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Bhartiya Bhakti Andolan Aur Shrimant Shankardev (HB)
Publisher:
Lokbharti
| Author:
SURYAKANT TRIPATHI
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Lokbharti
Author:
SURYAKANT TRIPATHI
Language:
Hindi
Format:
Hardback
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9789392186103
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भक्ति आन्दोलन का प्रसार और विकास क्षेत्रीय-प्रान्तीय और अखिल भारतीय दोनों स्तरों पर हुआ। उसके क्षेत्रीय और प्रान्तीय रूप एक समान नहीं हैं। उनके देश-काल, धर्म-संस्कृति, भाषा में अन्तर अवश्य है। यहाँ तक कि उनके विकास के स्वरूप में भी अन्तर है। बावजूद इसके इन क्षेत्रीय और प्रान्तीय रूपों में एक अन्तर्सूत्र मौजूद है और वह अन्तर्सूत्र है भक्ति। वह सारे क्षेत्रीय-प्रान्तीय भक्ति आन्दोलन को जोड़कर रखती है। यही कारण है कि भक्ति आन्दोलन के अखिल भारतीय रूप और उसकी सामान्य विशेषता को जानने-समझने के लिए उसके क्षेत्रीय-प्रान्तीय रूपों का ध्यान रखना जरूरी है। इसी प्रकार क्षेत्रीय-प्रान्तीय रूपों की विशिष्टता को पहचानने के लिए उन्हें अखिल भारतीय भक्ति आन्दोलन के परिप्रेक्ष्य में देखने-समझने की जरूरत है।
असम के वैष्णव भक्ति आन्दोलन के प्रवेश द्वार शंकरदेव हैं। इसलिए उनसे और उनके जीवन कर्म एवं उनकी वैष्णव भक्ति से गुजरे बगैर असम के भक्ति आन्दोलन और भक्ति कविता को ठीक से नहीं समझा जा सकता है।
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Description
भक्ति आन्दोलन का प्रसार और विकास क्षेत्रीय-प्रान्तीय और अखिल भारतीय दोनों स्तरों पर हुआ। उसके क्षेत्रीय और प्रान्तीय रूप एक समान नहीं हैं। उनके देश-काल, धर्म-संस्कृति, भाषा में अन्तर अवश्य है। यहाँ तक कि उनके विकास के स्वरूप में भी अन्तर है। बावजूद इसके इन क्षेत्रीय और प्रान्तीय रूपों में एक अन्तर्सूत्र मौजूद है और वह अन्तर्सूत्र है भक्ति। वह सारे क्षेत्रीय-प्रान्तीय भक्ति आन्दोलन को जोड़कर रखती है। यही कारण है कि भक्ति आन्दोलन के अखिल भारतीय रूप और उसकी सामान्य विशेषता को जानने-समझने के लिए उसके क्षेत्रीय-प्रान्तीय रूपों का ध्यान रखना जरूरी है। इसी प्रकार क्षेत्रीय-प्रान्तीय रूपों की विशिष्टता को पहचानने के लिए उन्हें अखिल भारतीय भक्ति आन्दोलन के परिप्रेक्ष्य में देखने-समझने की जरूरत है।
असम के वैष्णव भक्ति आन्दोलन के प्रवेश द्वार शंकरदेव हैं। इसलिए उनसे और उनके जीवन कर्म एवं उनकी वैष्णव भक्ति से गुजरे बगैर असम के भक्ति आन्दोलन और भक्ति कविता को ठीक से नहीं समझा जा सकता है।
About Author
प्रो. (डॉ.) सूर्यकांत त्रिपाठी
जन्म : 08 जुलाई ,1974।
शिक्षा : एम. ए. (भाषा विज्ञान, हिन्दी), आचार्य (संस्कृत साहित्य), एम. फिल. (भाषा विज्ञान), लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ, पीएच. डी. (भाषा विज्ञान), काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी।
शोध-निर्देशन : अब तक तेईस एम. फिल. और छह पीएच.डी. शोधार्थियों को अपने सक्रिय निर्देशन में उपाधि दिलाई।
प्रकाशन : रीति सिद्धांत और शैली विज्ञान, भोजपुरी लोकगीत : शैलीवैज्ञानिक संदर्भ, लोक का अवलोकन, गनेस चउथ (गणेश चौथ), भारतीय भक्ति आन्दोलन और श्रीमंत शंकरदेव।
देश के प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में बहुत से शोध-पत्र एवं लेख प्रकाशित और प्रकाशनार्थ स्वीकृत।
सम्प्रति : आचार्य, हिन्दी विभाग, तेज़पुर केन्द्रीय विश्वविद्यालय, तेज़पुर, असम।
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