामे रहते हैं। कुछ इसके साथ ‘यूज एंड थ्रो’ का संबंध रखते हैं तो कुछ ‘कैच एंड यूज’ का। मल्टीपरपज यूटीलिटी है इस खंभे की। जब जैसा दाँव लगा, वैसा इस्तेमाल कर लिया। यह खंभा जन-जन (सच्ची बोले तो वोटर) की हृदय-स्थली में मजबूती से गड़ा है, तभी गाहे-बगाहे बाकी तीनों खंभों की चूलें हिलाता रहता है। देश का शायद ही कोई ऐसा खंभा हो, जो इस खंभे के आगे नतमस्तक न हुआ हो। चाहे खुशी से या मजबूरी में, मगर दंडवत् सभी ने की है।

About Author

Sanjeev Jaiswal Sanjay—जन्म : 1959 प्रकाशित कृतियाँ : 7 उपन्यास, 9 कहानी संग्रह, 25 चित्र-कथाएँ और देश की प्रतिष्‍ठित पत्रिकाओं में 800 से अधिक कहानियाँ एवं व्यंग्य-लेख प्रकाशित। रेडियो एवं टी.वी. पर कई कहानियाँ एवं भेंटवार्त्ताएँ प्रसारित। पुरस्कार : भारत सरकार का ‘भारतेंदु हरिश्‍चंद्र पुरस्कार’ (2005 एवं 2010), उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान का ‘सूर पुरस्कार’ (2005) तथा ‘पं. सोहन लाल द्विवेदी पुरस्कार’ (2005), राष्‍ट्रीय स्तर की कई कहानी प्रतियोगिताओं में प्रथम पुरस्कार, यूनीसेफ द्वारा कहानियाँ प्रकाशित, सी.बी.टी. एवं कई अन्य संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत और सम्मानित। संप्रति : आर.डी.एस.ओ. (रेल-मंत्रालय), लखनऊ में संयुक्‍त निदेशक के पद पर कार्यरत। संपर्क : सी-5300, सेक्टर-12, राजाजीपुरम्, लखनऊ-226017

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Democracy Ka Chautha Khamba”

Your email address will not be published. Required fields are marked *