Bhartiya Sangeet Kosh

Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
विमलकांत राय चौधरी, अनुवाद मदनलाल व्यास
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Vani Prakashan
Author:
विमलकांत राय चौधरी, अनुवाद मदनलाल व्यास
Language:
Hindi
Format:
Hardback

697

Save: 30%

In stock

Ships within:
10-12 Days

In stock

Book Type

Availiblity

ISBN:
SKU 9789350004630 Category
Category:
Page Extent:
512

भारतीय संगीत कोश श्री विमलाकांत रॉयचौधुरी के दीर्घ सांगीतिक जीवन का सुफल है। शास्त्रीय संगीत विषयक इस प्रकार का कोशाभिधान भारतीय भाषा में सम्भवतः सर्वप्रथम है। यह ऐसा एक ग्रन्थ है जो स्वयं सम्पूर्ण है और जो केवल संगीत-शिक्षार्थियों के लिए ही नहीं, बल्कि संगीतज्ञों के लिए भी अपरिहार्य है।
यह कोश दो भागों में विभक्त है। प्रथम भाग में उत्तर भारतीय शास्त्रीय संगीत की सभी परिभाषाओं का संज्ञार्थ निर्देश और विवरण वर्णानुक्रमानुसार दिया गया है। लेखक ने विभिन्न विचारणीय विषयों पर अपनी युक्तिसम्मत मननशीलता द्वारा विज्ञानसम्मत ढंग से प्रकाश डालने की चेष्टा की है। आलाप और श्रुति सम्बन्धित आलोचना, विभिन्न तालों और वाद्यों का परिचय, प्रयोजन के अनुसार पाश्चात्य संगीत के साथ भारतीय संगीत की तुलनात्मक आलोचना आदि असंख्य विषय इस ग्रन्थ को समृद्ध करते हैं। संगीत विषयक ऐसी कोई जानकारी नहीं जो अपेक्षित हो और यह ग्रन्थ न दे सके ।
ग्रन्थ के द्वितीय भाग में लेखक एक साहसिक कार्य की ओर अग्रसर हुए हैं। इस भाग में गुरु-शिष्य परम्परा के अनुसार उत्तर भारत के प्रायः सभी संगीत – घरानों की तालिकाएँ दी गयी हैं। यह निःसन्देह एक मूल्यवान् संयोजन है। इस प्रकार की विशद और प्रामाणिक जानकारी अन्यत्र दुर्लभ है। यह एक उच्च कोटि का प्रामाणिक निर्देशक ग्रन्थ है, जो संगीत कला और शास्त्र के लिए निरपवाद रूप से उपयोगी और आवश्यक है ।
भारतीय संगीत कोश का पहली बार बँगला में प्रकाशन 1965 में हुआ। 1971 में इस ग्रन्थ को संगीत नाटक अकादमी का पुरस्कार मिला। 1975 में भारतीय ज्ञानपीठ ने इसका हिन्दी अनुवाद प्रकाशित किया। लम्बे अर्से के बाद यह ग्रन्थ संशोधित एवं परिवर्धित रूप में पुनः प्रकाशित हुआ है।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Bhartiya Sangeet Kosh”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Description

भारतीय संगीत कोश श्री विमलाकांत रॉयचौधुरी के दीर्घ सांगीतिक जीवन का सुफल है। शास्त्रीय संगीत विषयक इस प्रकार का कोशाभिधान भारतीय भाषा में सम्भवतः सर्वप्रथम है। यह ऐसा एक ग्रन्थ है जो स्वयं सम्पूर्ण है और जो केवल संगीत-शिक्षार्थियों के लिए ही नहीं, बल्कि संगीतज्ञों के लिए भी अपरिहार्य है।
यह कोश दो भागों में विभक्त है। प्रथम भाग में उत्तर भारतीय शास्त्रीय संगीत की सभी परिभाषाओं का संज्ञार्थ निर्देश और विवरण वर्णानुक्रमानुसार दिया गया है। लेखक ने विभिन्न विचारणीय विषयों पर अपनी युक्तिसम्मत मननशीलता द्वारा विज्ञानसम्मत ढंग से प्रकाश डालने की चेष्टा की है। आलाप और श्रुति सम्बन्धित आलोचना, विभिन्न तालों और वाद्यों का परिचय, प्रयोजन के अनुसार पाश्चात्य संगीत के साथ भारतीय संगीत की तुलनात्मक आलोचना आदि असंख्य विषय इस ग्रन्थ को समृद्ध करते हैं। संगीत विषयक ऐसी कोई जानकारी नहीं जो अपेक्षित हो और यह ग्रन्थ न दे सके ।
ग्रन्थ के द्वितीय भाग में लेखक एक साहसिक कार्य की ओर अग्रसर हुए हैं। इस भाग में गुरु-शिष्य परम्परा के अनुसार उत्तर भारत के प्रायः सभी संगीत – घरानों की तालिकाएँ दी गयी हैं। यह निःसन्देह एक मूल्यवान् संयोजन है। इस प्रकार की विशद और प्रामाणिक जानकारी अन्यत्र दुर्लभ है। यह एक उच्च कोटि का प्रामाणिक निर्देशक ग्रन्थ है, जो संगीत कला और शास्त्र के लिए निरपवाद रूप से उपयोगी और आवश्यक है ।
भारतीय संगीत कोश का पहली बार बँगला में प्रकाशन 1965 में हुआ। 1971 में इस ग्रन्थ को संगीत नाटक अकादमी का पुरस्कार मिला। 1975 में भारतीय ज्ञानपीठ ने इसका हिन्दी अनुवाद प्रकाशित किया। लम्बे अर्से के बाद यह ग्रन्थ संशोधित एवं परिवर्धित रूप में पुनः प्रकाशित हुआ है।

About Author

-

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Bhartiya Sangeet Kosh”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

RELATED PRODUCTS

RECENTLY VIEWED