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Bhartiya Sanskriti Hard Cover
Publisher:
Lokbharti
| Author:
Santosh Chturvedi
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Lokbharti
Author:
Santosh Chturvedi
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹325 ₹260
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ISBN:
SKU
9788180315930
Category Hindi
Category: Hindi
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भारतीय संस्कृति का विश्व संस्कृति में अपना अनुपम स्थान है। यह जीवन के भौतिक पक्ष की अपेक्षा आध्यात्मिक पक्ष पर बल देती है। साथ ही यह व्यक्तित्व के एक कल्पनाशील एवं भावना- प्रवण, उदार एवं सौम्य आदर्श पर जोर देती रही है। यह आदर्श अत्यन्त प्राचीन काल से लेकर आज तक किसी न किसी रूप में स्पष्ट दृष्टिगोचर होता रहा है। अपनी ग्रहणशीलता एवं समन्वय की प्रवृत्ति के चलते यह हमेशा परिष्कृत होती रही है एवं समय के साथ चलती रही है। संस्कृति ही सामाजिक एवं ऐतिहासिक धरातल प्रदान करती है। संस्कृति की रश्मियों से ही किसी भी व्यक्ति का व्यक्तित्व सजता, संवरता एवं निखरता है।
संस्कृति वह सामाजिक विरासत हैं जिससे परम्परा से कला-कौशल, विचार-व्यवहार, आदतें, नैतिक मूल्य आदि समावेशित हो जाते हैं। संस्कृति से हीन परिवार, समाज या राष्ट्र की कल्पना करना गप्प हाँकने जैसा है। इन संस्थाओं की निर्मिति में संस्कृति आधाररूप में कार्य करती है। संस्कृति के माध्यम से ही समाज के नवयुवक अपने देश की परम्परा- धर्म, दर्शन, इतिहास, ज्ञान-विज्ञान एवं विरासत से परिचित हो पाते हैं।
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Description
भारतीय संस्कृति का विश्व संस्कृति में अपना अनुपम स्थान है। यह जीवन के भौतिक पक्ष की अपेक्षा आध्यात्मिक पक्ष पर बल देती है। साथ ही यह व्यक्तित्व के एक कल्पनाशील एवं भावना- प्रवण, उदार एवं सौम्य आदर्श पर जोर देती रही है। यह आदर्श अत्यन्त प्राचीन काल से लेकर आज तक किसी न किसी रूप में स्पष्ट दृष्टिगोचर होता रहा है। अपनी ग्रहणशीलता एवं समन्वय की प्रवृत्ति के चलते यह हमेशा परिष्कृत होती रही है एवं समय के साथ चलती रही है। संस्कृति ही सामाजिक एवं ऐतिहासिक धरातल प्रदान करती है। संस्कृति की रश्मियों से ही किसी भी व्यक्ति का व्यक्तित्व सजता, संवरता एवं निखरता है।
संस्कृति वह सामाजिक विरासत हैं जिससे परम्परा से कला-कौशल, विचार-व्यवहार, आदतें, नैतिक मूल्य आदि समावेशित हो जाते हैं। संस्कृति से हीन परिवार, समाज या राष्ट्र की कल्पना करना गप्प हाँकने जैसा है। इन संस्थाओं की निर्मिति में संस्कृति आधाररूप में कार्य करती है। संस्कृति के माध्यम से ही समाज के नवयुवक अपने देश की परम्परा- धर्म, दर्शन, इतिहास, ज्ञान-विज्ञान एवं विरासत से परिचित हो पाते हैं।
About Author
संतोष चतुर्वेदी
प्रोफेसर (डॉ.) सन्तोष कुमार चतुर्वेदी का जन्म 2 नवम्बर, 1971 को हुआ। उन्होंने प्राचीन इतिहास तथा मध्यकालीन एवं आधुनिक इतिहास में एम.ए., प्राचीन इतिहास विषय से डी.फिल. और एलएलबी की डिग्री ली है। पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा भी किया है। पूरी उच्च स्तरीय शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद से प्राप्त की है।
उनकी प्रकाशित पुस्तकें हैं—‘पहली बार’, ‘दक्खिन का भी अपना पूरब होता है’ (कविता-संग्रह); ‘चयनित कविताएँ’ (चयन); ‘भारतीय संस्कृति’, ‘भोजपुरी लोकगीतों में स्वाधीनता आन्दोलन’, ‘बोल्शेविक क्रान्ति’ (इतिहास); ‘भक्ति आन्दोलन का वर्तमान परिप्रेक्ष्य’, ‘मुक्तिबोध : पाठ पुनःपाठ’ (आलोचना)।
वर्ष 1998 से 2010 तक ‘कथा’ पत्रिका के सहायक सम्पादक रहे। 2011 से ‘अनहद’ पत्रिका का सम्पादन-प्रकाशन और ब्लॉग ‘पहली बार’ का मॉडरेशन।
सम्प्रति : 15 जुलाई 2020 से महामति प्राणनाथ महाविद्यालय, मऊ, चित्रकूट (उत्तर प्रदेश) के प्राचार्य।
ई-मेल : santoshpoet@gmail.com
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