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Chaudhrayien Ki Chaturai
Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
विजयदान देथा
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Vani Prakashan
Author:
विजयदान देथा
Language:
Hindi
Format:
Paperback
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ISBN:
SKU
9789387024533
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
124
साहित्य जगत में ‘बिज्जी’ के नाम से मशहूर विजयदान देथा इकलौते कथाकार हैं, जिनकी रचनाओं में लोक का आलोक अपने सम्पूर्ण वैभव के साथ उपस्थित है। वे लोक-मानस में सहेजी-बिखरी कथाओं को अपने अप्रतिम सृजन-कौशल से ऐसा स्वरूप प्रदान करते हैं कि उनमें लोक का मूल तत्व तो अक्षत रहता ही है, साथ ही युगों पुरानी कहानियाँ समकालीनता का स्पर्श पा जाती हैं। बिज्जी की कहानियों की भाषा भी अलग से ध्यान देने की माँग करती है। उनकी हिन्दी में राजस्थानी बोली बानी की ऐसी छौंक है, जो हिन्दी का सामर्थ्य-विस्तार करने के साथ-साथ उसे एक नया स्वरूप देती है। इससे पाठकों को एक नया अस्वाद मिलता है। प्रस्तुत संग्रह में बिज्जी ने राजस्थानी के लोक मानस के खजाने से चुनकर कुछ ऐसी कहानियों को अपनी लेखनी का स्पर्श दिया है जो मानवीय मूल्यों को मजबूती से हमारे सामने लाती हैं।
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Description
साहित्य जगत में ‘बिज्जी’ के नाम से मशहूर विजयदान देथा इकलौते कथाकार हैं, जिनकी रचनाओं में लोक का आलोक अपने सम्पूर्ण वैभव के साथ उपस्थित है। वे लोक-मानस में सहेजी-बिखरी कथाओं को अपने अप्रतिम सृजन-कौशल से ऐसा स्वरूप प्रदान करते हैं कि उनमें लोक का मूल तत्व तो अक्षत रहता ही है, साथ ही युगों पुरानी कहानियाँ समकालीनता का स्पर्श पा जाती हैं। बिज्जी की कहानियों की भाषा भी अलग से ध्यान देने की माँग करती है। उनकी हिन्दी में राजस्थानी बोली बानी की ऐसी छौंक है, जो हिन्दी का सामर्थ्य-विस्तार करने के साथ-साथ उसे एक नया स्वरूप देती है। इससे पाठकों को एक नया अस्वाद मिलता है। प्रस्तुत संग्रह में बिज्जी ने राजस्थानी के लोक मानस के खजाने से चुनकर कुछ ऐसी कहानियों को अपनी लेखनी का स्पर्श दिया है जो मानवीय मूल्यों को मजबूती से हमारे सामने लाती हैं।
About Author
विजयदान देथा, जिन्हें उनके मित्र प्यार से बिज्जी कहते हैं, राजस्थानी के प्रमुख लेखक हैं। वे हिन्दी में भी लिखते रहे हैं। देथा ने आठ सौ से अधिक कहानियाँ लिखी हैं, जिनमें से अनेक का अनुवाद हिन्दी, अंग्रेजी तथा अन्य भाषाओं में हो चुका है। राजस्थान की लोक कथाओं और कहावतों के संग्रह एवं पुनर्लेखन के क्षेत्रा में विजयदान देथा का योगदान विश्व स्तर पर समादृत है। उनकी कहानियों पर आधारित तीन हिन्दी फिल्में - दुविधा, पहेली और परिणीता - बन चुकी हैं और चरनदास चोर सहित अनेक नाटक लिखे और मंचित हो चुके हैं। साहित्य अकादेमी तथा अन्य अनेक पुरस्कारों से सम्मानित। कुछ प्रमुख कृतियाँ: बातारी फुलवारी (13 खण्ड), रूँख, दुविधा और अन्य कहानियाँ, उलझन, सपनप्रिया, अन्तराल तथा राजस्थानी-हिन्दी कहावत कोश। राजस्थानी लोक गीत (6 भाग) का संकलन-सम्पादन।
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