Combo Pack Of 5 Books: Prachin Evam Purva Madhyakalin Bharat Ka Itihas | Bharat Ki Rajvyavastha | Bhartiya Arthvyavastha | Adhunik Bharat Ka Etihas | Bharat Ka Bhugol

Publisher:
‎ Pearson | McGraw Hill | Spectrum Books | McGraw Hill
| Author:
Upinder Singh | M Laxmikanth | Ramesh Singh | Rajiv Ahir | Late Majid Husain
| Language:
Hindi
| Format:
Omnibus/Box Set
Publisher:
‎ Pearson | McGraw Hill | Spectrum Books | McGraw Hill
Author:
Upinder Singh | M Laxmikanth | Ramesh Singh | Rajiv Ahir | Late Majid Husain
Language:
Hindi
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Omnibus/Box Set

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4280
Prachin Evam Purva Madhyakalin Bharat Ka Itihas :- प्रथम संस्करण में ही एक अद्वितीय कृति के रूप में स्थापित हो चुकी प्रोफेसर उपिंदर सिंह की पुस्तक प्राचीन एवं पूर्व मध्यकालीन भारत का इतिहास का यह द्वितीय संस्करण प्रस्तुत है जिसमें इस विषय से संबंधित नवीनतम खोज, अनुसंधान और अंतर्दृष्टियां प्रस्तुत की गई हैं। इसमें पाठ्यात्मक, पुरातात्त्विक और दृश्य स्रोतों के विस्तृत आधार पर राजनीति, अर्थव्यवस्था, समाज, धर्म, दर्शन, कला और अवधारणाओं से जुड़े विमर्शों को एक सूत्र में पिरोकर इतिहास को एक लयबद्ध कड़ी के रूप में प्रस्तुत किया गया है। विगत हज़ारों वर्षों के दौरान इस उपमहाद्वीप में होनेवाले व्यापक स्तर के परिवर्तनों के साथ-साथ आम लोगों के रोज़मर्रा जीवन पर प्रकाश डालती हुई यह पुस्तक विभिन्न क्षेत्रों के जटिल तथा सतत गतिशील इतिहास को उजागर करती है। इसने न केवल सामान्य पाठकों के लिए एक उत्कृष्ट स्रोत के रूप में प्रतिष्ठा प्राप्त की है बल्कि स्नातक और स्नातकोत्तर कक्षा के विद्यार्थियों के लिए प्राचीन एवं पूर्व मध्यकालीन भारत पर एक व्यापक और आधिकारिक पाठ्यपुस्तक के रूप में अत्यधिक लोकप्रियता हासिल की है। उपिंदर सिंह की सुस्पष्ट, विस्तृत और संतुलित व्याख्या के द्वारा पाठकों में ऐतिहासिक साक्ष्यों का गंभीर मूल्यांकन और विश्लेषण करने की क्षमता विकसित होती है। मूल स्रोतों से उद्धृत अंशों और भारत की विविध और समृद्ध ऐतिहासिक विरासत की तस्वीरों एवं चित्रणों से भरपूर यह पुस्तक पाठकों को अतीत की खोज की एक रोमांचक यात्रा पर ले जाती है। प्रमुख विशेषताएं – नए-नए आविष्कारों एवं इतिहास लेखन की प्रवृत्तियों पर प्रकाश पुरातत्त्व में प्रयुक्त नवीनतम वैज्ञानिक तकनीकों का उल्लेख कला और साहित्य के महत्त्व का रेखांकन पारिस्थितिकी, वन्य जनजातियों और पशुचारियों पर चर्चा अधीनस्थ वर्गों एवं जातियों तथा महिलाओं के अनुभवों पर बल विचारों और ज्ञान के इतिहास और उनके प्रसार पर प्रकाश उत्तरपूर्व सम्बंधित अनुसंधानों पर ध्यान भारत के अतिरिक्त दक्षिण एशिया के अन्य क्षेत्रों का अवलोकन भारत को विश्व से जोड़नेवाले विभिन्न तंत्रों की रूपरेखा प्रचुर मात्रा में मानचित्रों, तस्वीरों और रेखाचित्रों का प्रयोग
Bharat Ki Rajvyavastha :- सर्वश्रेष्ठ प्रकाशन समूह मैकग्रा-हिल इस विषय पर सबसे प्रसिद्ध शीर्षक – एम लक्ष्मीकांत द्वारा लिखित भारत की राजव्यवस्था का सातवां संस्करण प्रकाशित कर रहा है। यह पुस्तक सिविल सेवा परीक्षाओं के साथ-साथ अन्य राज्य सेवा परीक्षाओं में बैठने वाले उम्मीदवारों के लिए आवश्यक रूप से पढ़ी जानी वाली पुस्तक है। इस पुस्तक का प्रकाशन प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उपस्थित होने वाले छात्रों को ही नहीं, बल्कि स्नातकोत्तर, शोध विद्वानों, शिक्षाविदों और देश के राजनीतिक, नागरिक और संवैधानिक मुद्दों में रुचि रखने वाले सामान्य पाठकों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए किया गया है। इस संस्करण में हाल के घटनाक्रमों के अनुसार सभी अध्यायों को पूरी तरह से संशोधित और अद्यतन किया गया है।

पुस्तक की मुख्य विशेषताएं: 1. भारत के संपूर्ण राजनीतिक और संवैधानिक स्पेक्ट्रम को कवर करने वाले 92 अध्याय

2. नए अध्यायों में विधि आयोग, बार काउंसिल, परिसीमन आयोग, विश्व संविधान, महिलाओं के लिए राष्ट्रीय आयोग, बाल अधिकारों के लिए राष्ट्रीय आयोग, अल्पसंख्यकों के लिए राष्ट्रीय आयोग आदि का समावेश 3. 8 प्रासंगिक परिशिष्ट 4. नवीनतम पैटर्न और पाठ्यक्रम के अनुसार संशोधित अध्याय 5. प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा के पिछले वर्षों के प्रश्नों का समावेश 6. सिविल सेवा के उम्मीदवारों, कानून के छात्रों, राजनीति विज्ञान और लोक प्रशासन के छात्रों के लिए वन स्टॉप समाधान 7. वैचारिक वीडियो मैकग्रा हिल एज के क्यूआर कोड पर उपलब्ध: • मौलिक अधिकार • संसद की भूमिका और उसकी सीमाएँ • महत्वपूर्ण अनुच्छेद • राष्ट्रीय आपातकाल और राजनीतिक व्यवस्था पर इसका प्रभाव • सीएजी, एजीआई, सीबीआई और एनआईए : उनकी स्वायत्तता और सीमाएं • न्यायिक समीक्षा और सक्रियता• अनुसूचित एवं जनजातीय क्षेत्र (भारतीय मानचित्र के माध्यम से प्रदर्शन एवं चर्चा) और कुछ और…

Bhartiya Arthvyavastha :- रमेश सिंह द्वारा लिखित भारतीय अर्थव्यवस्था अपने 15वें संस्करण में भी हर बार की तरह इस बार भी अर्थशास्त्र की एक मौलिक और अनुप्रयोग-आधारित समझ विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मुख्य रूप से यू पी एस सी (संघ लोक सेवा आयोग) द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा और विभिन्न राज्य सिविल सेवा परीक्षाओं के उम्मीदवारों के लिए और यहां तक कि उन लोगों के लिए भी है जो इस विषय का अध्ययन करने में रुचि रखते हैं, उन सब के लिए यह एक लोकप्रिय साथी बना हुआ है।

पुस्तक की मुख्य विशेषताएं:

1. दृष्टिकोण में अंतःविषय, यह पुस्तक सामाजिक-आर्थिक विकास से संबंधित मुद्दों की एक व्यावहारिक समझ देने के लिए वर्तमान विकास को आपस में जोड़ती है I 2. आर्थिक समीक्षा 2022-23, केंद्रीय बजट 2023-24, नीति आयोग और केंद्रीय मंत्रालयों की प्रमुख रिपोर्ट जैसे सभी नवीनतम और प्रमुख आधिकारिक स्रोतों के साथ पूरी तरह से संशोधित और अद्यतन 3. कृषि, उद्योग और सेवा क्षेत्र में हुए नवीनतम विकास का समावेशन 4. मुद्रास्फीति (Inflation), बैंकिंग, बाहरी क्षेत्र, ‘एजाइल’ नीति दृष्टिकोण, परिवर्तनकारी सुधार, सामाजिक क्षेत्र, आदि पर अद्यतन कवरेज। 5. नए विषयों में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर, सेमीकंडक्टर सेक्टर, ई-कॉमर्स, डिजिटल वित्तीय सेवाएं और कई अन्य शामिल 6. आर्थिक समीक्षा 2022-33 और केंद्रीय बजट 2023-24 का विशेष कवरेज 7. प्रारंभिक और मुख्य दोनों परीक्षाओं के लिए उनके उत्तर और स्पष्टीकरण के साथ वर्तमान और प्रासंगिक मॉडल प्रश्न शामिल 8. एक उद्देश्यपूर्ण और व्यापक शैली में मूल ‘अवधारणाओं’ और ‘शब्दों’ (Terms) को सरल बनाने के लिए अद्यतन शब्दावली (Glossary) शामिल

Adhunik Bharat Ka Etihas :- पुर्तगालियों के आगमन—भारत में आने वाले प्रथम यूरोपियन जिन्होंने भारत में अपने शक्ति केंद्र स्थापित किए—ने इस विशाल भू-भाग की कोलाहलपूर्ण स्थिति को उजागर किया। यद्यपि शक्तिशाली मुगलों ने अपने साम्राज्य का निर्माण एवं विस्तार किया, तथापि वे कभी भी समुद्री प्रभुत्व हासिल नहीं कर सके। दूसरी ओर, यूरोपियों ने उपनिवेशी साम्राज्य का निर्माण अपनी नौसेना (समुद्री शक्ति) के बल पर किया।
यह पुस्तक यूरोपियों के आगमन और भारत पर ब्रिटिश शासन के क्रमिक प्रभुत्व से लेकर उपनिवेशी शासन से भारत की स्वतंत्रता तक की अशांत अवधि की समीक्षा करती है।
यह पुस्तक भारत पर ब्रिटिश शासन की आर्थिक तथा प्रशासनिक नीतियों के प्रभाव के अलावा, सामाजिक-आर्थिक मोर्चे पर परिवर्तनों, सुधार आंदोलनों, प्रेस के विकास और शैक्षिक प्रगति पर भी विमर्श करती है।
पुस्तक स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात की चुनौतियों और लोगों द्वारा मतदान के माध्यम से चुनी गई विभिन्न सरकारों के कार्यों का भी संक्षिप्त परीक्षण करती है।
यह संशोधित संस्करण विभिन्न जनजातीय आंदोलनों, संवैधानिक विकासक्रमों, श्रमिक आंदोलनों तथा स्वतंत्रता आंदोलन से सम्बद्ध व्यक्तियों के संबंध में नवीन जानकारी का समावेश करता है।

Bharat Ka Bhugol :- माजिद हुसैन द्वारा लिखित भारत का भूगोल, 10वां संस्करण भूगोल के प्रमुख शीर्षकों में से एक है। यह एक व्यापक रूप से पढ़ी जाने वाली संदर्भ पुस्तक है जो व्यवस्थित और विस्तृत तरीके से भारत के भौगोलिक परिदृश्य की प्रासंगिक विशेषताओं और विषयों से संबंधित है। देश के प्रशासनिक ढांचे, या प्राकृतिक आपदाओं के संबंध में हाल के घटनाक्रमों के साथ, दसवें संस्करण को वर्तमान तथ्यों, आंकड़ों और विषयगत मानचित्रों के साथ पूरी तरह से संशोधित किया गया है। इस संस्करण में बहुत सारे नये विषयों को शामिल करते हुए पाठ्य सामग्री पर समग्र रूप से पुनर्विचार करने का प्रयास किया गया है।यह पुस्तक, जिसका भूगोल विषय में एक प्रमुख नाम है, पाठ्य सामग्री की एक विस्तृत और लचीली मात्रा प्रदान करती है जिसे विभिन्न पाठ्यक्रमों और प्रारूपों के लिए उपयुक्त रूप में चुना जा सकता है। इस विषय के स्नातक और स्नातकोत्तर और शोधकर्ताओं और शिक्षाविदों द्वारा भी इस को तेजी से संदर्भित किया जा रहा है।मुख्य आकर्षण:

1) स्पष्ट रूप से सैद्धांतिक अवधारणाओं के साथ यूपीएससी पाठ्यक्रम का व्यापक कवरेज 2) अद्यतन पाठ्यक्रम के अनुसार अध्यायों के साथ-साथ सामग्री की तालिका का व्यवस्थित संरेखण 3) समझने में आसान, सरल भाषा से कठिन अवधारणाओं तक 4) जहां भी उपयुक्त हो, टेबल, बुलेट और विभिन्न इन्फोग्राफिक्स में रखी गई सामग्री

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Prachin Evam Purva Madhyakalin Bharat Ka Itihas :- प्रथम संस्करण में ही एक अद्वितीय कृति के रूप में स्थापित हो चुकी प्रोफेसर उपिंदर सिंह की पुस्तक प्राचीन एवं पूर्व मध्यकालीन भारत का इतिहास का यह द्वितीय संस्करण प्रस्तुत है जिसमें इस विषय से संबंधित नवीनतम खोज, अनुसंधान और अंतर्दृष्टियां प्रस्तुत की गई हैं। इसमें पाठ्यात्मक, पुरातात्त्विक और दृश्य स्रोतों के विस्तृत आधार पर राजनीति, अर्थव्यवस्था, समाज, धर्म, दर्शन, कला और अवधारणाओं से जुड़े विमर्शों को एक सूत्र में पिरोकर इतिहास को एक लयबद्ध कड़ी के रूप में प्रस्तुत किया गया है। विगत हज़ारों वर्षों के दौरान इस उपमहाद्वीप में होनेवाले व्यापक स्तर के परिवर्तनों के साथ-साथ आम लोगों के रोज़मर्रा जीवन पर प्रकाश डालती हुई यह पुस्तक विभिन्न क्षेत्रों के जटिल तथा सतत गतिशील इतिहास को उजागर करती है। इसने न केवल सामान्य पाठकों के लिए एक उत्कृष्ट स्रोत के रूप में प्रतिष्ठा प्राप्त की है बल्कि स्नातक और स्नातकोत्तर कक्षा के विद्यार्थियों के लिए प्राचीन एवं पूर्व मध्यकालीन भारत पर एक व्यापक और आधिकारिक पाठ्यपुस्तक के रूप में अत्यधिक लोकप्रियता हासिल की है। उपिंदर सिंह की सुस्पष्ट, विस्तृत और संतुलित व्याख्या के द्वारा पाठकों में ऐतिहासिक साक्ष्यों का गंभीर मूल्यांकन और विश्लेषण करने की क्षमता विकसित होती है। मूल स्रोतों से उद्धृत अंशों और भारत की विविध और समृद्ध ऐतिहासिक विरासत की तस्वीरों एवं चित्रणों से भरपूर यह पुस्तक पाठकों को अतीत की खोज की एक रोमांचक यात्रा पर ले जाती है। प्रमुख विशेषताएं – नए-नए आविष्कारों एवं इतिहास लेखन की प्रवृत्तियों पर प्रकाश पुरातत्त्व में प्रयुक्त नवीनतम वैज्ञानिक तकनीकों का उल्लेख कला और साहित्य के महत्त्व का रेखांकन पारिस्थितिकी, वन्य जनजातियों और पशुचारियों पर चर्चा अधीनस्थ वर्गों एवं जातियों तथा महिलाओं के अनुभवों पर बल विचारों और ज्ञान के इतिहास और उनके प्रसार पर प्रकाश उत्तरपूर्व सम्बंधित अनुसंधानों पर ध्यान भारत के अतिरिक्त दक्षिण एशिया के अन्य क्षेत्रों का अवलोकन भारत को विश्व से जोड़नेवाले विभिन्न तंत्रों की रूपरेखा प्रचुर मात्रा में मानचित्रों, तस्वीरों और रेखाचित्रों का प्रयोग
Bharat Ki Rajvyavastha :- सर्वश्रेष्ठ प्रकाशन समूह मैकग्रा-हिल इस विषय पर सबसे प्रसिद्ध शीर्षक – एम लक्ष्मीकांत द्वारा लिखित भारत की राजव्यवस्था का सातवां संस्करण प्रकाशित कर रहा है। यह पुस्तक सिविल सेवा परीक्षाओं के साथ-साथ अन्य राज्य सेवा परीक्षाओं में बैठने वाले उम्मीदवारों के लिए आवश्यक रूप से पढ़ी जानी वाली पुस्तक है। इस पुस्तक का प्रकाशन प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उपस्थित होने वाले छात्रों को ही नहीं, बल्कि स्नातकोत्तर, शोध विद्वानों, शिक्षाविदों और देश के राजनीतिक, नागरिक और संवैधानिक मुद्दों में रुचि रखने वाले सामान्य पाठकों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए किया गया है। इस संस्करण में हाल के घटनाक्रमों के अनुसार सभी अध्यायों को पूरी तरह से संशोधित और अद्यतन किया गया है।

पुस्तक की मुख्य विशेषताएं: 1. भारत के संपूर्ण राजनीतिक और संवैधानिक स्पेक्ट्रम को कवर करने वाले 92 अध्याय

2. नए अध्यायों में विधि आयोग, बार काउंसिल, परिसीमन आयोग, विश्व संविधान, महिलाओं के लिए राष्ट्रीय आयोग, बाल अधिकारों के लिए राष्ट्रीय आयोग, अल्पसंख्यकों के लिए राष्ट्रीय आयोग आदि का समावेश 3. 8 प्रासंगिक परिशिष्ट 4. नवीनतम पैटर्न और पाठ्यक्रम के अनुसार संशोधित अध्याय 5. प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा के पिछले वर्षों के प्रश्नों का समावेश 6. सिविल सेवा के उम्मीदवारों, कानून के छात्रों, राजनीति विज्ञान और लोक प्रशासन के छात्रों के लिए वन स्टॉप समाधान 7. वैचारिक वीडियो मैकग्रा हिल एज के क्यूआर कोड पर उपलब्ध: • मौलिक अधिकार • संसद की भूमिका और उसकी सीमाएँ • महत्वपूर्ण अनुच्छेद • राष्ट्रीय आपातकाल और राजनीतिक व्यवस्था पर इसका प्रभाव • सीएजी, एजीआई, सीबीआई और एनआईए : उनकी स्वायत्तता और सीमाएं • न्यायिक समीक्षा और सक्रियता• अनुसूचित एवं जनजातीय क्षेत्र (भारतीय मानचित्र के माध्यम से प्रदर्शन एवं चर्चा) और कुछ और…

Bhartiya Arthvyavastha :- रमेश सिंह द्वारा लिखित भारतीय अर्थव्यवस्था अपने 15वें संस्करण में भी हर बार की तरह इस बार भी अर्थशास्त्र की एक मौलिक और अनुप्रयोग-आधारित समझ विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मुख्य रूप से यू पी एस सी (संघ लोक सेवा आयोग) द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा और विभिन्न राज्य सिविल सेवा परीक्षाओं के उम्मीदवारों के लिए और यहां तक कि उन लोगों के लिए भी है जो इस विषय का अध्ययन करने में रुचि रखते हैं, उन सब के लिए यह एक लोकप्रिय साथी बना हुआ है।

पुस्तक की मुख्य विशेषताएं:

1. दृष्टिकोण में अंतःविषय, यह पुस्तक सामाजिक-आर्थिक विकास से संबंधित मुद्दों की एक व्यावहारिक समझ देने के लिए वर्तमान विकास को आपस में जोड़ती है I 2. आर्थिक समीक्षा 2022-23, केंद्रीय बजट 2023-24, नीति आयोग और केंद्रीय मंत्रालयों की प्रमुख रिपोर्ट जैसे सभी नवीनतम और प्रमुख आधिकारिक स्रोतों के साथ पूरी तरह से संशोधित और अद्यतन 3. कृषि, उद्योग और सेवा क्षेत्र में हुए नवीनतम विकास का समावेशन 4. मुद्रास्फीति (Inflation), बैंकिंग, बाहरी क्षेत्र, ‘एजाइल’ नीति दृष्टिकोण, परिवर्तनकारी सुधार, सामाजिक क्षेत्र, आदि पर अद्यतन कवरेज। 5. नए विषयों में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर, सेमीकंडक्टर सेक्टर, ई-कॉमर्स, डिजिटल वित्तीय सेवाएं और कई अन्य शामिल 6. आर्थिक समीक्षा 2022-33 और केंद्रीय बजट 2023-24 का विशेष कवरेज 7. प्रारंभिक और मुख्य दोनों परीक्षाओं के लिए उनके उत्तर और स्पष्टीकरण के साथ वर्तमान और प्रासंगिक मॉडल प्रश्न शामिल 8. एक उद्देश्यपूर्ण और व्यापक शैली में मूल ‘अवधारणाओं’ और ‘शब्दों’ (Terms) को सरल बनाने के लिए अद्यतन शब्दावली (Glossary) शामिल

Adhunik Bharat Ka Etihas :- पुर्तगालियों के आगमन—भारत में आने वाले प्रथम यूरोपियन जिन्होंने भारत में अपने शक्ति केंद्र स्थापित किए—ने इस विशाल भू-भाग की कोलाहलपूर्ण स्थिति को उजागर किया। यद्यपि शक्तिशाली मुगलों ने अपने साम्राज्य का निर्माण एवं विस्तार किया, तथापि वे कभी भी समुद्री प्रभुत्व हासिल नहीं कर सके। दूसरी ओर, यूरोपियों ने उपनिवेशी साम्राज्य का निर्माण अपनी नौसेना (समुद्री शक्ति) के बल पर किया।
यह पुस्तक यूरोपियों के आगमन और भारत पर ब्रिटिश शासन के क्रमिक प्रभुत्व से लेकर उपनिवेशी शासन से भारत की स्वतंत्रता तक की अशांत अवधि की समीक्षा करती है।
यह पुस्तक भारत पर ब्रिटिश शासन की आर्थिक तथा प्रशासनिक नीतियों के प्रभाव के अलावा, सामाजिक-आर्थिक मोर्चे पर परिवर्तनों, सुधार आंदोलनों, प्रेस के विकास और शैक्षिक प्रगति पर भी विमर्श करती है।
पुस्तक स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात की चुनौतियों और लोगों द्वारा मतदान के माध्यम से चुनी गई विभिन्न सरकारों के कार्यों का भी संक्षिप्त परीक्षण करती है।
यह संशोधित संस्करण विभिन्न जनजातीय आंदोलनों, संवैधानिक विकासक्रमों, श्रमिक आंदोलनों तथा स्वतंत्रता आंदोलन से सम्बद्ध व्यक्तियों के संबंध में नवीन जानकारी का समावेश करता है।

Bharat Ka Bhugol :- माजिद हुसैन द्वारा लिखित भारत का भूगोल, 10वां संस्करण भूगोल के प्रमुख शीर्षकों में से एक है। यह एक व्यापक रूप से पढ़ी जाने वाली संदर्भ पुस्तक है जो व्यवस्थित और विस्तृत तरीके से भारत के भौगोलिक परिदृश्य की प्रासंगिक विशेषताओं और विषयों से संबंधित है। देश के प्रशासनिक ढांचे, या प्राकृतिक आपदाओं के संबंध में हाल के घटनाक्रमों के साथ, दसवें संस्करण को वर्तमान तथ्यों, आंकड़ों और विषयगत मानचित्रों के साथ पूरी तरह से संशोधित किया गया है। इस संस्करण में बहुत सारे नये विषयों को शामिल करते हुए पाठ्य सामग्री पर समग्र रूप से पुनर्विचार करने का प्रयास किया गया है।यह पुस्तक, जिसका भूगोल विषय में एक प्रमुख नाम है, पाठ्य सामग्री की एक विस्तृत और लचीली मात्रा प्रदान करती है जिसे विभिन्न पाठ्यक्रमों और प्रारूपों के लिए उपयुक्त रूप में चुना जा सकता है। इस विषय के स्नातक और स्नातकोत्तर और शोधकर्ताओं और शिक्षाविदों द्वारा भी इस को तेजी से संदर्भित किया जा रहा है।मुख्य आकर्षण:

1) स्पष्ट रूप से सैद्धांतिक अवधारणाओं के साथ यूपीएससी पाठ्यक्रम का व्यापक कवरेज 2) अद्यतन पाठ्यक्रम के अनुसार अध्यायों के साथ-साथ सामग्री की तालिका का व्यवस्थित संरेखण 3) समझने में आसान, सरल भाषा से कठिन अवधारणाओं तक 4) जहां भी उपयुक्त हो, टेबल, बुलेट और विभिन्न इन्फोग्राफिक्स में रखी गई सामग्री

About Author

"उपिंदर सिंह अशोक विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग में प्रोफेसर हैं। इससे पहले उन्होंने सेंट स्टीफेंस कॉलेज और दिल्ली विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग में अध्यापन कार्य किया। उन्होंने अपनी शिक्षा सेंट स्टीफेंस कॉलेज से ग्रहण की। बाद में दिल्ली विश्वविद्यालय से उन्होंने एम.ए. तथा एम.फिल. की डिग्री ग्रहण की और प्राचीन भारतीय इतिहास में विशेषज्ञता हासिल की। उन्होंने पी.एच.डी. की उपाधि मोंट्रियल के मैकगिल विश्वविद्यालय से प्राप्त की। उन्हें कई अंतर्राष्ट्रीय फ़ेलोशिप प्राप्त हुए हैं। 2009 में उन्हें इतिहास के विषय पर ‘इन्फोसिस प्राइज़ फॉर सोशल साइंसेज- हिस्ट्री’ से सम्मानित किया गया। प्रोफेसर उपिंदर सिंह के शोध के वैविध्य और उनकी विशेषज्ञता के अंतर्गत प्राचीन भारतीय इतिहास और पुरातत्त्व, अवधारणाओं का इतिहास और बृहत्तर विश्व के साथ भारत के अंतर्संबंध आते हैं। इनके शोधपत्र राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय शोध-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहे हैं।

एम लक्ष्मीकांत ने 1989 में उस्मानिया विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की। वह लक्ष्मीकांत आईएएस अकादमी, हैदराबाद नामक एक पूर्व कोचिंग संस्थान के पूर्व संस्थापक और निदेशक हैं। उनके द्वारा लिखी गई अन्य पुस्तकों में भारतीय शासन, लोक प्रशासन और भारत का संविधान शामिल हैं।

रमेश सिंह, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से शिक्षा-प्राप्त एक प्रसिद्ध शिक्षाविद् हैं जिन्हें छात्रों को सिविल सेवा एवं अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के मार्गदर्शन का ढाई दशकों से भी अधिक का अनुभव प्राप्त है। इनकी गणना देश के सफलतम लेखकों में की जाती है जिन्होंने मैक्ग्रॉ-हिल के लिए अंग्रेजी एवं हिंदी दोनों माध्यमों में अनेक लोकप्रिय पुस्तकों की रचना की है, यथा-- इंडियन इकोनॉमी (मराठी में भी उपलब्ध), भारतीय अर्थव्यवस्था, ऑब्जेक्टिव इंडियन इकोनॉमी एण्ड सोशल डेवलपमेंट, थाउजेंड प्लस क्वेशचंस ऑन जनरल साइंस तथा कंटेम्पररी एसेज। प्रकाशन विभाग (भारत सरकार) की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं ‘योजना’एवं ‘कुरुक्षेत्र’के अतिरिक्त देश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में भी श्री सिंह के लेख प्रकाशित होते रहे हैं। उत्कृष्ट शिक्षण शैली एवं अर्थशास्त्र की जटिलतम् अवधारणाओं को आम बनाने की विलक्षण क्षमता के धनी श्री सिंह ने अर्थशास्त्र को उनके लिए भी समझने योग्य बनाया है जो इस पृष्ठभूमि से नहीं आते। वे अर्थशास्त्र पर विभिन्न परीक्षाओं के लिए कोर्स उपलब्ध कराने वाली दिल्ली स्थित संस्थान इकोमेडइजी (EcoMadeEasy) के संस्थापक-निदेशक हैं। श्री सिंह दिल्ली में अन्यान्य शैक्षणिक एवं सामाजिक कार्यों में संलग्न हैं।

स्वर्गीय माजिद हुसैन भूगोल के क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित नाम है। भूगोल में कठिन अवधारणाओं को स्पष्ट और स्पष्ट शैली में सरल बनाने की उत्कृष्ट क्षमता रखने के कारण, उन्होंने मुख्य रूप से विश्वविद्यालय के छात्रों और सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने वालों के लिए चार दर्जन से अधिक पुस्तकों का लेखन और संपादन किया था। जामिया मिलिया इस्लामिया के साथ काम करते हुए, स्वर्गीय माजिद हुसैन अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के भारतीय भूगोलवेत्ता थे। एक प्रतिष्ठित शिक्षाविद, हुसैन को 1997 में दिल्ली सरकार द्वारा 'सर्वश्रेष्ठ भूगोल शिक्षक' पुरस्कार, 2008 में 'भुगोल भूषण पुरस्कार' और 2011 में 'शिक्षा रत्न पुरस्कार' प्राप्त हुआ। पुस्तक के वर्तमान संस्करण को डॉ तसव्वुर हुसैन जैदी द्वारा संशोधित किया जा रहा है, जो जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय, दिल्ली के साथ काम करने वाले एक अन्य प्रतिष्ठित शिक्षाविद हैं। उन्हें मॉड्यूल तैयार करने के साथ-साथ सिविल सेवा के उम्मीदवारों को व्याख्यान देने का अनुभव है। "

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