SaleHardback
Bhoutik Vigyan Ka Sahaj Bodh
Publisher:
Charitra Books
| Author:
सम्पादक - वी. एस. के. काले, अनुवाद - देवेन्द्र पी. शर्मा
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Charitra Books
Author:
सम्पादक - वी. एस. के. काले, अनुवाद - देवेन्द्र पी. शर्मा
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹395 ₹277
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ISBN:
SKU
9788190633901
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
206
लोकोपयोगी विज्ञान विश्वकोश कला’ के अंतर्गत प्रकाशित यह पुस्तक भौतिक विज्ञान जैसे दुरुह माने जानेवाले विषय को कुछ इस प्रकार सहज बोध बनाकर प्रस्तुत करती है कि वैज्ञानिक रुझान का सामान्य पाठकवर्ग भी इसे पढ़-समझ और संबंधित विषय में रुचि ले सके। रूस के विश्वविख्यात भौतिक विज्ञानी या इ-पेरेकमान ने इसे विज्ञान के नवसाक्षरों की बौद्धिक सीमा को ध्यान में रखकर चुटकुलों-कहानियों वाली मनोरंजक शैली में लिखा है। हिंदी पाठकों के लिए इसे सुलभ कराते हुए, अनुवाद एवं सम्पादन प्रक्रिया में भी इस बात का पूरा ध्यान रखा गया है कि मूल पुस्तक का स्वभाव यथावत् बना रहे, ताकि अधिकाधिक हिंदी समाज इसका भरपूर लाभ उठा सके।
सामान्यतया विज्ञान, और विज्ञान में भी भौतिक विज्ञान को गूढ़ और दुरुह विषय माना जाता रहा है। इसीलिए विज्ञान में रुचि रखनेवाले सामान्य बोध के पाठक भी प्रायः भौतिक विज्ञान से एक दूरी बनाये चले आ रहे हैं। इस समस्या की ओर ध्यान तो बहुतों का …… होगा, लेकिन प्रभावी पहल की रूसी भौतिकशास्त्री, या पेरेलेमान ने। प्रस्तुत पुस्तक उन्हीं के संकल्प का प्रतिफल है।
प्रायः देखा गया है कि भौतिक विज्ञान से संबंधित बहुत सी आधारभूत बातें दैनिक जीवन में हमारे अनुभव क्षेत्र में आती रहती हैं; लेकिन वैज्ञानिक दृष्टि से सचेत न होने के कारण हम न तो उनका महत्त्व समझ पाते हैं, न उस अर्जित ज्ञान में कुछ इजाफा कर पाते हैं। प्रस्तुत पुस्तक में लेखक ने हमें वैज्ञानिक रूप से सचेत बनाने और जो कुछ अपनी सहज बुद्धि से हम जानते हैं उसे वैज्ञानिक तथ्य के रूप में हमें जनवाने की सफल कोशिश की है। इसके लिए उन्होंने पहेलियों व कहानियों की मनोरंजक शैली का सहारा लिया है और अपनी बातों को अधिक प्रभावी व समोषणीय बनाने के लिए एच. जी. वेल्स, मार्कट्बेन, जुले बर्न आदि विज्ञान- प्रेरित विश्वविख्यात साहित्यकारों की कहानियों और उपन्यासों के उद्धरण एवं संदर्भ दिये हैं। लेखक इस तथ्य से अवगत हैं कि दुरुह दुरुह विषय में भी, खेल-खेल वाली शैली से, पाठकों की रुचि जगायी जा सकती है और वे मनोयोग पूर्वक उसमें संकट हो सकते हैं । ‘भोतिक विज्ञान : सहज बोध’ का मुख्य लक्ष्य वैज्ञानिक कल्पना को जगाना और सक्रिय करना है, ताकि पाठक विषय के स्वभाव के अनुरूप अध्ययन-मनन की आदत डाल सके और अपने दैनिक जीवन में भरने वाली घटनाओं को भौतिक विज्ञान के तर्कों से पहचान सके-उनका महत्व समझ सके ।
– सम्पादक
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Description
लोकोपयोगी विज्ञान विश्वकोश कला’ के अंतर्गत प्रकाशित यह पुस्तक भौतिक विज्ञान जैसे दुरुह माने जानेवाले विषय को कुछ इस प्रकार सहज बोध बनाकर प्रस्तुत करती है कि वैज्ञानिक रुझान का सामान्य पाठकवर्ग भी इसे पढ़-समझ और संबंधित विषय में रुचि ले सके। रूस के विश्वविख्यात भौतिक विज्ञानी या इ-पेरेकमान ने इसे विज्ञान के नवसाक्षरों की बौद्धिक सीमा को ध्यान में रखकर चुटकुलों-कहानियों वाली मनोरंजक शैली में लिखा है। हिंदी पाठकों के लिए इसे सुलभ कराते हुए, अनुवाद एवं सम्पादन प्रक्रिया में भी इस बात का पूरा ध्यान रखा गया है कि मूल पुस्तक का स्वभाव यथावत् बना रहे, ताकि अधिकाधिक हिंदी समाज इसका भरपूर लाभ उठा सके।
सामान्यतया विज्ञान, और विज्ञान में भी भौतिक विज्ञान को गूढ़ और दुरुह विषय माना जाता रहा है। इसीलिए विज्ञान में रुचि रखनेवाले सामान्य बोध के पाठक भी प्रायः भौतिक विज्ञान से एक दूरी बनाये चले आ रहे हैं। इस समस्या की ओर ध्यान तो बहुतों का …… होगा, लेकिन प्रभावी पहल की रूसी भौतिकशास्त्री, या पेरेलेमान ने। प्रस्तुत पुस्तक उन्हीं के संकल्प का प्रतिफल है।
प्रायः देखा गया है कि भौतिक विज्ञान से संबंधित बहुत सी आधारभूत बातें दैनिक जीवन में हमारे अनुभव क्षेत्र में आती रहती हैं; लेकिन वैज्ञानिक दृष्टि से सचेत न होने के कारण हम न तो उनका महत्त्व समझ पाते हैं, न उस अर्जित ज्ञान में कुछ इजाफा कर पाते हैं। प्रस्तुत पुस्तक में लेखक ने हमें वैज्ञानिक रूप से सचेत बनाने और जो कुछ अपनी सहज बुद्धि से हम जानते हैं उसे वैज्ञानिक तथ्य के रूप में हमें जनवाने की सफल कोशिश की है। इसके लिए उन्होंने पहेलियों व कहानियों की मनोरंजक शैली का सहारा लिया है और अपनी बातों को अधिक प्रभावी व समोषणीय बनाने के लिए एच. जी. वेल्स, मार्कट्बेन, जुले बर्न आदि विज्ञान- प्रेरित विश्वविख्यात साहित्यकारों की कहानियों और उपन्यासों के उद्धरण एवं संदर्भ दिये हैं। लेखक इस तथ्य से अवगत हैं कि दुरुह दुरुह विषय में भी, खेल-खेल वाली शैली से, पाठकों की रुचि जगायी जा सकती है और वे मनोयोग पूर्वक उसमें संकट हो सकते हैं । ‘भोतिक विज्ञान : सहज बोध’ का मुख्य लक्ष्य वैज्ञानिक कल्पना को जगाना और सक्रिय करना है, ताकि पाठक विषय के स्वभाव के अनुरूप अध्ययन-मनन की आदत डाल सके और अपने दैनिक जीवन में भरने वाली घटनाओं को भौतिक विज्ञान के तर्कों से पहचान सके-उनका महत्व समझ सके ।
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