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Chandramukhi Ka Devdas
Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
शरद पगारे
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Vani Prakashan
Author:
शरद पगारे
Language:
Hindi
Format:
Paperback
₹295 ₹207
Save: 30%
In stock
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1-4 Days
In stock
ISBN:
SKU
9789388434430
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
160
मालगुड़ी डेज़ के कथा-शिल्पी आर.के. नारायण ने मालगुड़ी के रीयल कैरेक्टर्स की खासियत को जाँचने-परखने के बाद लेखकीय निगाह से इन चरित्रों में साहित्य के काल्पनिक यथार्थ का समन्वय कर मालगुड़ी डेज़ नामक कहानियाँ लिखीं जिस पर उनके बड़े भाई टाइम्स ऑफ़ इण्डिया के प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट श्री आर.के. लक्ष्मण ने लोकप्रिय कार्टून भी बनाये थे। इन कहानियों पर लोकप्रिय टीवी सीरियल भी बना।
मालगुड़ी डेज़ ही क्यों? हर कस्बाई शहर में कुछ खासियत वाले कैरेक्टर्स मिल जायेंगे। जाँचनेपरखने पर उन पर भी कहानियाँ लिखी जा सकती हैं। कस्बाई शहर खण्डवा में भी ऐसी खासियत वाले चरित्र थे जिन्हें शरद पगारे की लेखकीय निगाह ने खोज निकाला। उनकी ज़िन्दगी की सच्चाइयों के साथ साहित्य के काल्पनिक यथार्थ के रंग भर संवेदना के महीन मुलायम रेशमी धागों से कहानियाँ बुन दीं। खण्डवा के इन चरित्रों से चालीस के बाद के दशकों का सारा शहर परिचित था। शरद जी ने इनकी चारित्रिक विशेषताओं को बरकरार रखते हुए उनकी काया में प्रवेश कर उनकी अनुभूतियों, मानवीय संवेदनाओं से परिचित कराने का प्रयत्न किया। चन्द्रमुखी शान्ता, बहादुर प्रमोद, पारू जीजी, मुहर्रम का शेर जर्मन, बाला दादा, ताराचन्द पहलवान, अवध भैया, विम्मी माने विमला, शेर अली शेरू दादा सभी थे। उनकी शारीरिक बनावट, फ़ीचर्स, स्वभाव, दबंगता, चारित्रिक दृढ़ता, जाँबाजी, प्यार, ममता के लिए जान देने की तैयारी थी। उनकी जिन्दगी की सच्चाई को साहित्य के आईने में जस-का-तस पेश कर दिया है। आईना कभी झूठ नहीं बोलता।
मन को छू लेने वाली मनोहारी, मनोरंजक ये कहानियाँ ज़िन्दगी की सच्चाई व कल्पना के यथार्थ के रंग से बुनी गयी हैं। खण्डवा के ये पात्र-पात्रियाँ आपके सामने पेश हैं। लेखक कहाँ तक सफल हए हैं। इसका मूल्यांकन आपको? आपको? आपको? करना है।
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Description
मालगुड़ी डेज़ के कथा-शिल्पी आर.के. नारायण ने मालगुड़ी के रीयल कैरेक्टर्स की खासियत को जाँचने-परखने के बाद लेखकीय निगाह से इन चरित्रों में साहित्य के काल्पनिक यथार्थ का समन्वय कर मालगुड़ी डेज़ नामक कहानियाँ लिखीं जिस पर उनके बड़े भाई टाइम्स ऑफ़ इण्डिया के प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट श्री आर.के. लक्ष्मण ने लोकप्रिय कार्टून भी बनाये थे। इन कहानियों पर लोकप्रिय टीवी सीरियल भी बना।
मालगुड़ी डेज़ ही क्यों? हर कस्बाई शहर में कुछ खासियत वाले कैरेक्टर्स मिल जायेंगे। जाँचनेपरखने पर उन पर भी कहानियाँ लिखी जा सकती हैं। कस्बाई शहर खण्डवा में भी ऐसी खासियत वाले चरित्र थे जिन्हें शरद पगारे की लेखकीय निगाह ने खोज निकाला। उनकी ज़िन्दगी की सच्चाइयों के साथ साहित्य के काल्पनिक यथार्थ के रंग भर संवेदना के महीन मुलायम रेशमी धागों से कहानियाँ बुन दीं। खण्डवा के इन चरित्रों से चालीस के बाद के दशकों का सारा शहर परिचित था। शरद जी ने इनकी चारित्रिक विशेषताओं को बरकरार रखते हुए उनकी काया में प्रवेश कर उनकी अनुभूतियों, मानवीय संवेदनाओं से परिचित कराने का प्रयत्न किया। चन्द्रमुखी शान्ता, बहादुर प्रमोद, पारू जीजी, मुहर्रम का शेर जर्मन, बाला दादा, ताराचन्द पहलवान, अवध भैया, विम्मी माने विमला, शेर अली शेरू दादा सभी थे। उनकी शारीरिक बनावट, फ़ीचर्स, स्वभाव, दबंगता, चारित्रिक दृढ़ता, जाँबाजी, प्यार, ममता के लिए जान देने की तैयारी थी। उनकी जिन्दगी की सच्चाई को साहित्य के आईने में जस-का-तस पेश कर दिया है। आईना कभी झूठ नहीं बोलता।
मन को छू लेने वाली मनोहारी, मनोरंजक ये कहानियाँ ज़िन्दगी की सच्चाई व कल्पना के यथार्थ के रंग से बुनी गयी हैं। खण्डवा के ये पात्र-पात्रियाँ आपके सामने पेश हैं। लेखक कहाँ तक सफल हए हैं। इसका मूल्यांकन आपको? आपको? आपको? करना है।
About Author
शरद पगारे जन्म-स्थानः खण्डवा, मध्य प्रदेश। शिक्षा : इतिहास में एम.ए.. पीएच.डी.। सेवानिवृत्त : प्रोफ़ेसर एवं प्राचार्य, उच्च शिक्षा, मध्य प्रदेश शासन। विशेष : विजिटिंग प्रोफ़ेसर के रूप में शिल्पकर्ण विश्वविद्यालय, बैंकॉक-थाईलैंड में अध्यापन। विदेश यात्राएँ : थाईलैंड, हांगकांग, सिंगापुर, मॉरीशस, श्रीलंका एवं यूरोप। प्रकाशित कृतियाँ उपन्यास : गुलारा बेग़म, गन्धर्वसेन, बेग़म जैनाबादी, उजाले की तलाश, पाटलिपुत्र की सम्राज्ञी, शोध प्रबन्ध, ज़िन्दगी एक सलीब-सी, ज़िन्दगी के बदलते रूप। कहानी संग्रह : एक मुट्ठी ममता, सांध्य तारा, नारी के रूप (दा संस्करण), दूसरा देवदास, श्रेष्ठ कहानियाँ। अनेक कहानियों का उड़िया, मराठी, मलयालम, कन्नड़, तेलुग में अनुवाद एवं प्रकाशन। भारत की श्रेष्ठ ऐतिहासिक प्रेम कहानियाँ, शरद पगारे के दो नाटक। सम्मान एवं पुरस्कार : मध्य प्रदेश साहित्य परिषद् का विश्वनाथ सिंह पुरस्कार (गलारा बेग़म), अखिल भारतीय दिव्य एवं हिन्दी साहित्य सम्मेलन का वागीश्वरी पुरस्कार (बेग़म जैनाबादी), मध्य प्रदेश लेखक संघ का अक्षर आदित्य अलंकरण। साहित्य मण्डल, श्रीनाथ द्वारा (राजस्थान) का हिन्दी भाषा भूषण सम्मान। अखिल भारतीय भाषा साहित्य सम्मेलन का हिन्दी भाषा भूषण सम्मान, मध्य प्रदेश कला परिषद् का अभिनव शब्द, शिल्पी सम्मान, हिन्दी साहित्य सम्मलन, प्रयाग का साहित्य वाचस्पति बालकृष्ण शर्मा नवीन अलंकरण (पाटलिपत्र की सम्राज्ञी), अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन में सुजन गाथा रायपुर एवं राजस्थानी साहित्य अकादमी उदयपर का अन्तर्राष्ट्रीय सम्मान (ज़िन्दगी के बदलते रूप)। सम्पर्क: सुमन कुंज, 110, स्नेह नगर, नवलखा, इंदौर (म.प्र.)-452001
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