Buddh-Janpad Kalyani : Amrapali Gatha

Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
शरद पगारे
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
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Vani Prakashan
Author:
शरद पगारे
Language:
Hindi
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Paperback

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372

“बुद्ध-जनपद कल्याणी : आम्रपाली गाथा –
ईसा मसीह के जन्म से पाँच सौ वर्ष पूर्व यानी ईसा पूर्व की छठी शताब्दी में विश्व के सभी देश अपरिचय के अन्धकार में भटक रहे थे। उस समय भारत की ई.पू. की छठी सदी इतिहास की नयी इबारत लिख रही थी। वैदिककालीन महर्षि ऋषभदेव के बाद इस सदी में चौबीसवें तीर्थंकर महावीर स्वामी ने मुक्ति का मार्ग दिखाया। यही नहीं मुक्तिदाता तथागत गौतम ने बौद्धधर्म का प्रणयन कर मानव मात्र को नया सन्देश दे धर्म के सच्चे मर्म से परिचित कराया।
उधर मगध राज्य ने नये साम्राज्य की नींव, मगधराज बिम्बसार के पुत्र अजातशत्रु ने साम्राज्य विस्तार का प्रारम्भ किया । मगध साम्राज्य का इतिहास भारत के इतिहास में परिवर्तित हो गया। इतना ही नहीं सौन्दर्य, कला, नृत्य, संगीत को नया उन्मेष न केवल वैशाली की गणनर्तकी इतिहासजयी सौन्दर्य की सम्राज्ञी आम्रपाली ने प्रदान किया वरन इस कला यज्ञ में मगध की रूपसुन्दरी शालवती उज्जयिनी सम्राट चण्ड प्रद्योत की राजसभा की शोभा राजनर्तकी पद्मावती ने प्रदान की।
उज्जैन संग्रहालय के डायरेक्टर डॉ. एस. के. दीक्षित को उज्जयिनी के इतिहास के अँधेरे में गुम राजनर्तकी पद्मावती को खोजने का श्रेय है। इतिहास पद्मावती से अपरिचित है।
पाली ग्रन्थों में उपस्थित वत्सराज उदयन की राजनर्तकी रूपगर्विता मागधिया उपन्यास ‘बुद्ध- जनपद कल्याणी ‘आम्रपाली गाथा’ के रिसर्च द्वारा खोज लेने का श्रेय ऐतिहासिक उपन्यासों पर साधिकार कलम चलाने वाले प्रसिद्ध लेखक शरद पगारे को है। इतना ही नहीं विश्व की पहली प्रेमकथा वासवदत्ता उदयन की रोमांटिक-रोमांचक रूमानी प्रणयकथा जो विश्व इतिहास की पहली प्रेमकथा है इसे पाठकों के सामने शरद पगारे ने प्रस्तुत किया है। इतिहास कथा लेखन को पगारे जी ने कैसा नया मोड़ दिया है यह इस उपन्यास को पढ़ने के बाद ही आप समझ पायेंगे।

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“बुद्ध-जनपद कल्याणी : आम्रपाली गाथा –
ईसा मसीह के जन्म से पाँच सौ वर्ष पूर्व यानी ईसा पूर्व की छठी शताब्दी में विश्व के सभी देश अपरिचय के अन्धकार में भटक रहे थे। उस समय भारत की ई.पू. की छठी सदी इतिहास की नयी इबारत लिख रही थी। वैदिककालीन महर्षि ऋषभदेव के बाद इस सदी में चौबीसवें तीर्थंकर महावीर स्वामी ने मुक्ति का मार्ग दिखाया। यही नहीं मुक्तिदाता तथागत गौतम ने बौद्धधर्म का प्रणयन कर मानव मात्र को नया सन्देश दे धर्म के सच्चे मर्म से परिचित कराया।
उधर मगध राज्य ने नये साम्राज्य की नींव, मगधराज बिम्बसार के पुत्र अजातशत्रु ने साम्राज्य विस्तार का प्रारम्भ किया । मगध साम्राज्य का इतिहास भारत के इतिहास में परिवर्तित हो गया। इतना ही नहीं सौन्दर्य, कला, नृत्य, संगीत को नया उन्मेष न केवल वैशाली की गणनर्तकी इतिहासजयी सौन्दर्य की सम्राज्ञी आम्रपाली ने प्रदान किया वरन इस कला यज्ञ में मगध की रूपसुन्दरी शालवती उज्जयिनी सम्राट चण्ड प्रद्योत की राजसभा की शोभा राजनर्तकी पद्मावती ने प्रदान की।
उज्जैन संग्रहालय के डायरेक्टर डॉ. एस. के. दीक्षित को उज्जयिनी के इतिहास के अँधेरे में गुम राजनर्तकी पद्मावती को खोजने का श्रेय है। इतिहास पद्मावती से अपरिचित है।
पाली ग्रन्थों में उपस्थित वत्सराज उदयन की राजनर्तकी रूपगर्विता मागधिया उपन्यास ‘बुद्ध- जनपद कल्याणी ‘आम्रपाली गाथा’ के रिसर्च द्वारा खोज लेने का श्रेय ऐतिहासिक उपन्यासों पर साधिकार कलम चलाने वाले प्रसिद्ध लेखक शरद पगारे को है। इतना ही नहीं विश्व की पहली प्रेमकथा वासवदत्ता उदयन की रोमांटिक-रोमांचक रूमानी प्रणयकथा जो विश्व इतिहास की पहली प्रेमकथा है इसे पाठकों के सामने शरद पगारे ने प्रस्तुत किया है। इतिहास कथा लेखन को पगारे जी ने कैसा नया मोड़ दिया है यह इस उपन्यास को पढ़ने के बाद ही आप समझ पायेंगे।

About Author

शरद पगारे - कुछ समय पूर्व साहित्य क्षेत्र के अत्यन्त प्रतिष्ठापूर्ण 'व्यास सम्मान' से विभूषित देश के जाने-माने ऐतिहासिक उपन्यासकार और कथाकार शरद पगारे लगभग 65 वर्षों से अनवरत लेखन कर रहे हैं। शरद पगारे ने इतिहास के अँधेरे में खोये हुए चरित्रों को साहित्य के माध्यम से सामने लाकर ऐतिहासिक उपन्यासों के क्षेत्र में लीक से हटकर लेखन किया है और एक नयी ज़मीन तैयार की है। खण्डवा मध्य प्रदेश में जन्मे शरद पगारे इतिहास में एम.ए., पीएच.डी. हैं। मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग में इतिहास के प्रोफ़ेसर के रूप में तीन से अधिक दशकों तक अध्यापन रिसर्च के साथ ही ऐतिहासिक एवं साहित्यिक कथाओं व उपन्यासों का नियमित लेखन किया। वर्ष 1987-88 में रोटरी इंटरनेशनल इल्योंनाय अमेरिका द्वारा विश्व से दस चयनित प्रोफेसरों में डॉ. शरद पगारे को विज़िटिंग प्रोफ़ेसर के रूप में शिल्पकर्ण विश्वविद्यालय बैंकॉक, थाईलैंड में अध्यापन हेतु भेजा गया था। भारत लौटने पर अध्यापन के दौरान ही इतिहास के अज्ञात, अपरिचित पात्रों / पात्रियों की रिसर्च द्वारा खोज कर उन पर ऐतिहासिक उपन्यास लिखना आरम्भ किया।प्रमुख रचनाएँ : उपन्यास : शाहजहाँ प्रेमिका गुलारा बेगम (11 संस्करणों में प्रकाशित, मराठी, गुजराती, उर्दू, मलयालम, पंजाबी में प्रकाशित) औरंगजेब महबूबा बेगम जैनाबादी (6 संस्करणों में प्रकाशित मराठी में प्रकाशन तथा दिल्ली के क्षितिज थिएटर ग्रुप द्वारा नाट्य रूपान्तर एवं 10-11 नवम्बर 2011 को श्रीराम सेंटर, मण्डी हाउस, नवी दिल्ली में मंचन), गन्धर्वसेन (मराठी में प्रकाशन), पाटलिपुत्र की सम्राज्ञी (तीन संस्करण, वाणी प्रकाशन) उजाले की तलाश, ज़िन्दगी के बदलते रूप (तीन संस्करण, मराठी में अनूदित) आदि।कहानी संग्रह : नारी के रूप, एक मुट्ठी ममता, सान्ध्य तारा, जिन्दगी एक सलीब सी. दूसरा देवदास, भारत की श्रेष्ठ ऐतिहासिक प्रेमकथाएँ, चन्द्रमुखी का देवदास। सम्मान तथा पुरस्कार : शरद पगारे अनेक सम्मानों एवं पुरस्कारों से अलंकृत हैं। जिनमें हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग का साहित्य वाचस्पति के. के. बिरला फाउंडेशन, दिल्ली का व्यास सम्मान (पाटलिपुत्र की सम्राज्ञी), बालकृष्ण शर्मा नवीन सम्मान (पाटलिपुत्र की सम्राज्ञी), विश्वनाथ सिंह पुरस्कार (गुलारा बेगम) मध्य प्रदेश हिन्दी साहित्य का वागीश्वरी एवं दिव्य पुरस्कार, साहित्य शिरोमणि सारस्वत सम्मान आदि शामिल हैं। सम्पर्क : सुमनकुंज, 110 स्नेह नगर, नवलखा, इन्दौर (म.प्र.) 452001 मोबाइल : 07313535566, ई-मेल: sharad31pagare@gmail.com

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