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Dadi Janki : Manav Seva Ke Sau Varsh
Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Liz Hodgkinson
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Prabhat Prakashan
Author:
Liz Hodgkinson
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹350 ₹263
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In stock
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1-4 Days
In stock
Book Type |
---|
ISBN:
Page Extent:
224
यह पुस्तक विश्वप्रसिद्ध आध्यात्मिक संस्था ‘ब्रह्माकुमारी’ की शिक्षाओं को भारत से बाहर प्रसारित करने में और ब्रह्माकुमारी को एक महत्त्वपूर्ण वैश्विक आंदोलन के रूप में स्थापित करने के लिए पूज्य दादी जानकी की अद्भुत उपलब्धियों पर केंद्रित है। यह कोई आधिकारिक आत्मकथा नहीं है, बल्कि तीस वर्षों की मित्रता पर आधारित एक स्नेहपूर्ण व्यक्तिगत विवरण है। प्रख्यात लेखिका लिज हॉजकिंसन विशेष रूप से दादी की प्रबल इच्छाशक्ति, जनकल्याण-दृष्टि तथा महिलाओं के सशक्तीकरण के उनके उत्साह की प्रबल समर्थक हैं। यह पुस्तक दादी की दूसरों के अंदर छुपी प्रतिभाओं और गुणों को बाहर निकाल लेने की क्षमता को भी रेखांकित करती है। लिज का यह विवरण ब्रह्माकुमारियों से जुड़े अनेक ऐसे लोगों की कहानियों पर आधारित है, जिन्होंने दादी के साथ रहकर काम और अध्ययन किया है। मानवता को समर्पित श्रद्धेय दादी जानकी के त्यागपूर्ण और प्रेरक जीवन की अंतर्यात्रा है यह कृति|
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Seva Ke Sau Varsh” Cancel reply
Description
यह पुस्तक विश्वप्रसिद्ध आध्यात्मिक संस्था ‘ब्रह्माकुमारी’ की शिक्षाओं को भारत से बाहर प्रसारित करने में और ब्रह्माकुमारी को एक महत्त्वपूर्ण वैश्विक आंदोलन के रूप में स्थापित करने के लिए पूज्य दादी जानकी की अद्भुत उपलब्धियों पर केंद्रित है। यह कोई आधिकारिक आत्मकथा नहीं है, बल्कि तीस वर्षों की मित्रता पर आधारित एक स्नेहपूर्ण व्यक्तिगत विवरण है। प्रख्यात लेखिका लिज हॉजकिंसन विशेष रूप से दादी की प्रबल इच्छाशक्ति, जनकल्याण-दृष्टि तथा महिलाओं के सशक्तीकरण के उनके उत्साह की प्रबल समर्थक हैं। यह पुस्तक दादी की दूसरों के अंदर छुपी प्रतिभाओं और गुणों को बाहर निकाल लेने की क्षमता को भी रेखांकित करती है। लिज का यह विवरण ब्रह्माकुमारियों से जुड़े अनेक ऐसे लोगों की कहानियों पर आधारित है, जिन्होंने दादी के साथ रहकर काम और अध्ययन किया है। मानवता को समर्पित श्रद्धेय दादी जानकी के त्यागपूर्ण और प्रेरक जीवन की अंतर्यात्रा है यह कृति|
About Author
लिज हॉजकिंसन 1981 से ब्रह्माकुमारी से जुड़ी हुई हैं। उस समय उन्होंने ‘शी’ पत्रिका के लिए उन पर लेख लिखा था। उनके सिद्धांतों और जीवनशैली के बारे में जानकर उन्हें इतना अच्छा लगा कि उन्होंने उनसे निकट संपर्क बना लिया, हालाँकि वे स्वयं औपचारिक रूप से ब्रह्माकुमारी नहीं बनीं। लिज ने भारत में ब्रह्माकुमारियों के माउंट आबू स्थित मुख्यालय में कई यात्राएँ कीं और दादी जानकी तथा अन्य वरिष्ठ बहनों के साथ अकसर सार्वजनिक रूप से मंचों पर आईं। हाल के वर्षों में ब्रह्माकुमारियों और उनके प्रभावों के बारे में लिखना एक मिशन का रूप ले चुका है। लिज पहले भी ब्रह्माकुमारियों के बारे में दो पुस्तकें लिख चुकी हैं—संगठन का अनौपचारिक इतिहास ‘पीस एंड प्योरिटी’, ब्रह्माकुमारियों की यूरोपीय निदेशक बहन जयंती के साथ वार्त्ता की शृंखला, ‘ह्वाई वूमैन बिलीव इन गॉड’। पूरे परिवार के लिए ब्रह्माकुमारियाँ, और खासकर दादी जानकी, अनंत आकर्षण और विमर्श का विषय हैं और यह सिलसिला लंबे समय तक कायम रहनेवाला है|
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