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Chhatari 198

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Chhatari

Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
ओम प्रकाश वाल्मीकि
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
ओम प्रकाश वाल्मीकि
Language:
Hindi
Format:
Hardback

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Book Type

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ISBN:
SKU 9788119014323 Category
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Page Extent:
130

छतरी –
ओमप्रकाश वाल्मीकि की कहानियों ने सामाजिक जीवन में रची-बसी विद्रूपताओं, विसंगतियों और विषमताओं की भीतरी जड़ों को सूक्ष्मताओं से खँगाला है। इनकी कहानियों में गहरी मानवीय संवेदनाएँ और सामाजिक जीवन के सरोकार परस्पर गुँथे दिखायी देते हैं। सामाजिक संरचना में अनदेखा, अनचीह्ना एक ऐसा संसार है, जो कहीं न कहीं मानवीय रिश्तों, संवेदनाओं को तार-तार कर देता है। ओमप्रकाश वाल्मीकि की ये कहानियाँ इन स्थितियों को गहन पड़ताल के साथ प्रस्तुत करती हैं। संग्रह की शीर्षक कहानी ‘छतरी’ ग्रामीण जीवन का एक ऐसा चित्र प्रस्तुत करती है, जहाँ असुविधाओं और विवशताओं से जूझते लोग और उनकी छोटी-छोटी दम तोड़ती इच्छाओं, वेदनाओं का एक ऐसा संसार रचती हैं, जहाँ निराशा, हताशा उसे गहरी खाइयों में धकेल देती है। जहाँ सिर्फ़ नैराश्य का गहरा अँधेरा होता है।
इन कहानियों में भाषा की सजीवता और चित्रात्मकता गहन अनुभवों के साथ कथ्य को वस्तुनिष्ठ बनाकर अभिव्यक्ति करती है, और यथार्थ का एक ऐसा खाका तैयार करती हैं, जो कहानीकार की प्रतिबद्धता को सामाजिक सरोकारों से जोड़ती दिखायी देती है। हिन्दी कहानी का यह रूप जो गत कुछ वर्षों में दलित कहानी के रूप में सामने आया है, एक नयी ज़मीन तैयार करने में सक्षम दिखायी देता है? सामाजिक उत्पीड़न और अभावों के बीच के जीवन को जिस गहरी वेदना और व्यथा के साथ इन कहानियों में उघाड़ा गया है, वह कहानी के प्रभावों को गहरी चेतना के साथ अभिव्यक्ति की एक नयी ताज़गी देता है? यही इन कहानियों का यथार्थ भी है और उद्देश्य भी। यही वे सूत्र हैं जो ओमप्रकाश वाल्मीकि की कहानियों को अन्य कहानीकारों से अलग और विशिष्ट बनाते हैं?

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Description

छतरी –
ओमप्रकाश वाल्मीकि की कहानियों ने सामाजिक जीवन में रची-बसी विद्रूपताओं, विसंगतियों और विषमताओं की भीतरी जड़ों को सूक्ष्मताओं से खँगाला है। इनकी कहानियों में गहरी मानवीय संवेदनाएँ और सामाजिक जीवन के सरोकार परस्पर गुँथे दिखायी देते हैं। सामाजिक संरचना में अनदेखा, अनचीह्ना एक ऐसा संसार है, जो कहीं न कहीं मानवीय रिश्तों, संवेदनाओं को तार-तार कर देता है। ओमप्रकाश वाल्मीकि की ये कहानियाँ इन स्थितियों को गहन पड़ताल के साथ प्रस्तुत करती हैं। संग्रह की शीर्षक कहानी ‘छतरी’ ग्रामीण जीवन का एक ऐसा चित्र प्रस्तुत करती है, जहाँ असुविधाओं और विवशताओं से जूझते लोग और उनकी छोटी-छोटी दम तोड़ती इच्छाओं, वेदनाओं का एक ऐसा संसार रचती हैं, जहाँ निराशा, हताशा उसे गहरी खाइयों में धकेल देती है। जहाँ सिर्फ़ नैराश्य का गहरा अँधेरा होता है।
इन कहानियों में भाषा की सजीवता और चित्रात्मकता गहन अनुभवों के साथ कथ्य को वस्तुनिष्ठ बनाकर अभिव्यक्ति करती है, और यथार्थ का एक ऐसा खाका तैयार करती हैं, जो कहानीकार की प्रतिबद्धता को सामाजिक सरोकारों से जोड़ती दिखायी देती है। हिन्दी कहानी का यह रूप जो गत कुछ वर्षों में दलित कहानी के रूप में सामने आया है, एक नयी ज़मीन तैयार करने में सक्षम दिखायी देता है? सामाजिक उत्पीड़न और अभावों के बीच के जीवन को जिस गहरी वेदना और व्यथा के साथ इन कहानियों में उघाड़ा गया है, वह कहानी के प्रभावों को गहरी चेतना के साथ अभिव्यक्ति की एक नयी ताज़गी देता है? यही इन कहानियों का यथार्थ भी है और उद्देश्य भी। यही वे सूत्र हैं जो ओमप्रकाश वाल्मीकि की कहानियों को अन्य कहानीकारों से अलग और विशिष्ट बनाते हैं?

About Author

ओमप्रकाश वाल्मीकि - जन्म: 30 जून, 1950, मुज़फ़्फ़र नगर (उत्तर प्रदेश)। शिक्षा: एम.ए. (हिन्दी साहित्य)। प्रकाशित कृतियाँ: कविता-संग्रह—'सदियों का संताप', 'बस्स! बहुत हो चुका', 'अब और नहीं', 'शब्द झूठ नहीं बोलते', 'प्रतिनिधि कविताएँ'। आत्मकथा-'जूठन'। कहानी-संग्रह—'सलाम', 'घुसपैठिये', 'छतरी', 'मेरी प्रतिनिधि कहानियाँ'। आलोचना—'दलित साहित्य का सौन्दर्यशास्त्र', 'मुख्यधारा और दलित साहित्य' सामाजिक अध्ययन–'सफाई देवता' (वाल्मीकि समाज की ऐतिहासिक, सामाजिक, एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि)। नाटक—'दो चेहरे'। अनुवाद—'क्यों मैं हिन्दू नहीं हूँ (कांचा इलैया) अंग्रेज़ी से हिन्दी 'साइरन का शहर' (अरुण काले का कविता संग्रह) मराठी से हिन्दी। सम्पादन—'प्रज्ञा साहित्य' (दलित साहित्य विशेषांक) मार्च-जून, 1995 (अतिथि सम्पादक)। 'दलित हस्तक्षेप', 'दलित दस्तक' (अतिथि सम्पादन)। पुरस्कार/सम्मान: डॉ. अम्बेडकर राष्ट्रीय पुरस्कार (1993), परिवेश सम्मान (1995), जयश्री सम्मान (1996), कथाक्रम सम्मान (2001), न्यू इंडिया बुक प्राइज़ (2004), 8वाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन सम्मान (2007) न्यूयार्क, अमेरिका, साहित्यभूषण सम्मान (2006) उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ। भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान (IIAS), शिमला में फ़ेलो।

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