Bhartiya Jyotish

Publisher:
Bhartiya Jnanpith
| Author:
Namechandra Shastri
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Bhartiya Jnanpith
Author:
Namechandra Shastri
Language:
Hindi
Format:
Hardback

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भारतीय ज्योतिष का यह नवीनतम संस्करण आपके हाथों में है, जो हिन्दी प्रकाशन जगत् के लिए एक अद्वितीय प्रतिमान तो है ही, ज्योतिष जैसे गम्भीर विषय पर इस पुस्तक की उपयोगिता और लोकप्रियता का भी सार्थक प्रमाण है।

ज्योतिष विज्ञान भारत का एक विशिष्ट आविष्कार है, जिसका महत्त्व पश्चिम भी स्वीकार करता है। इस विज्ञान के अन्तर्गत उस समूची प्रक्रिया का प्रतिपादन आ जाता है जिसमें मनुष्य के जीवन में आने वाले सुख-दुख, हर्ष-विषाद, उत्थान-पतन, लाभ-हानि आदि को पहले से ही जाना जा सकता है।

प्रस्तुत पुस्तक इस विषय का प्रामाणिक ग्रन्थ है। इतना ही नहीं, एक बड़ी विशेषता इसकी सरल एवं सुबोध शैली की है, जिसके फलस्वरूप अब इस शास्त्र का व्यावहारिक ज्ञान कोई भी व्यक्ति घर बैठे प्राप्त कर सकता है। इसके अध्ययन से वर्षफल बनाना, जन्मपत्री तैयार करना, सभी प्रकार के मुहूर्त और शुभाशुभ देखना, लाभ-हानि की सम्भावनाएँ परखना आदि तो सुगम होगा ही, इस विज्ञान के सभी मूलभूत सिद्धान्त, उनका इतिहास और उसके विकास-क्रम को भी भलीभाँति जाना जा सकेगा।

गृहस्थों, ज्योतिष के विद्यार्थियों, पण्डितों व आचार्यों के लिए यह पुस्तक समान रूप से उपयोगी सिद्ध हुई है।

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Description

भारतीय ज्योतिष का यह नवीनतम संस्करण आपके हाथों में है, जो हिन्दी प्रकाशन जगत् के लिए एक अद्वितीय प्रतिमान तो है ही, ज्योतिष जैसे गम्भीर विषय पर इस पुस्तक की उपयोगिता और लोकप्रियता का भी सार्थक प्रमाण है।

ज्योतिष विज्ञान भारत का एक विशिष्ट आविष्कार है, जिसका महत्त्व पश्चिम भी स्वीकार करता है। इस विज्ञान के अन्तर्गत उस समूची प्रक्रिया का प्रतिपादन आ जाता है जिसमें मनुष्य के जीवन में आने वाले सुख-दुख, हर्ष-विषाद, उत्थान-पतन, लाभ-हानि आदि को पहले से ही जाना जा सकता है।

प्रस्तुत पुस्तक इस विषय का प्रामाणिक ग्रन्थ है। इतना ही नहीं, एक बड़ी विशेषता इसकी सरल एवं सुबोध शैली की है, जिसके फलस्वरूप अब इस शास्त्र का व्यावहारिक ज्ञान कोई भी व्यक्ति घर बैठे प्राप्त कर सकता है। इसके अध्ययन से वर्षफल बनाना, जन्मपत्री तैयार करना, सभी प्रकार के मुहूर्त और शुभाशुभ देखना, लाभ-हानि की सम्भावनाएँ परखना आदि तो सुगम होगा ही, इस विज्ञान के सभी मूलभूत सिद्धान्त, उनका इतिहास और उसके विकास-क्रम को भी भलीभाँति जाना जा सकेगा।

गृहस्थों, ज्योतिष के विद्यार्थियों, पण्डितों व आचार्यों के लिए यह पुस्तक समान रूप से उपयोगी सिद्ध हुई है।

About Author

डॉ. नेमिचन्द्र शास्त्री, ज्योतिषाचार्य - जन्म: सन् 1915, बसईघियाराम, पो. राजाखेड़ा; धौलपुर (राजस्थान)। शिक्षा: सिद्धान्तशास्त्री, न्यायतीर्थ, काव्यतीर्थ, ज्योतिषतीर्थ, ज्योतिषाचार्य, साहित्यरत्न, एम.ए. (हिन्दी, संस्कृत, प्राकृत एंड जैनालॉजी), पीएच.डी., डी.लिट्.। ग्रन्थ: संस्कृत काव्य के विकास में जैन कवियों का योगदान, हिन्दी जैन साहित्य परिशीलन (दो भाग), मंगलमन्त्र णमोकार : एक अनुचिन्तन, आदिपुराण में प्रतिपादित भारत, पुराने घाट नयी सीढ़ियाँ, अभिनव प्राकृत व्याकरण, प्राकृत भाषा और साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास, तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परम्परा (चार खण्ड)। सम्पादित एवं अनूदित: अलंकार चिन्तामणि, केवलज्ञानप्रश्नचूडामणि, व्रततिथि-निर्णय, भद्रबाहुसंहिता, लोक-विजय यन्त्र, रिट्ठसमुच्चय, मुहूर्तदर्पण, प्राकृत-प्रबोध, गुरु गोपालदास वरैया स्मृति ग्रन्थ। पत्र-सम्पादन: जैन सिद्धान्त भास्कर, जैन एंटीक्वेरी, मागधम्, परिवेशन। निधन: 10 जनवरी, 1974।

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