Biwi Kesi Honi Chahiye (PB)

Publisher:
Rajkamal
| Author:
Chaudhary Mohammed Ali Rudaulvi, Ed. Shoaib Shahid
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Rajkamal
Author:
Chaudhary Mohammed Ali Rudaulvi, Ed. Shoaib Shahid
Language:
Hindi
Format:
Hardback

148

Save: 1%

In stock

Ships within:
3-5 days

In stock

Weight 0.122 g
Book Type

Availiblity

ISBN:
SKU 9789394494008 Category
Category:
Page Extent:

इस किताब में चौधरी मोहम्मद अली रुदौलवी की मज़ाहिया तहरीरें हैं जिनमें तंज़ का पहलू भी छुपा हुआ है जो आपको बेसाख़्ता हँसने पर मजबूर करता है। इनके ख़ुतूत जहाँ आपको गुदगुदाने का काम करते हैं वहीं अपनी नुमायाँ ज़बान की लताफ़त से अपने सेह्र में ले लेते हैं।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Biwi Kesi Honi Chahiye (PB)”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Description

इस किताब में चौधरी मोहम्मद अली रुदौलवी की मज़ाहिया तहरीरें हैं जिनमें तंज़ का पहलू भी छुपा हुआ है जो आपको बेसाख़्ता हँसने पर मजबूर करता है। इनके ख़ुतूत जहाँ आपको गुदगुदाने का काम करते हैं वहीं अपनी नुमायाँ ज़बान की लताफ़त से अपने सेह्र में ले लेते हैं।

About Author

चौधरी मोहम्मद अली रुदौलवी
उर्दू के नुमाइन्दा नस्र-निगार चौधरी मोहम्मद अली रुदौलवी की पैदाइश 15 मई, 1882 को उत्तर प्रदेश के रुदौली शहर में हुई। रुदौलवी साहिब की ब-ज़ाहिर ज़्यादा तालीम नहीं हो सकी थी मगर वो जिस ज़माने से तअल्लुक़ रखते हैं उस ज़माने में तालीम का मेयार बहुत बुलन्द था और कम दर्जे तक पढ़े-लिखे लोग भी बेहतरीन सलाहियत के मालिक होते थे। रुदौलवी साहब ने अपने इल्मी ज़ौक़ और ख़ुदा-दाद सलाहियत से इल्म हासिल करने के सभी वसीलों को अपनाया और इर्तिक़ा के उस मरहले में पहुँच गए जहाँ इल्म-ओ-अदब के लोगों को शोहरत-ए-आम और बक़ा-ए-दवाम का मुस्तहक़ माना जाता है।
रुदौलवी साहब ने अदब की कई अस्नाफ़ जैसे अफ़्साने, मज़ामीन, कॉमिक्स, ख़ाके और ख़ूतूत में अपनी क़लम का जादू दिखाया है। उन्होंने कई शानदार किताबें लिखीं जिनमें ‘गोया दबिस्ताँ खुल गया’, ‘कशकोल’, ‘सलाह-ए-कार’, ‘गुनाह का ख़ौफ़’ और ‘मेरा मज़हब’ अहम हैं।
उनकी बहुत ही पुर-कशिश और मुनफ़रिद अन्दाज़-ए-तहरीर, ज़बान की आसानी के साथ-साथ हास्य से भरपूर थी। अपने अदबी सफ़र में उन्होंने रोमांस के रास्तों को हक़ीक़त के शाहराहों पर छोड़ दिया और समाजी हक़ीक़त-पसन्दी की मजबूत और ज़ोरदार जड़ों से निकले अदब की ज़रख़ेज़ी के लिए ज़मीन तैयार की। 10 सितम्बर, 1959 को रुदौली में उन्होंने आख़िरी साँस ली।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Biwi Kesi Honi Chahiye (PB)”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

RELATED PRODUCTS

RECENTLY VIEWED