Chhote-Chhote Samandar

Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Ramdeo Dhoorundhur
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Prabhat Prakashan
Author:
Ramdeo Dhoorundhur
Language:
Hindi
Format:
Hardback

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इस संग्रह ‘छोटे-छोटे समंदर’ की सभी रचनाओं की सीमा-रेखा सौ शदों के आस-पास है। कुछ रचनाएँ तो पचास शदों में ही अपनी पूर्णता को पहुँच गई हैं। इसके कमतर शदों में होने के पीछे लेखक की जानी-बूझी गद्य-क्षणिका का अस ही है। यदि वे लघुकथा समझकर लिख रहे होते तो पूरे पन्ने या उससे भी अधिक शद उसमें आ सकते थे, जिस तरह हाइकु की एक परिसीमा होती है। प्रस्तुत गद्य-क्षणिकाओं का सरोकार फेसबुक से है और इसे चाहनेवाले फेसबुक के तमाम मित्र हैं। उन्हीं लोगों से संबल पाकर लेखक गद्य-क्षणिकाएँ लिखते गए और अब तक उन्होंने हजार से अधिक गद्य-क्षणिकाएँ लिख ली हैं। गद्य में अपनी बात कहने के लिए विस्तार की बहुत बड़ी संभावना रहती है, जबकि वह विस्तार को समेटने का प्रयास करते हैं। लेखक को उनकी एक-एक गद्य-क्षणिका पर फेसबुक पर सौ तक लाईक और तमाम प्रतिक्रियाएँ प्राप्त हो जाती हैं। इसका तात्पर्य यही तो हुआ यह हिंदी साहित्य के किसी एक कोने की भरपाई तो कर ही रही है। कम शदों में समंदर की भाँति ज्ञानराशि समेटे प्रेरक लघुकथाओं का पठनीय संकलन।

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Description

इस संग्रह ‘छोटे-छोटे समंदर’ की सभी रचनाओं की सीमा-रेखा सौ शदों के आस-पास है। कुछ रचनाएँ तो पचास शदों में ही अपनी पूर्णता को पहुँच गई हैं। इसके कमतर शदों में होने के पीछे लेखक की जानी-बूझी गद्य-क्षणिका का अस ही है। यदि वे लघुकथा समझकर लिख रहे होते तो पूरे पन्ने या उससे भी अधिक शद उसमें आ सकते थे, जिस तरह हाइकु की एक परिसीमा होती है। प्रस्तुत गद्य-क्षणिकाओं का सरोकार फेसबुक से है और इसे चाहनेवाले फेसबुक के तमाम मित्र हैं। उन्हीं लोगों से संबल पाकर लेखक गद्य-क्षणिकाएँ लिखते गए और अब तक उन्होंने हजार से अधिक गद्य-क्षणिकाएँ लिख ली हैं। गद्य में अपनी बात कहने के लिए विस्तार की बहुत बड़ी संभावना रहती है, जबकि वह विस्तार को समेटने का प्रयास करते हैं। लेखक को उनकी एक-एक गद्य-क्षणिका पर फेसबुक पर सौ तक लाईक और तमाम प्रतिक्रियाएँ प्राप्त हो जाती हैं। इसका तात्पर्य यही तो हुआ यह हिंदी साहित्य के किसी एक कोने की भरपाई तो कर ही रही है। कम शदों में समंदर की भाँति ज्ञानराशि समेटे प्रेरक लघुकथाओं का पठनीय संकलन।

About Author

मॉरीशस के हिंदी लेखकों में एक यशस्वी व चर्चित नाम। साहित्यिक संस्थाओं में हिंदी लेखन के लिए प्रशिक्षण देने में वर्षों से सक्रियता। स्थानीय रेडियो में तीन सौ से अधिक स्व लिखित एकांकी की प्रस्तुति। दूरदर्शन पर धारावाहिकों का प्रसारण। ‘वसंत’, ‘रिमझिम’ और ‘निर्माण’ पत्रिकाओं का संपादन। अनेक रचनाओं का फ्रेंच में अनुवाद। मॉरिशस में दसेक संस्थाओं द्वारा सम्मानित। महात्मा गांधी संस्थान में सत्ताईस वर्षों तक प्रकाशन विभाग से जुड़े रहे। विश्‍व हिंदी सम्मेलनों में सहभागिता एवं सम्मानित। प्रकाशन : ‘छोटी मछली बड़ी मछली’, ‘चेहरों का आदमी’, ‘बनते बिगड़ते रिश्ते’, ‘पूछो इस माटी से’, ‘पथरीला सोना’ तीन खंड (उपन्यास), ‘विष-मंथन’ (कहानी संग्रह), ‘चेहरे मेरे तुम्हारे’, ‘यात्रा साथ-साथ’, ‘एक धरती एक आकाश’, ‘आते-जाते लोग’ (लघु कथा संग्रह), ‘कलजुगी करम-धरम’, ‘बंदे, आगे भी देख’, ‘चेहरों के झमेले’, ‘पापी स्वर्ग’ (व्यंग्य संग्रह), ‘इतिहास का दर्द ’ (फ्रेंच में अनूदित नाटक) तथा पत्रिकाओं में पचास से अधिक कहानियाँ और दर्जनों लेख प्रकाशित। मॉरीशस की पत्रिकाओं में सौ के लगभग कहानियाँ, अनेकों लेख, निबंध, नाटक और व्यंग्य रचनाएँ प्रकाशित।

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