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Bhasha Vigyan : Hindi Bhasha Aur Lipi (HB)
Publisher:
Lokbharti
| Author:
Ram Kishior Sharma
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Lokbharti
Author:
Ram Kishior Sharma
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹1,195 ₹836
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In stock
ISBN:
SKU
9788180311765
Category Hindi
Category: Hindi
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सभ्यता और संस्कृति के विकास के साथ भाषा प्रयोग के आयाम में विस्तार एवं सूक्ष्मता आई है। अपने सामाजिक परिवेश में सहज ढंग से सीखी गई मातृभाषा के द्वारा बृहत्तर विश्व-समाज के साथ सम्पर्क स्थापित करना सम्भव नहीं है। विश्व-समाज में भाषा व्यवहार के विविध सन्दर्भों को समझने के लिए भाषा-विज्ञान का अध्ययन आवश्यक हो गया है। भाषा की विविध प्रयुक्तियों, भाषा-चिन्तन की परम्परा, भाषा-संरचना के तत्त्वों, ध्वनि, शब्द, पद, अर्थ आदि क्षेत्रों में सम्पन्न भाषा वैज्ञानिक आधुनिकतम विचारों तथा निष्पत्तियों को एक साथ समाहित करनेवाली यह पुस्तक छात्रों, अनुसन्धानकर्ताओं तथा अन्य जिज्ञासुओं के लिए उपादेय होगी।
हिन्दी-भाषा तथा लिपि पर भी इसमें बड़े विस्तार से विचार किया गया है। विषय को सुबोध बनाने के लिए परिचित उदाहरणों का सहारा लिया गया है, विषय की गम्भीरता तथा स्तर को सुरक्षित रखते हुए सरल, सुबोध भाषा शैली अपनाई गई। विवेचन क्रम में व्यर्थता का त्याग तथा आवश्यक सामग्री के ग्रहण का प्रयत्न रहा है। इसी आधार पर पुस्तक के कलेवर को संयमित किया गया है।
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Description
सभ्यता और संस्कृति के विकास के साथ भाषा प्रयोग के आयाम में विस्तार एवं सूक्ष्मता आई है। अपने सामाजिक परिवेश में सहज ढंग से सीखी गई मातृभाषा के द्वारा बृहत्तर विश्व-समाज के साथ सम्पर्क स्थापित करना सम्भव नहीं है। विश्व-समाज में भाषा व्यवहार के विविध सन्दर्भों को समझने के लिए भाषा-विज्ञान का अध्ययन आवश्यक हो गया है। भाषा की विविध प्रयुक्तियों, भाषा-चिन्तन की परम्परा, भाषा-संरचना के तत्त्वों, ध्वनि, शब्द, पद, अर्थ आदि क्षेत्रों में सम्पन्न भाषा वैज्ञानिक आधुनिकतम विचारों तथा निष्पत्तियों को एक साथ समाहित करनेवाली यह पुस्तक छात्रों, अनुसन्धानकर्ताओं तथा अन्य जिज्ञासुओं के लिए उपादेय होगी।
हिन्दी-भाषा तथा लिपि पर भी इसमें बड़े विस्तार से विचार किया गया है। विषय को सुबोध बनाने के लिए परिचित उदाहरणों का सहारा लिया गया है, विषय की गम्भीरता तथा स्तर को सुरक्षित रखते हुए सरल, सुबोध भाषा शैली अपनाई गई। विवेचन क्रम में व्यर्थता का त्याग तथा आवश्यक सामग्री के ग्रहण का प्रयत्न रहा है। इसी आधार पर पुस्तक के कलेवर को संयमित किया गया है।
About Author
प्रो. रामकिशोर शर्मा
जन्म : 9 अक्टूबर, 1949 को भैरोपुर, सुल्तानपुर (उत्तर प्रदेश में)।
शिक्षा : इलाहाबाद विश्वविद्यालय से डी.फ़िल. की उपाधि।
प्रकाशन : ‘अपभ्रंश मुक्तक काव्य और उसका हिन्दी पर प्रभाव’, ‘हिन्दी साहित्य का इतिहास’, ‘आधुनिक कवि’, ‘प्रेमचन्द की कहानियाँ : संवेदना और शिल्प’, ‘प्रयोजनमूलक हिन्दी’, ‘कबीरवाणी : कथ्य और शिल्प’, ‘हिन्दी साहित्य का समग्र इतिहास’ (आलोचना); ‘हिन्दी भाषा का विकास’, ‘आधुनिक भाषाविज्ञान के सिद्धान्त’, ‘भाषाविज्ञान’, ‘हिन्दी भाषा और लिपि’, ‘भाषा चिन्तन के नए आयाम’ (भाषाविज्ञान); गौरी (उपन्यास)। सम्पादन : ‘सम्मेलन पत्रिका’।
सम्मान : ‘अक्षयवट’, ‘हिन्दुस्तानी अकादमी’, ‘नागरी प्रचारिणी सभा’ आदि संस्थाओं द्वारा सम्मानित।
भारत के अनेक विश्वविद्यालयों, लोक सेवा आयोगों में शैक्षणिक एवं मूल्यांकन सम्बन्धी कार्यों में सहयोग। लगभग 50 राष्ट्रीय, अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठियों में भागीदारी। अनेक पुरस्कार समितियों के निर्णायक मंडल के सदस्य। पूर्व प्रबन्ध मंत्री, उपसभापति, भारतीय हिन्दी परिषद, इलाहाबाद। उपाध्यक्ष, साहित्यकार संसद, इलाहाबाद। साहित्य मंत्री, हिन्दी साहित्य सम्मेलन इलाहाबाद। 1979 से इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में कार्यरत, प्रवक्ता, उपाचार्य, आचार्य एवं अध्यक्ष पद का दायित्व सँभाले। अनेक शोध छात्रों एवं छात्राओं को डी.फ़िल. उपाधि के लिए कुशल निर्देशन के बाद अब सेवानिवृत।
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