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Bhasha Vigyan Ki Bhumika (HB)
Publisher:
Radhakrishna Prakashan
| Author:
Devendranath Sharma, Deepti Sharma
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Radhakrishna Prakashan
Author:
Devendranath Sharma, Deepti Sharma
Language:
Hindi
Format:
Hardback
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ISBN:
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9788171195374
Category Hindi
Category: Hindi
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इस पुस्तक की उपादेयता, लोकप्रियता एवं सामयिकता का प्रमाण यह है कि गत चैंतीस वर्षों में इसके चार संस्करण और बीस से अधिक पुनर्मुद्रण हो चुके हैं। नवीन संस्करण में ग्रन्थ की आत्मा को अक्षुण्ण रखते हुए संशोधन एवं परिवर्धन का प्रयास किया गया है।
‘भाषाविज्ञान का इतिहास’ नामक अध्याय में बीसवीं शताब्दी में भाषाविज्ञान के विकास का प्रकरण ग्रन्थ को समसामयिक बनाए रखता है। इसके अतिरिक्त भाषाविज्ञान, मनोभाषाविज्ञान, अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान, व्यतिरेकी भाषाविज्ञान और संगणक भाषाविज्ञान का परिचय इस नवीन संस्करण की अन्यतम विशेषता है। इससे पाठकों को न केवल इन विषयों की जानकारी मिलेगी, अपितु भाषाविज्ञान के क्षेत्र में विशेषज्ञता प्राप्त करने के इच्छुक व्यक्ति को दिशा–चयन में भी सहायता मिलेगी।
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Description
इस पुस्तक की उपादेयता, लोकप्रियता एवं सामयिकता का प्रमाण यह है कि गत चैंतीस वर्षों में इसके चार संस्करण और बीस से अधिक पुनर्मुद्रण हो चुके हैं। नवीन संस्करण में ग्रन्थ की आत्मा को अक्षुण्ण रखते हुए संशोधन एवं परिवर्धन का प्रयास किया गया है।
‘भाषाविज्ञान का इतिहास’ नामक अध्याय में बीसवीं शताब्दी में भाषाविज्ञान के विकास का प्रकरण ग्रन्थ को समसामयिक बनाए रखता है। इसके अतिरिक्त भाषाविज्ञान, मनोभाषाविज्ञान, अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान, व्यतिरेकी भाषाविज्ञान और संगणक भाषाविज्ञान का परिचय इस नवीन संस्करण की अन्यतम विशेषता है। इससे पाठकों को न केवल इन विषयों की जानकारी मिलेगी, अपितु भाषाविज्ञान के क्षेत्र में विशेषज्ञता प्राप्त करने के इच्छुक व्यक्ति को दिशा–चयन में भी सहायता मिलेगी।
About Author
आचार्य देवेन्द्रनाथ शर्मा
जन्म : 1918
सफल नाट्यकार और निपुण निबन्धकार।
प्रभावी वक्ता तथा प्रकीर्तित लेखक।
पटना विश्वविद्यालय तथा दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व-कुलपति। अन्तरविश्वविद्यालय बोर्ड, संस्कृत अकादमी तथा भोजपुरी अकादमी, बिहार के पूर्व अध्यक्ष। पूर्व अध्यक्ष, बिहार हिन्दी ग्रन्थ अकादमी। पटना विश्वविद्यालय तथा बिहार विश्वविद्यालय के पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष। अध्यक्ष, भारतीय हिन्दी परिषद्, ग्वालियर तथा आनन्द अधिवेशन तथा हिन्दी साहित्य सम्मेलन, पटना।
भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार की प्रवर-समिति के पूर्व सदस्य। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, वैज्ञानिक तकनीकी शब्दावली आयोग, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसन्धान एवं प्रशिक्षण परिषद, केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, भारत सरकार एवं बिहार सरकार की अनेक समितियों के पूर्व अध्यक्ष/सदस्य।
इंग्लैंड, फ़्रांस, जर्मनी, स्विट्ज़रलैंड, सोवियत संघ, बुल्गारिया, चेकोस्लोवाकिया, मॉरिशस, कोरिया आदि देशों का शैक्षिक एवं सांस्कृतिक भ्रमण।
प्रकाशित प्रमुख कृतियाँ : आलोचना—‘राष्ट्रभाषा हिन्दी : समस्याएँ और समाधान’, ‘भामह-विरचित काव्यालंकार का हिन्दी भाष्य’, ‘पाश्चात्य काव्यशास्त्र’, ‘अलंकार मुक्तावली’, ‘काव्य के तत्त्व’; नाट्य—‘पारिजात मंजरी’, ‘बिखरी स्मृतियाँ’, ‘शाहजहाँ के आँसू’, ‘मेरे श्रेष्ठ रंग एकांकी’; ललित निबन्ध—‘खट्टा-मीठा’, ‘आईना बोल उठा’, ‘प्रणाम की प्रदर्शनी में’।
सम्मान : ‘सुब्रह्मण्यम भारती पुरस्कार’, ‘वरिष्ठ हिन्दी सेवी पुरस्कार’ आदि।
निधन : 1991
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