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Chaand Ka Munh Terha Hai
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
गजानन माधव मुक्तिबोध
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
गजानन माधव मुक्तिबोध
Language:
Hindi
Format:
Hardback
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ISBN:
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9788126351713
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
296
चाँद का मुँह टेढ़ा है –
‘मुक्तिबोध की लम्बी कविताओं का पैटर्न विस्तृत होता है। एक विशाल म्यूरल पेंटिंग—आधुनिक प्रयोगवादी; अत्याधुनिक, जिसमें सब चीज़ें ठोस और स्थिर होती हैं; किसी बहुत ट्रैजिक सम्बन्ध के जाल में कसी हुई….।
मुक्तिबोध का वास्तविक मूल्यांकन अगली, यानी अब आगे की पीढ़ी निश्चय ही करेगी; क्योंकि उसकी करुण अनुभूति को, उसकी व्यर्थता और खोखलेपन को पूरी शक्ति के साथ मुक्तिबोध ने ही अभिव्यक्त किया है। इस पीढ़ी के लिए शायद यही अपना ख़ास महान कवि हो।’
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Description
चाँद का मुँह टेढ़ा है –
‘मुक्तिबोध की लम्बी कविताओं का पैटर्न विस्तृत होता है। एक विशाल म्यूरल पेंटिंग—आधुनिक प्रयोगवादी; अत्याधुनिक, जिसमें सब चीज़ें ठोस और स्थिर होती हैं; किसी बहुत ट्रैजिक सम्बन्ध के जाल में कसी हुई….।
मुक्तिबोध का वास्तविक मूल्यांकन अगली, यानी अब आगे की पीढ़ी निश्चय ही करेगी; क्योंकि उसकी करुण अनुभूति को, उसकी व्यर्थता और खोखलेपन को पूरी शक्ति के साथ मुक्तिबोध ने ही अभिव्यक्त किया है। इस पीढ़ी के लिए शायद यही अपना ख़ास महान कवि हो।’
About Author
गजानन माधव मुक्तिबोध -
जन्म: 13 नवम्बर, 1917, श्योपुर (ग्वालियर)।
शिक्षा: नागपुर विश्वविद्यालय से हिन्दी में स्नातकोत्तर । एक प्राध्यापक के रूप में उज्जैन, शुजालपुर, इन्दौर, कलकत्ता, मुम्बई, बेंगलुरु, वाराणसी, जबलपुर, नागपुर में थोड़े-थोड़े अरसे रहे। अन्ततः 1958 में दिग्विजय महाविद्यालय, राजनांदगाँव में।
भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित कृतियाँ: 'चाँद का मुँह टेढ़ा है', 'एक साहित्यिक की डायरी', 'काठ का सपना', 'विपात्र' और 'सतह से उठता आदमी' ।
अन्य प्रकाशन: 'कामायनी : एक पुनर्विचार', 'भारतीय इतिहास और संस्कृति', 'नयी कविता का आत्म-संघर्ष तथा अन्य निबन्ध', 'नये साहित्य का सौन्दर्यशास्त्र' ।
निधन: 11 सितम्बर, 1964, नयी दिल्ली।
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