Damodar Datta Dikshit ki Lokpriya Kahaniyan

Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Damodar Datta Dikshit
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Prabhat Prakashan
Author:
Damodar Datta Dikshit
Language:
Hindi
Format:
Hardback

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‘दामोदर दत्त दीक्षित की लोकप्रिय कहानियाँ’ आज के भारतीय उप-महाद्वीप की प्रामाणिक तसवीर प्रस्तुत करती है। कहानियों से गुजरते हुए अनुभव होता है कि लेखक दबे-कुचले वर्ग, वंचितों और शोषितों की व्यथा-कथा से संवेदनात्मक स्तर पर गहराई से जुड़ा है। ग्रामीण और नगरीय जीवन के यथार्थ का साक्षात्कार कराती इन कहानियों में जन सामान्य की विषमताओं, विसंगतियों, विरूपताओं, विभीषिकाओं और विवशताओं तथा सत्ता-व्यवस्था के द्वारा किए जा रहे शोषण, उत्पीड़न, उनके क्रूर आचरण और निष्ठुरता के विविध आयामों को उजागर किया गया है। कहानियों का वैविध्य विस्मित करता है। प्रत्येक कहानी अपने स्वरूप में, अपने प्रकार में पृथक् है। कहानियों में वस्तु और भाव की समरसता है और भाषा तथा शिल्प का अनुकूल संयोजन है। लेखक ने अपने व्यापक अनुभव, संवेदनशीलता, कल्पनाशीलता और अभिव्यक्ति कौशल से अत्यंत लोकप्रिय कहानियाँ दी हैं, इसमें संदेह नहीं।

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Description

‘दामोदर दत्त दीक्षित की लोकप्रिय कहानियाँ’ आज के भारतीय उप-महाद्वीप की प्रामाणिक तसवीर प्रस्तुत करती है। कहानियों से गुजरते हुए अनुभव होता है कि लेखक दबे-कुचले वर्ग, वंचितों और शोषितों की व्यथा-कथा से संवेदनात्मक स्तर पर गहराई से जुड़ा है। ग्रामीण और नगरीय जीवन के यथार्थ का साक्षात्कार कराती इन कहानियों में जन सामान्य की विषमताओं, विसंगतियों, विरूपताओं, विभीषिकाओं और विवशताओं तथा सत्ता-व्यवस्था के द्वारा किए जा रहे शोषण, उत्पीड़न, उनके क्रूर आचरण और निष्ठुरता के विविध आयामों को उजागर किया गया है। कहानियों का वैविध्य विस्मित करता है। प्रत्येक कहानी अपने स्वरूप में, अपने प्रकार में पृथक् है। कहानियों में वस्तु और भाव की समरसता है और भाषा तथा शिल्प का अनुकूल संयोजन है। लेखक ने अपने व्यापक अनुभव, संवेदनशीलता, कल्पनाशीलता और अभिव्यक्ति कौशल से अत्यंत लोकप्रिय कहानियाँ दी हैं, इसमें संदेह नहीं।

About Author

जन्म : 25 दिसंबर, 1949, अतरौली, लखनऊ। शिक्षा : लखनऊ विश्वविद्यालय से प्राचीन भारतीय इतिहास में एम.ए. और पी-एच.डी. तथा पाली एवं जर्मन भाषाओं में प्रोफिशिएंसी। प्रकाशित कृतियाँ : धुआँ और चीखें (उपन्यास); दरवाजेवाला खेत, हुद्देदार, अलगी-अलगा, अनोखी आधुनिक कहानी, प्रेम-संबंधों की कहानियाँ, गाँव की चुनिंदा कहानियाँ (कहानी-संग्रह); आत्मबोध, सबको धन्यवाद, चंद बेहूदा हरकतें, प्रतिनिधि व्यंग्य : दामोदर दत्त दीक्षित, ऑपरेशन महुआ, 51 श्रेष्ठ व्यंग्य रचनाएँ, हम टायर होंगे, रिटायर नहीं, साहित्यिक जगत् के व्यंग्य (व्यंग्य-संग्रह); विकटवन के विचित्र किस्से (लघुकथा-संग्रह); जैसे उनके दिन बहुरे (लोककथा-संग्रह); अटलांटिक प्रशांत के बीच, रोम से लंदन तक, जापान फिर अमेरिका (यात्रा-वृत्त); मुझे भी कुछ कहना है (लेख-संग्रह); दो पुस्तकें इतिहास पर और चार अन्य पुस्तकें। सम्मान : उ.प्र. हिंदी संस्थान के रामनरेश त्रिपाठी पुरस्कार, प्रेमचंद पुरस्कार, हरिशंकर परसाई पुरस्कार, साहित्य भूषण सम्मान, अंबिका प्रसाद दिव्य पुरस्कार, आचार्य निरंजननाथ सम्मान, मीरा स्मृति सम्मान। रचनाएँ गुजराती, पंजाबी, ओडि़या, राजस्थानी और अंग्रेजी में अनूदित।

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