Chuppi

Publisher:
Sahitya Vimarsh
| Author:
Sadhna Jain
| Language:
HIndi
| Format:
Paperback
Publisher:
Sahitya Vimarsh
Author:
Sadhna Jain
Language:
HIndi
Format:
Paperback

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SKU 9789392829154 Category
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246

अधूरेपन में कसक होती है। अधूरेपन में वास्तविकता का प्रतिबिंब नज़र आता है। लेकिन ज़िंदगी की हर कमी के बारे में ये कथन सदा सत्य साबित नहीं होता। हमारे जीवन की कुछ कमियाँ हमारे व्यक्तित्व को स्वतंत्र आकार लेने ही नहीं देतीं। हम कुंठाग्रस्त हो जाते हैं। हमारे मन में असुरक्षा की भावना घर कर जाती है। तनाव और गहरे अवसाद की ओर हमारे क़दम बढ़ने लगते हैं। उस कमी को पूरा करने के लिए हम कोई भी हद पार करने को हमेशा तैयार रहते हैं। और जो पहले से हमारे पास है, उसको भी दांव पर लगाने से हम नहीं चूकते।

यही नहीं, जब कभी हमारा ये अधूरापन पूर्ण हो जाता है और हमें वो चीज़ मिल जाती है, जिसकी आस में हम अब तक जी रहे होते हैं, तब हम उस चीज़ के प्रति बहुत अधिक संवेदनशील हो जाते है और उसे सदा पास रखने के लिए कुछ भी कर सकते हैं।

ऐसी ही परिस्थितियों में फँसे, दो किरदारों की कहानी है ‘चुप्पी’। एक टीवी नेटवर्क का सीईओ गौतम सिकंद और साइकोलॉजिस्ट तारा मिले तो थे, एक दूसरे के पूरक बनकर, मगर किस्मत को उनके लिए कुछ और ही मंज़ूर था। प्रेम, परवाह, त्याग और समर्पण, सबकुछ था, इन दोनों के रिश्ते में। फिर भी इन्हें एक दूसरे से दूर होना पड़ा। क्यों होना पड़ा, ये जानने के लिए आपको इसे पढ़ना होगा। उम्मीद है कि आपको मेरा ये दूसरा उपन्यास पसंद आएगा। इसको भी आपका उतना ही प्रेम मिलेगा, जितना मेरे पहले उपन्यास ‘जुहू चौपाटी’ को मिला था।

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Description

अधूरेपन में कसक होती है। अधूरेपन में वास्तविकता का प्रतिबिंब नज़र आता है। लेकिन ज़िंदगी की हर कमी के बारे में ये कथन सदा सत्य साबित नहीं होता। हमारे जीवन की कुछ कमियाँ हमारे व्यक्तित्व को स्वतंत्र आकार लेने ही नहीं देतीं। हम कुंठाग्रस्त हो जाते हैं। हमारे मन में असुरक्षा की भावना घर कर जाती है। तनाव और गहरे अवसाद की ओर हमारे क़दम बढ़ने लगते हैं। उस कमी को पूरा करने के लिए हम कोई भी हद पार करने को हमेशा तैयार रहते हैं। और जो पहले से हमारे पास है, उसको भी दांव पर लगाने से हम नहीं चूकते।

यही नहीं, जब कभी हमारा ये अधूरापन पूर्ण हो जाता है और हमें वो चीज़ मिल जाती है, जिसकी आस में हम अब तक जी रहे होते हैं, तब हम उस चीज़ के प्रति बहुत अधिक संवेदनशील हो जाते है और उसे सदा पास रखने के लिए कुछ भी कर सकते हैं।

ऐसी ही परिस्थितियों में फँसे, दो किरदारों की कहानी है ‘चुप्पी’। एक टीवी नेटवर्क का सीईओ गौतम सिकंद और साइकोलॉजिस्ट तारा मिले तो थे, एक दूसरे के पूरक बनकर, मगर किस्मत को उनके लिए कुछ और ही मंज़ूर था। प्रेम, परवाह, त्याग और समर्पण, सबकुछ था, इन दोनों के रिश्ते में। फिर भी इन्हें एक दूसरे से दूर होना पड़ा। क्यों होना पड़ा, ये जानने के लिए आपको इसे पढ़ना होगा। उम्मीद है कि आपको मेरा ये दूसरा उपन्यास पसंद आएगा। इसको भी आपका उतना ही प्रेम मिलेगा, जितना मेरे पहले उपन्यास ‘जुहू चौपाटी’ को मिला था।

About Author

साधना जैन ने अपने लिखने की शुरुआत दिव्य प्रकाश दुबे के राइटर्स रूम से की, जहाँ इन्होंने जल्द ही रिलीज हो रही एक ‘Audible Series’ के लिए तीन कहानियाँ भी लिखी हैं। बचपन से ही इन्हें पढ़ने का शौक था, लेकिन जब आर्थराइटिस नामक रोग ने कम उम्र में ही इनकी ज़िंदगी में अपना स्थाई घर बना लिया तो पढ़ना इनकी ज़रूरत बन गया। किताबों में इन्होंने अपने अकेलेपन को खोकर एकांत को खोजा, जिसने इन्हें मानसिक रूप से सबल बनाए रखा। इनका मानना है कि किताबों को पढ़ा जाना चाहिए, भाषा चाहे कोई भी हो। लेकिन, अगर आपको एक से ज़्यादा भाषाओं का ज्ञान है तो हर भाषा में पढ़ना चाहिए, क्योंकि हर भाषा के पास आपसे बाँटने के लिए कुछ-न-कुछ ख़ास होता है। इनकी पढ़ाई दिल्ली विश्वविद्यालय से हुई है। अब इनका सारा समय सिर्फ़ कहानियों की दुनिया में खोए हुए बीतता है। साधना जी की पहली किताब है ‘जुहू चौपाटी’ है।

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